Ear Care Tips: ब्ल्यूटूथ हैडफोन या इयरबड का करते हैं इस्तेमाल ताे रहें सतर्क, हो सकते हैं बहरेपन के शिकार

Ear Care Tips In Hindi: पिछले दिनों पीजीआइ चंडीगढ़ में हुए रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि दिन में चार घंटे से ज्यादा हियरिंग एड इस्तेमाल करने से सुनने की क्षमता में कमी आती है.

By Prabhat Khabar | May 31, 2023 2:00 PM

Ear Care Tips In Hindi: वर्तमान में ब्ल्यूटूथ हैडफोन या इयरबड का चलन तेजी से बढ़ रहा है. ये उपकरण कान की श्रवण तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाने के साथ ऑडिटरी हियरिंग मैकेनिज्म पर एजिंग इफेक्ट भी डालते हैं. असल में ब्लूटूथ रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से काम करता है. इसमें से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्रीक्वेंसी निकलती है, जो शरीर को नुकसान पहुंचाती है. चूंकि इयरबड कान के अंदर इन्सर्ट किये जाते हैं, जिससे लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से ब्लूटूथ से निकलने वाले रेडिएशन से बहरापन होता है. पिछले दिनों पीजीआइ चंडीगढ़ में हुए रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि दिन में चार घंटे से ज्यादा हियरिंग एड इस्तेमाल करने से सुनने की क्षमता में कमी आती है. यही वजह है कि हियरिंग लॉस जो पहले बड़ी उम्र की समस्या माना जाता था, लेकिन इयरबड की वजह से युवावस्था में भी लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं.

अपनी कानों पर जरूर दें ध्यान

अपने देश में कान शरीर का सबसे ज्यादा उपेक्षित अंग है. उसमें होने वाली छोटी-छोटी समस्याओं को तब तक नजरअंदाज किया जाता है, जब तक वह गंभीर रूप नहीं ले लेती, जैसे- डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के हिसाब से हमारे देश में 30 से 40 प्रतिशत लोग कान से लिक्विड बहने की समस्या झेल रहे हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति को एक कान में कम सुनाई देने लगता है. अगर मरीज समय रहते डॉक्टर को कंसल्ट कर लेता है, तो उसकी समस्या को दवाइयों या ऑपरेशन करके ठीक किया जा सकता है, जबकि ऐसा न करने पर आगे चलकर कान और ब्रेन के बीच की ओडिटरी नर्व डैमेज हो जाती है. इलाज न हो पाने पर श्रवण क्षमता में कमी या हियरिंग लॉस हो जाता है.

तेज ध्वनि से श्रवण क्षमता पर असर

तेज आवाज में गाने सुनने से श्रवण क्षमता वक्त के साथ कम होती जाती है, क्योंकि ध्वनि हवा में कंपन से पैदा होती है, जो हमारे कान के पर्दों पर पड़ता है, तब हमें शब्द या संगीत सुनायी देता है. हैडफोन से गाने सुनने पर कान के पर्दों पर लगातार तेज प्रहार होता है और आप बाहर की आवाज नहीं सुन पाते. दिमाग तक ध्वनि तरंग कोकलियर नर्व से पहुंचती है. तेज गाने सुनने से इस नर्व को नुकसान पहुंचता है. दिमाग तक ध्वनि तरंगें ठीक तरह नहीं पहुंच पातीं. 75 डेसिबल से कम की आवाज कानों के लिए सुरक्षित मानी जाती है, जबकि 85 डेसिबल से ज्यादा की आवाज कानों के लिए हानिकारक है.

कैसे बचें

वर्तमान में इन उपकरणों को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन इस्तेमाल के साथ कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

  • कान के अंदर लगाये जाने वाले इयरबड या इयरपॉड को इस्तेमाल करने से बचें. जरूरी हो तो कान के ऊपर लगाये जाने वाले इयरफोन/हेडफोन का इस्तेमाल करें.

  • जहां तक संभव हो सके वायर वाले हेडफोन और ब्ल्यूटूथ स्पीकर का इस्तेमाल करें.

  • एक बार में एक से डेढ़ घंटे से ज्यादा इयरबड का इस्तेमाल न करें. अगर इयरफोन का इस्तेमाल लंबे समय के लिए कर रहे हैं, तो बीच-बीच में इसे उतारते रहें.

  • फोन को कान से थोड़ी दूरी पर रखकर ही बात करें.

  • पूरे वॉल्यूम में म्यूजिक नहीं सुनें.

रहें सतर्क

जो लोग इयरफोन को लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें सतर्क रहना चाहिए. कान की ऑडिटरी नर्व डैमेज होने के साथ कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं, जैसे- कुछ आवाजें या गाने की कुछ बीट्स सुनाई न देना, कान में खुजली, दर्द होना, कान बहना या पानी जैसा लिक्विड निकलना, कान के अंदर सीटी की आवाजें या कई बार बाहर की आवाजें गूंजना, बॉडी बैलेंस बिगड़ना, चक्कर आना, जी मितलाना. इस तरह के लक्षण दिखाई दें, तो बिना देर किये ईएनटी डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए.

क्या है जरूरी

जो लोग ब्ल्यूटूथ डिवाइस से लगातार 6-8 घंटे इयरफोन का इस्तेमाल करते हैं. उन्हें कम से कम 6 महीने में एक बार उनकी ऑडिटरी स्क्रीनिंग- ऑडियोमेट्री परीक्षण जरूर कराना चाहिए. कान के नर्व-फंक्शन में किसी तरह की समस्या आ रही हो या सुनाई कम दे रहा है, तो इएनटी डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि वे आपको कान की नर्व्स के बूस्टर दे सकें. सबसे जरूरी है कि इयरफोन का कम-से-कम इस्तेमाल करें या बहुत जरूरी हो तभी करें. अगर इस्तेमाल करना जरूरी हो, तो इसका वॉल्यूम अधिकतम 60 प्रतिशत तक ही बढ़ाएं. उन्हें ब्ल्यूटूथ डिवाइस बंद कर देने चाहिए.

बातचीत : रजनी अरोड़ा

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