EXCLUSIVE: आमिर खान ने इसलिए ”ठग्‍स ऑफ हिंदोस्‍तान” में पहनी नोजपिन

आमिर खान इनदिनों फिल्‍म ‘ठग्‍स ऑफ हिंदोस्‍तान’ को लेकर सुर्खियों में हैं. ‘राजा हिंदुस्तानी’ की रिलीज के दो दशक बाद आमिर खान की ‘ठग्‍स ऑफ हिंदोस्‍तान’ दीवाली पर रिलीज हो रही है. आमिर उम्मीद करते हैं कि यह फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ से ज्यादा कामयाब हो. वह इस फिल्म को लेकर लार्जर देन लाइफ फिल्म करार […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 6, 2018 8:57 AM

आमिर खान इनदिनों फिल्‍म ‘ठग्‍स ऑफ हिंदोस्‍तान’ को लेकर सुर्खियों में हैं. ‘राजा हिंदुस्तानी’ की रिलीज के दो दशक बाद आमिर खान की ‘ठग्‍स ऑफ हिंदोस्‍तान’ दीवाली पर रिलीज हो रही है. आमिर उम्मीद करते हैं कि यह फिल्म ‘राजा हिंदुस्तानी’ से ज्यादा कामयाब हो. वह इस फिल्म को लेकर लार्जर देन लाइफ फिल्म करार देते हैं. वे कहते बहुत सालों के बाद मैंने मेन स्ट्रीम मसाला फिल्म की है. जिसमें कोई सोशल मैसेज नहीं है इसलिए थोड़ा नर्वस भी हूं. आमिर खान की उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

‘ठग्स ऑफ हिंदोस्तान’ में आपको क्या खास लगा?

जब मुझे विक्टर ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट सुनायी तो मुझे अपने किरदार से प्यार हो गया. मुझे लगता है कि आज तक हिंदुस्तानी परदे पर इतना निगेटिव हीरो देखा नहीं गया है. डर और बाजीगर जैसे फिल्मों में हीरो पूरा निगेटिव था. यह नॉन हीरो है. इसमें इमोशनल कनेक्शन नहीं है. दूर से यह अच्छा लगता है, लेकिन पास आने के बाद पाते हैं कि यह तो दोस्त बनकर भी आया तो आपको तबाह कर जायेगा .

फिल्म का लुक पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन और आपका किरदार जैक स्प्रेरो से मिलने की बातें आम हैं?

पाइरेट्स ऑफ कैरेबियन से बिल्कुल अलग ठग्स ऑफ हिंदुस्तान की कहानी है. शिप की वजह से दोनों की तुलना हो रही है. जैक और मेरे किरदार में समानता बस एक है. दोनों बदमाश हैं बस. इस फिल्म को देखने के बाद आप जैक स्प्रेरो को भूल जायेंगे. जिस तरह से विक्टर ने लिखा है कि वह जैक से ज्यादा बेहतर है.

आपकी फिल्मों में आपके बहुत सारे इनपुट्स होते हैं. इस पीरियड फिल्म में आपके क्या इनपुट्स थे?

यह एक पीरियड फिल्म है. लेकिन सबकुछ फिक्शनल है. इसलिए मुझे निजी तौर पर कुछ भी रिर्सच नहीं करना पडा. जो भी रिर्सच किया वो आर्टवर्क और कॉस्टयूम टीम ने की. हां जो नोजपिन मैंने पहनी है. वो मेरा आयडिया है. उसको डिजाइन भी मैंने ही किया है. दरअसल जब मैं दूसरी क्लास में था. हमारे क्लास में एक बच्चा आया था. जिसने नोजपिन पहनी थी. पूरी क्लास को बहुत उत्सुकता हुई. उससे पहले हमने ऐसा कुछ देखा नहीं था. वो लड़का मेरा दोस्त बन गया.जब इस फिल्म में नोजपिन पहनने का मुझे मौका मिला तो मुझे अच्छा लगा क्योंकि इससे किरदार में एक तीखापन आता है. जो भी नोजपिन की डिजाइन कॉस्टयूम टीम लेकर आ रही थी. वो मुझे पसंद नहीं आ रही थी. मैंने अपने दूसरी क्लास वाले दोस्त से उसकी पुरानी फोटो मांगी जिसमें उसने नोजपिन नहीं थी लेकिन उसके पास नहीं थी तो मैंने खुद से याद करके डिजाइन करके डिजाइनर टीम को वैसा ही बनाने को कहा. नाक को छेद करवाने में उतना दर्द नहीं हुआ. जितना कान को. वो तो तकिये से भी छू जाता तो दुखने लगता था.

इस फिल्म में आपने अमिताभ बच्चन के साथ स्क्रीन शेयर किया है. क्‍या कहना चाहेंगे ?

