Coronavirus treatment: क्या वाकई डेक्सामेथासोन कोरोना के इलाज में है प्रभावकारी, पहले की दो दवाईयों से कैसे है अलग

कोरोना वायरस के इलाज के लिए दुनिया भर के डॉक्टर एवं वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. डॉक्टर कॉन्ट्रासेन्ट प्लाज्मा प्लाट थेरेपी (CPT), हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ), रेमेडिसविर और अन्य एंटी-वायरल दवाओं के संयोजन सहित, प्रसार और जीवन को बचाने के लिए कई तरीकों का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि एक दवा जो सबसे अधिक प्रभावशाली हो सकती है, वो है डेक्सामेथासोन.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2020 9:08 PM

कोरोना वायरस के इलाज के लिए दुनिया भर के डॉक्टर एवं वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं. डॉक्टर कॉन्ट्रासेन्ट प्लाज्मा प्लाट थेरेपी (CPT), हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ), रेमेडिसविर और अन्य एंटी-वायरल दवाओं के संयोजन सहित, प्रसार और जीवन को बचाने के लिए कई तरीकों का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि एक दवा जो सबसे अधिक प्रभावशाली हो सकती है, वो है डेक्सामेथासोन.

कोरोना वायरस के गंभीर रोगियों के इलाज के लिए भारत सरकार ने मिथाइलप्रेडिसिसोलोन के विकल्प के रूप में कम लागत वाली स्टेरॉयड दवा डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) के उपयोग की अनुमति दे दी है. कुछ दिन पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस दवा की तारीफ की थी. ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने कुछ दिन पहले ही एक स्टडी में दावा किया था कि डेक्सामेथासोन (Dexamethasone) नामक स्टेराइड के इस्तेमाल से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु दर एक तिहाई तक कम किया जा सकता है. कोरोनोवायरस (Covid-19) रोगियों के लिए, दवा सस्ती है और 10 टेबल की एक पट्टी के लिए 3 रुपये से कम खर्च होती है.

दशकों से कम लागत वाली इस दवा का उपयोग अस्थमा, एक्जिमा, एलर्जी, गठिया आदि जैसी स्थितियों के उपचार के लिए भी किया जाता है. ये गोली ओरल टैबलेट, आई ड्रॉप और ईयर ड्रॉप के रूप में बाजार में उपलब्ध रहती है.

कुछ ही दिन पहले ही सोधकर्ताओं ने एक शोध किया था, जिसमें सख्ती से जांच करने और औचक तौर पर 2104 मरीजों को दवा दी गयी और उनकी तुलना 4321 मरीजों से की गयी, जिनकी साधारण तरीके से देखभाल हो रही थी. दवा के इस्तेमाल के बाद श्वसन संबंधी मशीनों के साथ उपचार करा रहे मरीजों की मृत्यु दर 35 फीसदी तक घट गयी. जिन लोगों को ऑक्सीजन की सहायता दी जा रही थी, उनमें भी मृत्यु दर 20 फीसदी कम हो गयी.

उधर, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोविड-19 संक्रमण से उबर चुके लोगों के रक्त से एंटीबॉडी की खोज की है, जिसका पशुओं और मानव कोशिकाओं पर परीक्षण किये जाने पर यह सार्स-कोव-2 से बचाव में बहुत कारगर साबित हुई हैं. अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, कोविड-19 रोगियों को सैद्धांतिक रूप से बीमारी के शुरुआती स्तर पर एंटीबॉडी इंजेक्शन लगाए गए, ताकि उनके शरीर में वायरस के स्तर को कम करके उन्हें गंभीर हालत में पहुंचने से बचाया जा सके.

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