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UPSC Success Story: विदेशी पढ़ाई से UPSC तक का सफर, जानें IAS सृष्टि मिश्रा की कामयाबी की कहानी

UPSC Success Story: विदेश से पढ़ाई करके भारत लौटीं सृष्टि मिश्रा ने UPSC में 95वां रैंक हासिल कर प्रेरणा दी. लगातार मेहनत और परिवार के सहयोग से उन्होंने अपनी असफलताओं को पार किया और अपनी सफलता की कहानी लिखी, जो सभी UPSC उम्मीदवारों के लिए इंस्पिरेशन हैं.

By Pushpanjali | May 23, 2025 11:45 AM
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UPSC Success Story: जीवन में सफलता आसान नहीं होती, लेकिन सही दिशा में मेहनत और निरंतर प्रयास से हर मुश्किल पार की जा सकती है. UPSC जैसी कठिन परीक्षा में बेहतर परिणाम पाने के लिए समर्पण, धैर्य और आत्मविश्वास की जरूरत होती है. फरीदाबाद की सृष्टि मिश्रा ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए इन सभी गुणों को अपनाया और कठिनाइयों को पीछे छोड़ते हुए 95वीं रैंक हासिल कर एक मिसाल कायम की. उनकी कहानी हर उस छात्र के लिए प्रेरणा है जो मेहनत के दम पर सफलता की ऊंचाइयों को छूना चाहता है.

विदेश से भारत वापसी और तैयारी की शुरुआत

फरीदाबाद के सेक्टर 88 की अमोलिक सोसाइटी में रहने वाली सृष्टि मिश्रा ने विदेश में अपनी पढ़ाई पूरी की और 2018 में भारत लौट कर UPSC की तैयारी शुरू की. उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में 95वीं रैंक हासिल कर सबके सपनों को सच कर दिखाया. सृष्टि के पिता आदर्श कुमार मिश्रा भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं और ब्राजील में तैनात हैं. यूपी के जौनपुर की रहने वाली सृष्टि ने ग्रेटर फरीदाबाद में अपनी मौसी के साथ रहकर स्नातक की पढ़ाई पूरी की और फिर UPSC की तैयारी में जुट गईं.

परिवार का सपनों का सच होना

सृष्टि ने बताया कि उनके परिवार का सपना था कि वह IAS या IPS बन कर देश की सेवा करें. रोजाना आठ से दस घंटे पढ़ाई करने वाली सृष्टि को पिता से बहुत प्रेरणा मिली. कठिन दौर में भी वे अपनी मंजिल से कभी पीछे नहीं हटीं.

असफलता से न घबराना, फिर से प्रयास करना जरूरी

पहले प्रयास में सृष्टि प्रीलिम्स परीक्षा क्लियर नहीं कर पाईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अगले दिन से ही अपनी तैयारी को दोगुना कर दिया और दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की. उनकी इस लगन ने साबित कर दिया कि निराशा के बाद भी मेहनत से मंजिल पाई जा सकती है.

पढ़ाई के दौरान आराम के लिए खास तरीकों का इस्तेमाल

सृष्टि ने बताया कि जब पढ़ाई में थकावट होती तो वे नावल पढ़तीं और क्लासिकल डांस करती थीं. यह उनके लिए मानसिक ताजगी का जरिया था, जिससे वे फिर से पूरी ऊर्जा के साथ पढ़ाई में लग जाती थीं.

परिवार और समर्थन का अहम योगदान

सृष्टि ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ-साथ अपनी तीन मौसियों – सुनीता पांडेय, अनीता मिश्रा, सोनी त्रिपाठी, मौसेरे भाई उपेन्द्र पांडेय और परिवार के अन्य सदस्यों को दिया. उनका सहयोग और प्रोत्साहन सृष्टि के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा.

युवाओं के लिए प्रेरणा

सृष्टि मिश्रा की यह सफलता कहानी युवाओं को यह संदेश देती है कि मेहनत, लगन और हिम्मत से कोई भी कठिन लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. असफलता से घबराने की बजाय उससे सीखें और आगे बढ़ें, यही सफलता की कुंजी है.

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