VIRAL SONG : मजहब की बंदिशों को तोड़ता कल्पना पटवारी का छठपर्व का ये वीडियो

बिहार में कई मुसलिम परिवार भी शिद्दत के साथ छठ का त्यौहार मनाते हैं. प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी ने एक म्यूजिक वी़डियो लांच कर छठ के प्रति मुसलिम परिवार के आस्था को दर्शाने की कोशिश की है. मुसलिम परिवारों द्वारा सालों से निभाये जा रहे इस परंपरा को गाने के रूप देकर तैयार वीडियो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2017 1:39 PM

बिहार में कई मुसलिम परिवार भी शिद्दत के साथ छठ का त्यौहार मनाते हैं. प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी ने एक म्यूजिक वी़डियो लांच कर छठ के प्रति मुसलिम परिवार के आस्था को दर्शाने की कोशिश की है. मुसलिम परिवारों द्वारा सालों से निभाये जा रहे इस परंपरा को गाने के रूप देकर तैयार वीडियो इन दिनों यू – ट्यूब में खूब सराही जा रही है. बेहद कर्णप्रिय म्यूजिक के साथ तैयार किये गये इस वीडियो में कल्पना की आवाज भक्तिमय माहौल तैयार करती है, जिसे देख आपको एकबारगी अहसास होगा कि छठ पर्व सिर्फ जाति ही नहीं बल्कि मजहब की हदबंदियों को भी तोड़ती है, जो पूरे बिहार केस्वस्थ परंपरा की प्रतीक है.

https://www.youtube.com/watch?v=JG-qK3vgI_o?ecver=2

वीडियो में एक मुसलिम परिवार को छठ के दौरान होने वाले तमाम रीति – रिवाज को निभाते दिखाया गया है. फिल्मांकन, गायन और म्यूजिक में बिहार की छाप दिखेगी और संगीत आपके दिल तक उतरकर रोमांचित करती है.
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कल्पना ने शेयर किये अपने अनुभव
म्यूजिक वीडियो का परिचय देते हुए कल्पना पटवारी ने लिखा है -पिछले साल तक मुझे पता नहीं था कि महात्मा गाँधी का सत्याग्रह आन्दोलन बिहार की पावन धरती चम्पारण से शुरू हुई थी. यह बात पता लगने पर मैं सांगीतिक श्रद्धांजलि के रूप में चम्पारण सत्याग्रह नामक ऑडियो-विजुअल तैयार करना जरूरी समझी..महज दो महीने पहले प्रख्यात निर्देशिका और मेरी प्यारी सहेली श्रुति वर्मा से मुझे पता लगा कि बिहार में कई वर्षों से सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी छठ व्रत करते हैं.यह सुनकर मैं चकित और हैरान रह गयी.
बिहार के उन मुस्लिम महिलाओं को चरण स्पर्श करने को जी चाहा… और एक स्त्री के रूप में यह सहज एहसास हुआ कि एक बांझ की कोई जाति या धर्म नहीं होता है. ये समाज का दिया हुआ एक ऐसा असहनीय गाली है जो हर जाति-धर्म के स्त्री को आस्था के अलग-अलग दरवाजों के सामने नतमस्तक होने को मजबूर कर देती है. और छठ मैया हर धर्म के स्त्री की व्यथा को सुन भी लेती हैं.. बहुतों की गोद भी भर देती हैं. मेरा बिहार सर्वधर्म सम्मेलन का पावन स्थान है,देश के लिए एक अनोखा मिसाल है.. मेरा बिहार ही मेरे जीवन का आधार है…