Vishal Jethwa:होमबाउंड का वह सीन फिल्म में मेरे लिए सबसे मुश्किल बन गया था

होमबाउंड के एक्टर विशाल जेठवा ने इस इंटरव्यू में फिल्म से जुड़े अनुभवों को साझा किया है

By Urmila Kori | October 11, 2025 4:01 PM

vishal jethwa :निर्देशक नीरज घेवान की हालिया रिलीज फ़िल्म होमबाउंड ऑस्कर 2026 में भारत की आधिकारिक एंट्री बन जबरदस्त सुर्खियां बटोर रही हैं .इस फ़िल्म की आत्मा चन्दन का किरदार है ,जिसे अभिनेता विशाल जेठवा ने निभाया है. विशाल की उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश 

आपके परफॉरमेंस को लेकर मिला अब तक का बेस्ट कॉम्प्लीमेंट क्या रहा हैं ?

मैं सभी का बेहद शुक्रगुजार हूं कि मेरा परफॉरमेंस सभी को इतना पसंद आ रहा है. मुझे बहुत सारे अच्छे अच्छे कॉम्प्लीमेंट मिले हैं, लेकिन सबसे खास एक है ,हालांकि मुझे लगता है कि मैं इसके काबिल नहीं हूं. कइयों का कहना है कि होमबाउंड में मेरी परफॉरमेंस देखकर उन्हें इरफ़ान खान की याद आती है. मैं अगला इरफ़ान खान हूं.

कान फ़िल्म फेस्टिवल,मार्टिन स्कोर्सेसे,ऑस्कर नॉमिनेशन एक साथ इतने माइलस्टोन के इस फ़िल्म से जुड़ना कितना ख़ास है ?

एक एक्टर के तौर पर सिर्फ़ मेरा नहीं बल्कि हर एक्टर का ये सपना होता है और मैं इस सपने को जी रहा हूं. इससे अच्छी बात क्या हो सकती है .मैं लोअर मिडिल क्लास परिवार से आता हूं. चाल में रहता था.एक वक्त प्लेन में अपनी माँ के साथ बैठना ही मेरे लिए सपने जैसा था. इंडस्ट्री में डेढ़ दशक से ज़्यादा समय तक हूं .काम के लिए मुझे विदेश जाने क़ा कभी मौक़ा नहीं मिला .इस फ़िल्म के ज़रिए मैं एक नहीं बल्कि पाँच अलग- अलग देशों की यात्रा कर चुका हूं . वो भी अपने माँ के साथ बिजनेस क्लास में. आप समझ सकती हैं कि मेरे लिए ये सब कितना ख़ास है.

फ़िल्म के ऑस्कर में जाने की बात को मालूम पड़ी तो आपका रिएक्शन क्या था ?

मैंने अपनी माँ को तुरंत कॉल किया क्योंकि वो मेरी सबकुछ हैं और ये ख़ुशी मैंने उनके साथ शेयर की .हमने बहुत सारी बातें की,फिर हम फैमिली से मोबाइल के ज़रिये जुड़े और अपनी ख़ुशी पूरे परिवार के साथ सांझा की. मुझे लगता है कि असली ख़ुशी परिवार के साथ शेयरिंग में है. आप सबसे ज्यादा अपने परिवार का साथ चाहते हैं. उम्मीद करता हूँ कि होमबाउंड अवार्ड जीत कर इतिहास रचे,लेकिन मैं चाहता हूँ कि सबसे ज्यादा डिजर्विंग फ़िल्म को अवार्ड मिले .चाहे वह भारत की हो या किसी और देश की .सही फ़िल्म जीते . मैं यही चाहता हूँ.उससे ज़्यादा कि मेरी उम्मीद नहीं है .

फ़िल्म में आपके किरदार को अपनी पहचान को जाहिर करने से एक तरह की असुरक्षा की भावना है रियल लाइफ में कभी ख़ुद को लेकर असुरक्षा की भावना रही है क्या ?

हाँ शुरुआत में मैं अपनी अंग्रेज़ी भाषा को लेकर बहुत असुरक्षित महसूस करता था . मुझे लगता था कि बॉलीवुड की जिस तरह से क्लासी अंग्रेजी है.वैसी मेरी नहीं है लेकिन बदलते वक्त के साथ मैंने अपनी असुरक्षा पर काम किया . ख़ुद को एक्सेप्ट किया .आख़िरकार ख़ुद को एक्सेप्ट करने से अच्छी बात क्या सकती है .

किरदार को लेकर क्या तैयारी थी ?

बहुत सारी तैयारी अलग – अलग लेवल पर हुई है .सबसे पहले मुझे अपना वजन कम करना पड़ा ताकि हमारी बॉडी उत्तर प्रदेश के रहने वाले किसी गांव के लड़के की तरह लगे. हमने वहाँ के रहने वाले लोगों के साथ समय बिताया ताकि उनकी बॉडी लैंग्वेज और डायलेक्ट को समझ सकें .उनकी सोच को समझ सके .दो से तीन महीने तक यह पूरी ट्रेनिंग चली थी .

यह दोस्ती की कहानी है आपकी और ईशान खट्टर की ऑफ स्क्रीन बॉन्डिंग कैसी थी ?

हमारी बॉन्डिंग बहुत जल्द ही गहरी वाली बन गयी थी.मेरे कुछ सीन्स अगर अच्छे बनें तो उसमें ईशान का योगदान बहुत था. क्लाइमेक्स वाला सीन तो मुश्किल था ही मेरे लिए वह सीन भी बहुत मुश्किल था. जब मेरा नाम पुलिस भर्ती में आ गया था लेकिन ईशान का नहीं आया था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे रिएक्शन दूं. ईशान की वजह से मैं वह परफॉर्म कर पाया क्योंकि उसने वैसा रिएक्शन दिया.

नीरज के साथ काम के अनुभव को आप किस तरह से परिभाषित करेंगे ?

नीरज के साथ काम करने की सबसे अच्छी बात ये है कि उनके सेट पर कोई बड़ा छोटा नहीं है . लाइट बॉय से लेकर स्पॉटबॉय तक हर किसी को आपके उनके नाम से बुलाना है .उनका मानना है कि हर किसी का फ़िल्म में एक समान योगदान होता है .हर कम्युनिटी के लोग उनकी फ़िल्म के सेट पर होते हैं . बहुत ही अलग उनके सेट का माहौल होता था .