भारत बायोटेक का दावा, ब्रिटेन और भारत में पाये जानेवाले कोरोना वायरस स्ट्रेन के खिलाफ कोवैक्सीन प्रभावी

Bharat Biotech, Covaxin, New strain : नयी दिल्ली : पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की भारतीय और यूके वेरिएंट को लेकर दहशत है. कई विशेषज्ञों का दावा है कि नये कोरोना वायरस के भारतीय और यूके के स्ट्रेन पर वैक्सीन कारगर नहीं है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के भारतीय वेरिएंट पर फाइजर और अन्य आधुनिक वैक्सीन प्रभावी नहीं है. ऐसे समय में भारत में बनी भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन से उम्मीद जगी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2021 4:28 PM

नयी दिल्ली : पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की भारतीय और यूके वेरिएंट को लेकर दहशत है. कई विशेषज्ञों का दावा है कि नये कोरोना वायरस के भारतीय और यूके के स्ट्रेन पर वैक्सीन कारगर नहीं है. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट में भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के भारतीय वेरिएंट पर फाइजर और अन्य आधुनिक वैक्सीन प्रभावी नहीं है. ऐसे समय में भारत में बनी भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन से उम्मीद जगी है.

भारत बायोटेक की सह-संस्थापक और संयुक्त प्रबंधन निदेशक सुचित्रा एला ने ट्वीट कर दावा किया है कि भारत और यूके में पहली बार पहचान किये गये सभी प्रमुख उभरते वेरिएंट के खिलाफ निष्क्रिय अनुमापांक प्राप्त किया है. इसमें बी 1.617 और बी.1.1.7 भी शामिल थे.

ट्वीट किये गये इन्फोग्राफिक के मुताबिक, वैक्सीन वेरिएंट डी614जी की तुलना में बी 1.617 वेरिएंट के मुकाबले न्यूट्रलाइजेशन में 1.95 की मामूली कमी देखी गयी. हालांकि, साथ ही यह भी कहा गया है कि इस कमी के बावजूद बी 1.617 के साथ ट्राइटे के स्तर को बेअसर करना सुरक्षात्मक होने की उम्मीद के स्तर से ऊपर बना हुआ है.

भारत बायोटेक ने कहा है कि यूके में पहले पाये गये बी 1.1.7 वेरिएंट और वैक्सीन स्ट्रेन डी614जी के बीच न्यूट्रालाइजेशन में कोई अंतर नहीं देखा गया. यह निष्कर्ष नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और इंडिया काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से किये गये एक अध्ययन से है.

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन देश में उपलब्ध वर्तमान वैक्सीनों में से एक है. मालूम हो कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक देश भर में कोविड-19 वैक्सीन की कुल खुराक 18 करोड़ 22 लाख 20 हजार 164 खुराकें दी जा चुकी हैं.

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