De De Pyaar De 2 Review :बेमेल जोड़ी की इस प्रेम कहानी को एक मौका दिया जा सकता है

अजय देवगन,आर माधवन और रकुलप्रीत सिंह की फिल्म दे दे प्यार दे 2 को देखने की प्लानिंग है तो इससे पहले पढ़ लें यह रिव्यु

By Urmila Kori | November 14, 2025 2:52 PM

फिल्म – दे दे प्यार दे 2
निर्माता -लव रंजन
निर्देशक -अंशुल शर्मा
कलाकार – अजय देवगन, रकुलप्रीत सिंह,आर माधवन,गौतमी कपूर, जावेद जाफरी, मीजान जाफरी,इशिता,सुहासिनी मुले और अन्य
प्लेटफार्म – सिनेमाघर
रेटिंग -ढाई

de de pyaar de 2 review :छह साल पहले आयी फिल्म दे दे प्यार दे का सीक्वल सिनेमाघरों में दस्तक दे चुका है. प्यार में उम्र की सीमा नहीं होती है. ये हम अक्सर सुनते आये हैं लेकिन अगर लवर्स के बीच जेनरेशन गैप हो तो.. इस रिलेशनशिप को दे दे प्यार दे में कॉमेडी और इमोशन दोनों के साथ एक्सप्लोर किया गया था.सीक्वल का भी वही सुर है.फर्स्ट हाफ मजेदार है,सेकेंड हाफ में कुछ खामियां रह गयी लेकिन यह फिल्म एंटरटेन करती है इसलिए इस सीक्वल फिल्म को एक मौक़ा दिया जा सकता है.

बेमेल जोड़ी की प्रेम कहानी

पिछली बार कहानी जहां खत्म होती है.वही से यह सीक्वल की कहानी शुरू होती है. पिछली फिल्म में आशीष (अजय देवगन ) आएशा (रकुलप्रीत सिंह ) के साथ शादी की अप्रूवल लेने के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के पास गया था. इस बार कहानी आएशा के परिवार के पास पहुँच गयी है.अब आशीष और आएशा को उनका अप्रूवल चाहिए. आयशा के पापा (माधवन )और मम्मी (गौतमी ) खुद को एजुकेटेड, मॉडर्न और खुले विचारों का बताते हैं,लेकिन जब बेटी अपनी उम्र से दुगुना बड़े आशीष से शादी करने की बात रखती तो यह सारे खुले विचार संकीर्ण हो जाते हैं. वह इस बेमेल शादी के ना सिर्फ सख्त खिलाफ हैं, बल्कि आयशा और आशीष के बीच दूरियां लाने के लिए आयशा के बचपन के दोस्त आदित्य (मीजान जाफरी )को लेकर आते हैं. क्या आशीष और आएशा के रिश्ते में दूरियां आएंगी. यही फिल्म की आगे की कहानी है.

फिल्म की खूबियां और खामियां

एज गैप वाली लवस्टोरी में हिंदी सिनेमा ने पहले भी हाथ आजमाया है. चीनी कम में कॉमिक तरीके से तो निशब्द में संजीदा ढंग से. दे दे प्यार दे दोनों ट्रीटमेंट के मेल से बनायी गयी है.फिल्म की शुरुआत अच्छी है. फर्स्ट हाफ आपको बांधे रखता है. बेमेल जोड़ी की प्रेमकहानी को लेकर परिवार की सोच और समाज के नज़रिये को सिंपल लेकिन मज़ेदार तरीके से फर्स्ट हाफ में दिखाया गया है. फर्स्ट हाफ में एक के बाद एक कॉमेडी सीक्वेंस आते रहते हैं.आशीष की उम्र जानना हो, इशिता का बाप बेटी की लड़ाई रोकने के लिए डिलीवरी का बहाना बनाना हो या अजय के किरदार का दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे का राज बन जाना.ये सब आपको हंसाते रहते हैं. इस दौरान फिल्म के संवाद बेहद दिलचस्प हैं.दिक्कत सेकेंड हाफ से शुरू होती .जब कॉमेडी के साथ साथ फिल्म की कहानी इमोशनल ट्रैक को अपनाती है. कई बार सवाल मन में आता है कि क्या प्यार में चीटिंग भी जायज है.प्यार के लिए लड़ना बेहद जरूरी है,लेकिन जब प्यार किसी और का प्यार बन जाए तब. खैर कहानी में इस पर ज्यादा काम नहीं हुआ है.क्लाइमेक्स के ज़रिये इस सवाल को टाल दिया गया है. गौतमी का किरदार भी माधवन के साथ आशीष और आएशा के रिश्ते के खिलाफ था तो वह फिर क्यों अचानक से आएशा की प्लानिंग से जुड़ जाती है.फिल्म की स्क्रिप्ट इसको भी बताना जरुरी नहीं समझती है.फिल्म में लंदन और चंडीगढ़ की दूरी दिल्ली और चंडीगढ़ बना दिया गया है. फिल्म के संवाद कहानी से ज्यादा प्रभावी हैं. तकनीकी पहलू की बात करें तो फिल्म एडिट की जा सकती है.सेकेंड हाफ स्लो हो गया और फिल्म खींची हुई जान पड़ती है. गीत संगीत के लिहाज से यह फिल्म पिछली फिल्म का जादू दोहरा नहीं पायी है.सेट ,कॉस्ट्यूम और लोकेशन आँखों को अच्छे लगते हैं.

स्टारकास्ट शानदार रही है

अजय देवगन के लिए फिल्म में कुछ खास करने को नहीं था.उन्होंने अपने किरदार को संजीदगी के साथ जिया है. इससे इंकार नहीं है. इस फिल्म में आर माधवन की एंट्री नयी हुई है और वह अपने बढ़िया अदाकारी से आपको बांधे रखते हैं.उनका अभिनय फिल्म की यूएसपी है. रकुलप्रीत को फिल्म में परफॉर्म करने का अच्छा मौक़ा मिला है. उन्होंने उसे अच्छे से निभाने की कोशिश की है.हां इमोशनल सीन में वह कमजोर रह गयी हैं .जावेद जाफरी,मीजान जाफरी, गौतमी ,इशिता, सुहासिनी सहित बाकी के किरदारों ने अपनी भूमिका के साथ बखूबी न्याय किया है.उनकी मौजूदगी फिल्म को मनोरंजक बनाती है.