EXCLUSIVE : रिचा चड्ढा बोलीं- किसी धमकी से नहीं डरती हूं, शादी के बारे में एक्ट्रेस ने कही ये बात

Richa Chadda Interview : लीग से हटकर फिल्मों और किरदारों के ज़रिए हिंदी सिनेमा में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्शाने वाली अभिनेत्री रिचा चड्ढा (Richa Chadda) जल्द ही पॉलिटिकल ड्रामा फ़िल्म मैडम चीफ मिनिस्टर में नज़र आनेवाली हैं. उनकी फिल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत...

By कोरी | January 20, 2021 12:44 PM

Richa Chadda Interview : लीग से हटकर फिल्मों और किरदारों के ज़रिए हिंदी सिनेमा में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्शाने वाली अभिनेत्री रिचा चड्ढा (Richa Chadda) जल्द ही पॉलिटिकल ड्रामा फ़िल्म मैडम चीफ मिनिस्टर में नज़र आनेवाली हैं. उनकी फिल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…

शकीला के बाद आपकी फ़िल्म मैडम चीफ मिनिस्टर रिलीज हो रही है?

बहुत अच्छा लग रहा है. पिछले साल सभी लोग घर पर बैठे थे. मुझे खुशी है कि जो भी काम किया था जो रुका हुआ था कोरोना की वजह से वह धीरे धीरे रिलीज हो रहा है. हां ये ज़रूर चाहूंगी कि लोग थिएटर में फ़िल्म देखने जाए. मैंने हाल ही टेनेंट्स देखी थी थिएटर में. काफी अच्छा सुरक्षा का इंतजाम है.

मैडम चीफ मिनिस्टर में तारा के किरदार ने क्या चुनौतियां आपके समक्ष रखी?

बहुत ही टॉमबॉय वाला किरदार है. अपने मन की करती है. उसे लगता नहीं है कि उसके हुलिए में कोई परेशानी है. बाल बॉय कट रखे हैं. बाइक चलाती है. सलमान खान का ब्रेसलेट पहनती है. स्टूडेंट पॉलिटिक्स से उठकर जब ये लड़की मुख्यमंत्री बन जाती है, उसी की बहुत ही रोचक कहानी ये फ़िल्म है. जब मुझे ये फ़िल्म आफर हुई तो मुझे लगा कि मैं इसके साथ कुछ खास कर सकती हूं. इसकी जो बोली है, वेस्टर्न यूपी का जो लहजा है. उसपर काम करने में मुझे बहुत मज़ा आया. बाइक चलाना सीखा. 1981 की बाइक है एचडी अब तो वो बाइक दिखती भी नहीं है. उसे चलाना सीखा. जाति समीकरण को समझा किस तरह से उस आधार पर वोट दिए जाते हैं.

फ़िल्म उत्तर प्रदेश की सीएम मायावती पर आधारित बतायी जा रही है?

ये फ़िल्म मायावतीजी पर आधारित नहीं है. फ़िल्म के ट्रेलर में ही तारा का किरदार शादी करते दिखाया जा रहा है. यह फ़िल्म काल्पनिक है. हां फ़िल्म देखते हुए आपको लगेगा कि ये दृश्य जयललिता जी की कहानी से प्रेरित है तो ये ममता बनर्जी की स्ट्रीट पॉलिटिक्स के अंदाज़ को सीक्वेंस जाहिर कर रहा है. मायावती जी के शुरुआती दिनों के संघर्ष भी है एकाध सीन में. लेखक और निर्देशक ने भारत की तमाम महिला लीडर्स से कुछ कुछ लेकर इस किरदार को बनाया है.

आपकी पसंदीदा महिला लीडर्स कौन हैं?

महुआ मित्रा के व्यंग करने की क्षमता और इंटेलीजेंसी से प्रभावित हूं. वह डरती नहीं हैं बेबाक बोलती हैं. मैं दिल्ली सरकार में अतिशी के काम को पसंद करती हूं. वो शिक्षा में बहुत अच्छा काम कर रही हैं.

Also Read: सुनील ग्रोवर ने बताया- कपिल शर्मा से नहीं हो सकते कभी नाराज, बोले- कॉमेडी किंग की ये एक चीज है पसंद

रिचा निजी तौर पर आपकी क्या पॉलिटिकल आइडियलॉजी है?

मैं चाहती हूं कि हमारे देश का संविधान सबसे ऊपर हो. उससे ऊपर कोई नेता,कोई पुलिस,कोई पार्टी ना हो. डेमोक्रेसी की कोई भी ब्रांच संविधान से ऊपर ना हो. हर कोई संविधान को मानें. मुझे लगता है कि शांतिप्रिय हर नागरिक यही चाहता है.

