Oscar अवार्ड लेकर हापुड़ पहुंचीं बेटियां, जोरदार स्वागत

91वें अकादमी पुरस्कार समारोह में फिल्म ‘पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस’ को डॉक्यूमेंटरी शॉर्ट सब्जेक्ट श्रेणी में ऑस्कर मिला. देश की राजधानी दिल्ली से 60 किलोमीटर दूर बसेउत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के गांव काठी खेड़ा से बनी फिल्म को सर्वोच्च सम्मान से देश में खुशी का माहौल है, तो वहीं अपने गांव वापस लौटी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 4, 2019 11:19 PM

91वें अकादमी पुरस्कार समारोह में फिल्म ‘पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस’ को डॉक्यूमेंटरी शॉर्ट सब्जेक्ट श्रेणी में ऑस्कर मिला. देश की राजधानी दिल्ली से 60 किलोमीटर दूर बसेउत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के गांव काठी खेड़ा से बनी फिल्म को सर्वोच्च सम्मान से देश में खुशी का माहौल है, तो वहीं अपने गांव वापस लौटी बहू और बेटी का शहर के लोगों ने जगह-जगह जोरदार स्वागत किया.

शॉर्ट फिल्म ‘पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस’ में अहम भूमिका निभाने वाली काठीखेड़ा निवासी स्नेह और सुमन के सोमवार को गांव लौटने पर जोरदार स्वागत किया गया. सुबह से उनके इंतजार में पलकें बिछाये खड़े लोगों ने ढोल-नगाड़ों से स्वागत कियागया. डासना से लेकर काठीखेड़ा गांव तक करीब 24 जगहों पर पुष्प वर्षा की गई. वहीं, हापुड़ शहर में रोड शो निकाला गया.

बता दें कि अमेरिका से लौटकर स्नेह और सुमन रविवार को ही दिल्ली पहुंच गयी थीं. दिल्ली में उनका स्वागत किया गया. वहां से सोमवार को उन्हें हापुड़ पहुंचना था. उनके स्वागत की तैयारियां पहले ही की जा चुकी थी. सुबह से ही लोग जगह-जगह जुटने शुरू हो गए.

मालूम हो कि डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस’ को अमेरिका में ऑस्कर अवार्ड से नवाजा गया था, यह फिल्म गांव काठी खेड़ा निवासी स्नेहा व सुमन के ऊपर बनायी गई थी. फिल्म को ऑस्कर अवार्ड मिलने के बाद से ही जनपद हापुड़ और गांव पूरे विश्व की नजर में आया है. स्नेहा का कहना है कि में जब वह एक छोटे से गांव से निकलकर ऑस्कर अवार्ड जीत सकती हूं तो देश की हर बेटी ऐसा कर सकती है.

हापुड़ में रहनेवाली महिलाओं की जिंदगी पर बनायी गयी इस शॉर्ट फिल्म की कार्यकारी निर्माता भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा हैं. इसका निर्देशन रायका जहताबची और मैलिसा बर्टन ने किया है.

फिल्म की कहानी ऐसी ग्रामीण महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनके गांव में पहली बार सैनिटरी पैड बनानेवाली मशीन लगायीजाती है. धीरे-धीरे वे माहवारी के दौरान के हाइजिन को लेकर जागरूक होती हैं और खुद पैड बनाने का काम शुरू करती हैं.

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