Techno culture of Berlin : अनूठा है बर्लिन का इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक

कहते हैं म्यूजिक की कोई भाषा नहीं होती, न ही यह किसी देश या सीमा को मानता है. म्यूजिक तो बस अपनी अंतर आत्मा में उतर गहन शांति अनुभव करने का माध्यम है. परंतु इसे वही समझ सकता है जो म्यूजिक से प्यार करता है. ऐसे म्यूजिक लवर को, जिन्हें Western Music से विशेष लगाव […]

By Aarti Srivastava | April 12, 2024 2:37 PM

कहते हैं म्यूजिक की कोई भाषा नहीं होती, न ही यह किसी देश या सीमा को मानता है. म्यूजिक तो बस अपनी अंतर आत्मा में उतर गहन शांति अनुभव करने का माध्यम है. परंतु इसे वही समझ सकता है जो म्यूजिक से प्यार करता है. ऐसे म्यूजिक लवर को, जिन्हें Western Music से विशेष लगाव है, बर्लिन के अनूठे Electronic Music के बारे में अवश्य जानना चाहिए. अपने अनूठेपन के लिए इस संगीत को इस वर्ष यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में भी शामिल किया गया है.

क्या है टेक्नो संस्कृति

टेक्नो एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक संगीत है. संगीत की इस शैली की उत्पत्ति 1980 के दशक के मध्य से अंत तक अमेरिका के मिशिगन प्रांत के डेट्रॉयट में हुई थी. वर्ष 1980 के दशक के अंत में संगीत की यह अनूठी शैली पश्चिम जर्मनी में आयी. आज यह संगीत जर्मनी की राजधानी बर्लिन की पहचान है. टेक्नो संस्कृति को लेकर आज बर्लिन को जो स्थान प्राप्त है, उसे फलने-फूलने में काफी समय लगा और समय के साथ बर्लिन टेक्नो संगीत की निर्विवाद राजधानी बन गयी.

बर्लिन की दीवार का संगीत से गहरा संबंध

वर्ष 1989 के नौ नवंबर को बर्लिन की दीवार गिरने के बाद जब पूर्वी और पश्चिमी बर्लिन एक हो गये, तो इलेक्ट्रॉनिक संगीत का एक ऐसा समां बंधा जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था. वास्तव में, इस दीवार के गिरने के बाद यहां के अनेक खाली पड़े और लावारिस भवनों को अस्थायी नाइट क्लबों में बदल दिया गया और वहां अवैध पार्टियों का आयोजन करने वाले युवाओं ने कब्जा कर लिया. जाहिर सी बात है, उन युवाओं में संगीत से गहरा लगाव रखने वाले युवा भी शामिल होंगे. बाद में इन अवैध स्थलों से एक नये तरह के क्लब का जन्म हुआ. पावर प्लांट, बंकर, हैंगर और अंडरग्राउंड स्टेशन टेंपररी क्लब बन गये. बर्लिन के पुनर्मिलन के बाद शांति और मुक्ति का जश्न पार्टियों के साथ लगातार मनाया जाने लगा.

तीन क्लबों की महत्वपूर्ण भूमिका

पूर्वी बर्लिन की दीवार के पास बनाये गये तीन विशिष्ट क्लब- ट्रेसर, डेर बंकर और ई-वर्क- ने बर्लिन में टेक्नो संगीत और क्लब संस्कृति की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभायी थी. ट्रेसर की शुरुआत यूफो क्लब के रूप में हुई. आज इस क्लब का जो आयोजन स्थल है, वह 2007 में मिट्टे में फिर से खोला गया. डेर बंकर अब बंद हो चुका है, और ई-वर्क का उपयोग इन दिनों एक सामान्य स्थल के रूप में किया जाता है.

लोगों की रुचियों को समझने से मिली सफलता

वे लोग, जो बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वहां अवैध पार्टियां करते थे, वे आजकल बर्लिन के अधिकतर सफल टेक्नो संगीत स्थलों के मालिक हैं. वास्तव में ये लोग इस बात को समझ गये थे कि वे अपनी अवैध गतिविधियों को सफल व्यावसायिक अवसरों में कैसे बदल सकते हैं और उन्होंने ऐसा ही किया. आरंभिक दिनों में ही उन्होंने म्यूजिक लवर को सैटिसफाई करने का तरीका जान लिया था. इसके बाद उन्होंने एक क्लब का परिवेश तैयार किया, जहां हर कोई घर जैसा महसूस कर सके और जैसे वे हैं वैसे ही रह सकें. वे अपने इस कार्य में इसलिए सफल हुए, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक संगीत की उत्पति के समय से ही वे अच्छी तरह जानते थे कि क्लब जाने वाले क्या चाहते हैं और वे यह भी जानते हैं कि आज भी लोग क्या चाहते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक संगीत के उत्थान में लव परेड की भूमिका महत्वपूर्ण

बर्लिन में इलेक्ट्रॉनिक संगीत के उत्थान में लव परेड का आयोजन मील का पत्थर साबित हुआ. इस परेड का आयोजन पहली बार जुलाई 1989 में पश्चिम बर्लिन में किया गया और लव परेड के सह-संस्थापक डॉ मोट्टे की पहल पर 150 लोगों ने तब इस कार्यक्रम में भाग लिया था. भारी साउंड सिस्टम के साथ ट्रकों ने मध्य बर्लिन के सड़क स्ट्राबे डेस 17. जूनी तक की यात्रा की, जिसके बाद हजारों नर्तक आये. वर्ष 2007 में यह परेड रुहर क्षेत्र में चली गयी. हालांकि भारी भीड़ को देखते हुए अंततः 2010 में यह परेड रद्द कर दी गयी, क्योंकि भीड़ के कारण 21 लोगों की मौत हो गयी थी.

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