Actress Richa Soni: बिहार सिर्फ जगह नहीं, मेरी पहचान है
अभिनेत्री रिचा सोनी ने इस इंटरव्यू में अपने शो ‘घरवाली पेड़वाली’ के अलावा बिहार और अपने कैरियर पर भी बात की है
actress richa soni :भाग्यविधाता फेम अभिनेत्री रिचा सोनी इन दिनों एंड टीवी के शो ‘घरवाली पेड़वाली’ में रीता पांडे की भूमिका में नजर आ रही हैं. अपने 20 साल के एक्टिंग करियर में रिचा के लिए यह पहला मौका है, जब वह पर्दे पर कॉमेडी करती दिख आ रही हैं.बिहार के मुजफ्फरपुर से ताल्लुक रखने वाली रिचा ने अपने नए शो के अलावा बिहार से अपने जुड़ाव को भी याद किया.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
एकादशी पर नहीं खाती चावल
‘घरवाली पेड़वाली’ एक सुपरनेचुरल कॉमेडी शो है. मैं मानती हूं कि अच्छी चीजें होती हैं, तो बुरी चीजें भी होती हैं. काली बिल्ली रास्ता काट ले, तो लोग रास्ता बदल लेते हैं. ये सब बातें हम देखते और सुनते आये हैं. मैं अपनी निजी जिंदगी में इन चीजों को नहीं मानती. मेरी परवरिश जैसी हुई है, उसी के अनुसार मैं कुछ चीजें मानती हूं, जैसे घर पर पूजा-पाठ करना, एकादशी के दिन चावल न खाना. ये सब मैं फॉलो करती हूं.
ऑडिशन से मिला है शो
इस शो में रीटा के किरदार के लिए 80 लोगों का ऑडिशन हुआ था, जिसमें से मेरा सेलेक्शन हुआ. रीटा के किरदार के लिए एक्टर्स फाइनल नहीं हो पा रहे थे, जिसकी वजह से शो में देरी हुई. मैंने बस मजे के लिए ऑडिशन दिया था, हालांकि उस ऑडिशन को मैंने खूब एंजॉय किया. मैंने ऑडिशन दिया और अगले ही दिन मेरा सेलेक्शन हो गया.
सोशल मीडिया वाले ऐसा प्यार नहीं समझ सकते
इंडस्ट्री में 20 साल होने को हैं. इस दौरान कई अच्छे बदलाव हुए हैं, पर कुछ बुरे भी हुए हैं. आजकल सोशल मीडिया के जरिये लोगों को कास्ट किया जाता है. देखा जाता है कि आपके कितने फॉलोअर्स हैं, कितने लाइक्स आते हैं. मैंने तो रियल फैन और स्टारडम देखा है. जब भाग्यविधाता कर रही थी, उस वक्त मैं चार धाम की यात्रा पर थी, द्वारिकाधीश की यात्रा में. वहां 40 से 50 औरतों ने मुझे गोदी में उठा लिया था. मैंने रियल फैंस को देखा और मेरी आंखों में आंसू आ गये थे. यह प्यार सोशल मीडिया वाले कभी समझ नहीं सकते.
ऐसे शोज को कर देती हूं मना
अपनी अब तक की जर्नी में मैं अपने प्रोजेक्ट्स बहुत सोच-समझकर चुनती आयी हूं. मैं ओटीटी करना चाहती हूं, पर पर्दे पर बोल्ड सीन नहीं कर सकती. यह शादी होने की वजह से नहीं, बल्कि मेरी हमेशा से यही सोच रही है. टीवी पर बेचारी और अत्याचार सहती रोल्स मैं मना कर देती हूं. मैं सशक्त किरदार करना चाहती हूं. औरतें वैसे भी दिन में सौ चीजें एडजस्ट करती हैं, इसलिए स्क्रीन पर भी उन्हें केवल वही दिखे, एक औरत के तौर पर नहीं चाहती हूं.करियर के शुरुआत में ऐसे किरदार किये थे. अब नहीं करना चाहती हूं.अब ऐसे किरदार करना चाहती हूं, जो महिलाओं को प्रेरित करें.
निजी जिंदगी और कपड़ों को लेकर खबरों में नहीं रहना
मैं अपनी शादी,अपने जीवनसाथी इन सबके बारे में बात करना पसंद नहीं करती हूं.कुलमिलाकर मुझे अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात करना पसंद नहीं है. मैं चाहती हूं कि लोग मेरे काम से जाने ना कि मेरी निजी जिंदगी के बारे में बात करके मैं खबरों में रहूं. आजकल तो लोग अपने कपड़ों से खबरों में बने रहते हैं. मैं इस तरह की मार्केटिंग में यकीन नहीं हूं. सिर्फ अपने काम से अपनी पहचान चाहती हूं.
बिहार से रहेगा हमेशा कनेक्शन
बिहार होमटाउन है. उससे कनेक्शन रहा है और रहेगा. मैंने अपनी मां के लिए वहां घर बनाया है, जो मुझे बहुत ख़ुशी देता है. पापा नहीं रहे, लेकिन मां के लिए बिहार आती-जाती रहती हूं. मैं आज जो भी हूं- मेरी सोच, मेरी पर्सनालिटी इन सबमें बिहार की अहम भूमिका है.बिहार सिर्फ जगह नहीं, मेरी पहचान है
