पटना सुन रहा हॉलीवुड सिंगर को, इंग्लिश और रॉक बैंड बने नयी पसंद

पटना : जस्टिन बीवर, जेनिफर लोपेज, शकीरा, कैटी पेरी, बियोंसे, लेडी गागा, ये ऐसे नाम हैं जो अपरिचित नहीं हैं. राजधानी के युवा इनकी धुनों पर गा रहा है, इंग्लिश-विंग्लिश सुनकर झूम रहा है और पाश्चात्य धुनों से खुद को जोड़कर इंटरनेशनल बिरादरी के साथ कदमताल कर रहा है. इन्हें ट्रेंड्स में लाया है राजधानी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 24, 2019 9:27 AM

पटना : जस्टिन बीवर, जेनिफर लोपेज, शकीरा, कैटी पेरी, बियोंसे, लेडी गागा, ये ऐसे नाम हैं जो अपरिचित नहीं हैं. राजधानी के युवा इनकी धुनों पर गा रहा है, इंग्लिश-विंग्लिश सुनकर झूम रहा है और पाश्चात्य धुनों से खुद को जोड़कर इंटरनेशनल बिरादरी के साथ कदमताल कर रहा है. इन्हें ट्रेंड्स में लाया है राजधानी में इंग्लिश और रॉक बैंड के ग्रुप्स ने. ये ग्रुप्स फेमस हॉलीवुड गायकों के गीतों को सुना रहे हैं और उन्हीं धुनों पर झूमने को मजबूर कर रहे हैं. यही कारण है कि राजधानी के विभिन्न टेक्निकल इंस्टीट्यूशन में इनके शोज आयोजित होते हैं और इनमें हॉलीवुड गायकों के गीतों की खूब डिमांड रहती है. यही नहीं अंग्रेजी सीखने के लिए भी इनके गानों को नयी पीढ़ी सुन रही है.

अंग्रेजी गानों से सीख रहे इंग्लिश

आज के इस बदलते दौर में युवा दुनिया से कंधे से कंधा मिलाकर चलने की होड़ में अंग्रेजी सीखने पर जमकर जोर दे रहे हैं. शायद यही कारण है कि ज्‍यादातर इंग्लिश स्पीकिंग क्लासेस में छात्रों के साथ-साथ नौकरी करने वाले लोग और हाउस वाइफ आती हैं. इंग्लिश को सुनकर सीखना सबसे बेहतर तरीका समझा जाता है. इससे सबसे बड़ा फायदा उच्‍चारण सुधारने में होता है. इसलिए इंग्लिश गानों को क्रेज बढ़ रहा है. एक ऐसा ही इंस्टीट्यूट चलाने वाले मनोज कुमार कहते हैं कि वे अपने छात्रों को सलाह देते हैं कि जब भी फुर्सत में हैं तो अपने हेडफोन में पसंद के अनुसार कुछ अंग्रेजी गाने डाउनलोड करके सुनते हुए जाएं. इससे अंग्रेजी काफी अच्छी हो जायेगी.

टेक्निकल इंस्टीट्यूट में सबसे ज्यादा फेस्ट आयोजित होते हैं

पटना में पिछले पांच सालों में टेक्निकल एजुकेशन के इंस्टीट्यूट की संख्या बढ़ी है. पहले जहां एकाध संस्थान होते थे वहीं अब यहां राष्ट्रीय स्तर की संस्थाएं काम कर रही हैं. मसलन आइआइटी, एम्स, निफ्ट, एनआइटी, डीएमआइ, सीआइएमपी, सीएनएलयू, बीआइटी आदि इंस्टीट्यूशंस इस ट्रेंड्स को स्थापित करने में अपना योगदान दे रही हैं. इन सभी इंस्टीट्यूशन में जो भी सालाना, छह महीने पर या तीन महीने पर विभिन्न प्रकार के फेस्टिवल्स आयोजित होते हैं उनमें अंग्रेजी गानों पर क्रेज देखते ही बनता है. हमने जब कुछ छात्रों से बात की तो उनका कहना था कि जब भी कार्यक्रम होते हैं तो लड़के-लड़कियों की डिमांड होती है कि जो भी बैंड आये वह जरूर इंग्लिश गानों पर परफॉर्म करे.

क्या कहते हैं वेस्टर्न म्यूजिक लवर?
-एनआइटी से पासआउट अभिषेक कुमार झा कहते हैं कि एक वक्त था कि हमारे सिटी के यूथ म्यूजिक को लेकर केवल बॉलीवुड के ही क्रेजी हुआ करते थे. अब दौर बदल चुका है. अब सबके हाथ में तकनीक के आने से स्थितियां बदल चुकी है. वे न केवल ऑनलाइन वेस्टर्न म्यूजिक सुनते हैं बल्कि उसे जीते भी हैं. सभी इंस्टीट्यूशन में इसकी मांग बढ़ चुकी है.

-बीआइटी से जुड़े दीपक राव कहते हैं कि अब ट्रेंड बदल रहा है. रॉक बैंड की बहुत ज्यादा डिमांड है. अंग्रेजी सीखने और इंटरनेशनल ट्रेंड्स के साथ जुड़े रहने की चाहत के कारण लोगों का वेस्टर्न म्यूजिक से लगाव बढ़ रहा है. 2016 बीआइटी टेक फेस्ट में बतौर महासचिव हमने वेस्टर्न म्यूजिक कंसर्ट भी कराया था.

कहते हैं बैंड संचालक : अंग्रेजी गानों के प्रति हद दर्जे तक दीवानगी

राजधानी में इस बढ़ते ट्रेंड के बारे में सिक्स्टी नाइंथ माइल बैंड के प्रोपराइटर संगीत राज कहते हैं कि पटना में वेस्टर्न म्यूजिक थीम की खूब डिमांड रहती है. जिस म्यूजिक में बेस ज्यादा रहता है, वे फरमाइश लिस्ट में टॉप पर होते हैं. यंगस्टर क्राउड हमसे यही डिमांड करती है. निफ्ट और एनआइटी के फेस्ट में यह देखने को मिलता है. वे कहते हैं कि अंग्रेजी सीखने वाले स्टूडेंट्स भी पढ़ने से ज्यादा सुनकर सीखते हैं. वे बोलने के तरीके खासकर उच्चारण जानते हैं और उसे अपनाते भी हैं. वहीं खामोश बैंड के अर्शिल कहते हैं कि पटना में अंग्रेजी गानों में रॉक म्यूजिक का ट्रेंड ज्यादा है. इवेंट मैनेजमेंट टीम की ओर से जब भी हमे हायर किया जाता है तो हमसे कहा जाता है कि आप अंग्रेजी गानों के साथ ही आइएगा. इस कारण हम इस बाबत पूरी तैयारी के साथ जाते हैं.

Next Article

Exit mobile version