भारतीयता को कायम रखना भारतीय सिनेमा की जिम्मेदारी : वेंकैया नायडू

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने फ़िल्मों को सामाजिक बदलाव में अहम भूमिका निभाने वाला एक सशक्त माध्यम बताते हुए सोमवार को 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में कहा कि ‘‘भारतीयता को कायम रखने की जिम्मेदारी भारतीय सिनेमा की है, इसलिये फिल्म जगत को अश्लीलता और हिंसा को बढ़ावा देने वाली फिल्मों के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 24, 2019 11:47 AM

नयी दिल्ली : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने फ़िल्मों को सामाजिक बदलाव में अहम भूमिका निभाने वाला एक सशक्त माध्यम बताते हुए सोमवार को 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में कहा कि ‘‘भारतीयता को कायम रखने की जिम्मेदारी भारतीय सिनेमा की है, इसलिये फिल्म जगत को अश्लीलता और हिंसा को बढ़ावा देने वाली फिल्मों के बजाय परिवार और समाज को सुदृढ़ बनाने वाले भारतीय मूल्यों के प्रति लोगों को जागरुक करने वाली फिल्में बनाना चाहिये.”

नायडू ने कहा कि भारतीय सिनेमा, दशकों से देश में कुप्रथाओं का अंत करने और महिला सशक्तिकरण का सार्थक संदेश देने में कारगर हथियार की भूमिका निभाता रहा है और अपेक्षा है कि इस जिम्मेदारी का निर्वाह आगे भी जारी रहेगा.

उन्होंने स्वच्छता अभियान को कारगर बनाने का संदेश देने वाली फिल्म ‘टॉयलेट : एक प्रेम कथा’ का जिक्र करते हुये कहा कि फिल्मों के माध्यम से सामान्य से विषय पर भी प्रभावी संदेश दिया जा सकता है. नायडू ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भारत के प्राकृतिक सौंदर्य के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार करने के लिए फिल्म उद्योग और सरकार के बीच सहयोग की बहुत संभावना है. आवश्यक है कि सरकार और फिल्म उद्योग इस दिशा में मिल कर प्रयास करें.”

इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर की फ़िल्मों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए फ़िल्म डिवीज़न द्वारा ‘रियल सिंगल विंडो’ शुरू किए जाने की घोषणा की. जावड़ेकर ने फिल्मों को भारत की मजबूत ‘सॉफ्ट पावर’ बताते हुये कहा कि विषयवस्तु के लिहाज से समय के साथ फिल्मों का आयाम निरंतर व्यापक हो रहा है. अब सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों के अलावा पर्यावरण, विज्ञान और खेल सहित अन्य गैर पारंपरिक विषयों पर भी बेहतरीन फिल्में बन रही हैं.

उन्होंने कहा कि फिल्मों के लगातार व्यापक होते फलक को देखते हुये सरकार ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म जगत के लिये भारत में फिल्म बनाने के वास्ते ‘सिंगल विंडो’ सुविधा शुरु की है. इसकी मदद से फिल्मकारों को तमाम प्रकार की मंजूरी लेने की औपचारिकताओं की पूर्ति के लिये किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी. इस अवसर पर नायडू ने फ़िल्म जगत में रचनात्मकता का प्रदर्शन करने वाले श्रेष्ठ कलाकारों सहित विभिन्न लोगों को अलग अलग श्रेणियों में 66वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों से नवाज़ा.

फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहब फाल्के अवार्ड 2018′ हिंदी सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन को फिल्म क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाना था लेकिन अस्वस्थता के कारण बच्चन समारोह में शिरकत नहीं कर सके. बच्चन ने रविवार को ही बीमार होने के कारण सम्मान ग्रहण करने के लिए दिल्ली पहुँचने में असमर्थता व्यक्त की थी.

नायडू ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार वितरित करने के बाद अपने संबोधन के शुरु में ही भारतीय सिनेमा को अमिताभ बच्चन के उल्लेखनीय योगदान का जिक्र करते हुये उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की.

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं भारतीय सिनेमा के शिखर पुरुष श्री अमिताभ बच्चन जी को प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के सम्मान से सम्मानित किए जाने पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता हूं.’ समारोह के अंत मे जावड़ेकर ने बताया कि बच्चन को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 दिसंबर को एक संक्षिप्त समारोह में दादा साहब पुरस्कार प्रदान करेंगे.

उपराष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण में सिनेमा की प्रभावी भूमिका का जिक्र करते हुये कहा कि यह जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नहीं है बल्कि समाज को प्रभावित करने वाले सशक्त माध्यम के रूप में फिल्मों की भी है कि महिलाओं को भारतीय परंपरा में प्रतिष्ठित ‘शक्तिरुप’ में पेश करें। उन्होंने फिल्म जगत के लोगों से भारतीयता के मूल्यों को विस्तार देने के लिये मिशन की तरह काम करने की अपील करते हुये कहा, ‘‘सिनेमा, क्षेत्रीय या धार्मिक अंतर नहीं मानता है. वह भावनाओं की भाषा को अभिव्यक्ति देने का सशक्त माध्यम है, जो सीधे हृदय के मर्म को स्पर्श करती है.”

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