Interview: दीपिका पादुकोण के जेएनयू दौरे पर रिचा चड्ढा ने कही ये बात
कंगना रनौत की फ़िल्म ‘पंगा’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है. फिल्म में अभिनेत्री रिचा चड्ढा अहम भूमिका में नज़र आ रही हैं. रिचा फ़िल्म के विषय को अहम करार देती हैं. वो बताती हैं कि ये फ़िल्म महिलाओं को फिर से खेलों से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगी जो सोचती हैं कि शादी […]
कंगना रनौत की फ़िल्म ‘पंगा’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है. फिल्म में अभिनेत्री रिचा चड्ढा अहम भूमिका में नज़र आ रही हैं. रिचा फ़िल्म के विषय को अहम करार देती हैं. वो बताती हैं कि ये फ़िल्म महिलाओं को फिर से खेलों से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगी जो सोचती हैं कि शादी और माँ बनने के बाद वो खेल नहीं सकती हैं. उर्मिला कोरी से खास बातचीत…
फ़िल्म में आपको क्या अपील कर गया ?
एक एक्टर के तौर पर मैं अपनी हर फिल्म से कुछ सीखना चाहती हूं और ये फ़िल्म मुझे कबड्डी सीखने का मौका दे रही थी इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है. मैंने बकायदा ट्रेनिंग ली है. रायपुर, रांची, पटना के कई कबड्डी प्लेयर्स की देखरेख में. फ़िल्म का कांसेप्ट भी बहुत खास है. ये फ़िल्म इस सोच पर ये चोट करती है जो लोग ये बोलते हैं कि मां बनने के बाद औरतें शारीरिक तौर पर कमज़ोर हो जाती हैं. उसके बाद वह स्पोर्ट्स जैसे मुश्किल चीज़ें नहीं कर पाएगी.
कंगना के साथ आपका कैसा अनुभव रहा, आपके अनबन की खबरें भी आयी ?
हम दोनों बहुत ही प्रोफेशनल हैं. अपना काम हम अच्छे से जानते हैं. हमारा पर्सनल रिश्ता नहीं है लेकिन प्रोफेशनल हम बहुत अच्छे है. कैमरे के सामने हम अच्छे थे बस यही बात फ़िल्म के लिए ज़रूरी थी.
क्या फ़िल्म में आपके और नीना गुप्ता के बीच सीन्स हैं ?
मैं उनकी फैन रही हूं. उनकी फिल्म सूरज का सातवां घोड़ा से लेकर जाने भी दो यारों तक उनका हर काम मुझे पसंद है. उनका शो सांस भी बहुत अच्छा था. बहुत ही प्रोग्रेसिव शो था. वे सही मायनों में फेमिनिस्ट हैं. उन्होंने अकेले जिस तरह से अपनी बेटी मसाबा को पाला है, उनकी जितनी तारीफ की जाए वो कम है.
मौजूदा दौर में कोई डायरेक्टर जिसके साथ काम करने की आपकी ख्वाइश है ?
गली बॉय देखने के बाद मैं जोया अख्तर की मुरीद हो गयी थी. जो लोग जोया की आलोचना करते थे कि वे सिर्फ अमीर लोगों की ही फ़िल्म बना सकती हैं. ये फ़िल्म जवाब थी. फ़िल्म की कहानी धारावी पर आधारित थी.
अली फ़ज़ल और आप कब शादी करने वाले हैं ?
शादी की अभी तक कोई प्लानिंग नहीं है. हम दोनों अपनी आजादी को एन्जॉय कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि हम कमिटमेंट से डर रहे हैं. अली जेंटलमैन हैं बहुत शिक्षित और चार्मिंग हैं. ऐसे लोग आज के समय में बहुत कम मिलते हैं. मैं उनके साथ खुश हूं.
आप सोशल मुद्दों पर हमेशा मुखर रही हैं दीपिका बीते दिनों जेएनयू में गयी थी जिस पर बहुत चर्चा हुई थी ?
मैं हमेशा से अपनी सोच को सामने लाने में यकीन करती हूं. एक भारतीय नागरिक होने के नाते सरकार से हम सम्मान के पूरे हकदार हैं. आप सिविल सर्वेंट हैं आपकी ड्यूटी है कि हमें सर्विस दो. ये एकदम सिंपल बात है. अपने पावर का इस्तेमाल सोच समझकर कीजिए. जहां तक दीपिका की बात है मैं दीपिका के सपोर्ट में हूं जो लोग ये कह रहे थे कि दीपिका ने फ़िल्म के प्रमोशन के लिए ऐसा किया उन्हें समझने की ज़रूरत है कि फ़िल्म के प्रमोशन के दौरान हम कुछ नहीं बोल सकते हैं क्योंकि उसका सीधा असर फ़िल्म पर पड़ेगा ये हमें पता होता है इसलिए मैं दीपिका को बहादुर करार दूंगी. मेरी माँ एक प्रोफेसर हैं. जेएनयू में जब मैंने प्रोफेसर को खून में सना देखा तो मैं भी बहुत आहत हुई थी. जो भी हालात हैं उससे मैं गुस्से में हूं. सरकार बदलाव लाना चाहती है तो लाए लेकिन उनकी भी तो सुनें जिन्होंने वोट देकर आपको जीताया है.
इनदिनों बायोपिक का ट्रेंड हैं किसी खास इंसान की बायोपिक आप करना चाहेंगी ?
बहुत ही लंबी लिस्ट है. सावित्री बाई फुले बनना चाहूंगी. मीना कुमारी की ज़िन्दगी के कई अनछुए पहलुओं को हम नहीं जानते हैं उनके पीने की लत सहित और भी बहुत कुछ है जिसके बारे में फ़िल्म में दिखाया जा सकता है. उसके अलावा ममता बनर्जी,जयललिता,शीला दीक्षित इनकी भी बायोपिक मैं करना चाहूंगी. आप भले ही इनकी सोच से सहमत ना हो लेकिन जिस तरह से इनकी जर्नी रही है।वह साधारण नहीं थी.
अपनी अब तक की जर्नी को किस तरह से देखते हैं ?
अब तक की जर्नी उतार चढ़ाव से भरी रही है. मेरी हर गलती से मैंने सीखा है. अपनी गलती के लिए अगर मैं जिम्मेदार हूं तो अपनी सफलता के लिए भी मैं होउंगी. अपनी इस जर्नी में कई खास पल अनुभव किए. फ़िल्म मसान के लिए कान में हमें स्टैंडिंग ओवेशन मिला था. वो कभी ना भूलने वाला पल मेरी ज़िंदगी का था.