अमित जी के साथ काम करना लाइफटाइम अचीवमेंट है. मैं सालों के साथ उनके साथ काम करना चाह रहा था. एक फिल्म पर सालों पहले हमारी बात चली भी थी इंद्र कुमार की थी, लेकिन वह फिल्म नहीं बन पायी.आखिरकार इस फिल्म से मुझे चांस मिला. तो मैंने उनको अकेला छोड़ा ही नहीं सेट पर. मैं उनके साथ ही बैठता था. उनको मैं हजारों सवाल पूछता रहता था. हम लोग माल्टा में थे तो मैं अमित जी के होटल रुम में जाकर बैठ जाता था. एक दिन मैंने कहा कि चलिए सर फिल्म देखने चलते हैं. (हंसते हुए) उन्होंने मुझे यूं देखा . मैंने कहा कि सर, हमें कहां मौका मिलेगा फिल्म देखने का. मेरे बार-बार आग्रह करने पर वह मान गए. उन्होंने कहा कि गाड़ी बुलाते हैं. मैंने कहा नहीं सर हम पैदल चलते हैं फिर देखा उन्होंने मुझे. पैकअप शूट का हो चुका था. सिक्योरिटी चली गयी थी. मैंने कहा कि सर किसी की जरुरत नहीं है. माल्टा में हमें कौन जानता है फिर हम गये वंडर वूमन फिल्म थी. मैं फिल्म देखते हुए चुपचाप नहीं रह सकता हूं. मैं बहुत ही ज्यादा रिएक्ट करता हूं. गाली वाली भी दे देता हूं. रोता भी हूं हंसता भी. परदे पर किरदारों के साथ मैं बात भी करता हूं. मैं पूरी तरह से फिल्म से जुड़ जाता हूं. एक वक्त था जब मैं डर गया और अमित जी का हाथ पकड़कर चिल्लाने लगा.(हंसते हुए) मेरा रिएक्शन इतना इंस्टेंट था कि वो भी डर गए और चिल्लाने लगे फिर मैंने उनसे माफी मांगी.

शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन से आपने क्या सीखा और क्या आप पहले शॉट के दौरान नर्वस थे?

वो रिर्हसल बहुत करते हैं. मुझे लगता था कि मैं ही सबसे ज्यादा रिर्हसल करता हूं, लेकिन वो मुझसे ज्यादा करते हैं. वो शॉट से पहले तकरीबन 50-60 बार लाइन बोलते रहते हैं जब तक उन्हें शॉट के लिए बुलाया न जाये वो अपनी लाईनें दोहराते रहते हैं. पहले शॉट ही नहीं मैं तो फिल्म की शूटिंग को लेकर नर्वस था. खासकर ये सोचकर कि मैं सर के सामने सिगरेट पी सकता हूं क्या. मैंने इसके लिए शाहरुख से बात की थी. उसने सर के साथ फ़िल्म की है. मैंने उसको कहा कि शाह तुम पीते थे क्या सिगरेट सर के सामने. उसने बोला सर बहुत कूल हैं चलता है. अगर डांटेंगे तुमको तो फिर मत पीना. यह बात अमित सर को मालूम पड़ गयी थी. उन्होंने वंडर वूमन जब हम फिल्म देखने गये थे तो उन्होेंने हंसते हुए कहा कि आप मेरे सामने सिगरेट पी सकते हैं. मुझे दिक्कत नहीं, लेकिन सिगरेट आपकी सेहत के लिए हानिकारक है.

दीपावली से जुड़ी क्या यादें हैं ?

दीपावली के दिन एक रात के लिए मैं जुआरी बन जाता हूं. मैं जीतता कम हूं, लेकिन मुझे मजा आता है. 16 साल की उम्र से दीपावली के दिन जुआ खेलता आ रहा हूं. पहले तीन पत्ती खेला करता था. उस वक़्त पूरे शाम का मेरा बजट एक हज़ार रुपये होता था. एक या दो रुपये की एक बाज़ी होती थी. एक रुपया ब्लाइंड.सीन टू दो रुपये का होता था. अब हजार रुपये एक चाल होती थी. वैसे अब मैं तीन पत्ती नहीं पोकर खेलता हूं. पोकर कमाल का गेम है. उसमे लक से ज्यादा स्ट्रेटजी और माइंड गेम होता है इसलिए मुझे पसंद है. मैं सभी को दीपावली की शुभकामनाएं देना चाहूंगा. पटाखों से खुद को दूर रखें मुझे यह पैसों की बर्बादी लगते हैं अगर आपको जलाना भी है तो रोशनी वाले पटाखे जलाइये आवाज वाले नहीं. बचपन में मैं फुलझड़ी, चकली, सांप वाले ही पटाखे जलाता था. जिसमें आवाज नहीं आती थी.

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