आपके पास क्रिएटिविटी की पावर है अगर पॉलिटिकल पावर या कहे सत्ता का पावर मिले तो क्या बदलना चाहेंगी?

दो तीन चीज़ें तो मैं ज़रूर करना चाहूंगी. यूएस में यह ज़रूरी हो गया है कि हर पुलिस वाला कैमरा ज़रूर पहनेंगे ताकि पुलिस भी निगरानी में रहे. यह भारत में भी ज़रूरी होना चाहिए. शिक्षा को प्राथमिकता दूंगी क्योंकि उसी को हथियार बनाकर हम अपने अधिकारों को पा सकते हैं. तीसरी बात हमें ये समझने की ज़रूरत है कि हमारा देश डेवलपिंग कंट्री है. हमारी इकोनॉमी जहां पहुँचनी चाहिए वहां पहुंची नहीं है. पिछले कुछ सालों में तो और बुरा हाल है उसपर काम करने की ज़रूरत है. चौथी चीज़ पर्यावरण की रक्षा अभी हम धर्म,जाति के लड़ रहे हैं वो दिन दूर नहीं जब पानी के लिए लड़ेंगे.हर राज्य को अपने स्तर पर काम करने की ज़रूरत है. पर्यावरण सीधे तौर खेती पर असर डालता है और खेती से खाने पीने की चीज़ें महंगी होती है.उससे इकोनॉमी भी जुड़ी है. इतनी बातें कह दी लेकिन मैं ये भी कहूंगी कि सत्ता या कहे राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है.

क्या आपको लगता नहीं कि आप जैसी सोच वाले लीडर्स को राजनीति को ज़रूरत है?

किस पार्टी में जाऊं. मैं किसी पार्टी को सपोर्ट भी करूं तो मालूम पड़ेगा कि चुनाव के दो दिन बाद वो विपक्षी पार्टी से हाथ मिला लेती है तो किस आईडियलॉजी को सपोर्ट करूं. मुझे लगता है कि मुझ जैसी सोच रखने वालों को एनजीओ के साथ मिलकर देशहित में काम करना चाहिए. वहां से थोड़ा बदलाव आ सकता है नेतागिरी से नहीं . उनका तो धंधा बस सत्ता है. एक संस्था है महाराष्ट्र में जो बच्चों के लिए इको फ्रेंडली स्कूल महाराष्ट्र में बना रही हैं तो उनकी मदद मैं बीच बीच में करती हूं.

इस फ़िल्म के निर्देशक सुभाष कपूर हैं जिन पर मी टू का आरोप लग चुका है,फ़िल्म को हां कहते हुए संशय में थी?

नहीं ,दो बातें थी जो उनका केस है वो अभी भी चल रहा है. उन्होंने कभी भी लीगल प्रोसेस में हिस्सा लेने से मना नहीं किया. कोर्ट को फैसला सुनाने दीजिए. मीडिया और सोशल मीडिया के ट्रायल्स के मैं हमेशा से खिलाफ रही हूं. दूसरी बात जो उनके केस में विक्टिम हैं उन्होंने खुद कहा है कि मैं नहीं चाहती कि कोई उनके साथ काम ना करें. मैं कोर्ट से न्याय चाहती हूं. इस बात के साथ मैं ये भी कहूंगी कि उनका सेट मुझे काफी लेफ्टिस्ट लगा. लड़के लड़कियां बराबर हैं. देखकर लगा नहीं कि कोई लाइन क्रॉस कर जाएगा. उस तरह का वर्क कल्चर बनाने में टाइम जाता है.

आपकी फ़िल्म को लेकर कुछ संगठन आपको जान से मारने की भी धमकी दे रहे हैं?

फ़िल्म और फ़िल्म स्टार्स को टारगेट करना आसान है. मैं नहीं डरती हूं.

क्या इस साल शादी करेगी?

अभी वैक्सीन सभी को लग जाने दीजिए उसके बाद तय करेंगे. मैं पंजाबी हूं हमारे यहां शादियां कैसी होती हैं सभी को पता है. बोल नहीं सकती कि आप उम्रदराज हैं मत आइए ये मत कीजिए. हम तो पूरे धमाल के साथ शादी करते हैं.

क्या आप वैक्सीन जल्द से जल्द लगाने वाली हैं?

कोई हड़बड़ी नहीं है पहले सभी नेताओं को लग जाने दीजिए वैक्सीन फिर लगवाएंगे.

Posted By: Divya Keshri

Next Article

Exit mobile version