Success Story: केवल IAS ही नहीं, बल्कि दो बार Mount Everest फतह करने वाले भारत के पहले अधिकारी!
Success Story: बिहार के एक छोटे से गांव से निकलकर माउंट एवरेस्ट फतह करने और IAS अधिकारी बनने तक का सफर आसान नहीं था. रविंद्र कुमार की कहानी मेहनत, साहस और लगन की मिसाल है. आज वे बरेली के जिलाधिकारी के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
Success Story: बिहार के बेगूसराय जिले के छोटे से गांव चेरिया बरियारपुर से निकलकर माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई छूना और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में नाम कमाना, यह कहानी है रविंद्र कुमार की. आज वे आजमगढ़ के जिलाधिकारी (DM) के रूप में कार्यरत हैं और हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.
गांव से IIT तक
रविंद्र कुमार का बचपन एक साधारण किसान परिवार में बीता. पढ़ाई की लगन शुरू से ही थी. उन्होंने गांव में शुरुआती शिक्षा लेने के बाद 1999 में IIT प्रवेश परीक्षा पास की. हालांकि, इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने मर्चेंट नेवी में करियर चुना. मुंबई के टीएस चाणक्य संस्थान से पढ़ाई कर वे 2009 तक मर्चेंट नेवी में चीफ ऑफिसर रहे.
UPSC की ओर रुख
लेकिन समुद्र की लहरों से आगे उनकी मंजिल कहीं और थी. 2009 में नेवी छोड़कर उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की और 2011 में IAS अधिकारी बन गए. उनकी पहली पोस्टिंग सिक्किम कैडर में हुई, जहां उन्होंने SDM से लेकर एडवेंचर संस्थान के निदेशक तक की जिम्मेदारियां निभाईं. 2016 में उनका ट्रांसफर उत्तर प्रदेश में हुआ.
दो बार फतह किया माउंट एवरेस्ट
2013 और फिर 2015 में उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई कर इतिहास रच दिया. पर्वतारोहण का शौक उन्हें 2011 में सिक्किम भूकंप के समय राहत कार्यों में भाग लेने के दौरान हुआ. उन्होंने हिमालय पर्वतारोहण संस्थान से ट्रेनिंग ली और कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी.
आजमगढ़ के डीएम
आज रविंद्र कुमार आजमगढ़ के डीएम के रूप में कार्य कर रहे हैं. वे मानते हैं कि “चोटी पर खड़े होकर जो शांति और विशालता दिखाई देती है, वही दृष्टिकोण एक अच्छे प्रशासनिक अधिकारी के लिए जरूरी है.”
उनकी कहानी यह साबित करती है कि सपने चाहे जितने बड़े हों, सच्ची मेहनत से उन्हें पूरा किया जा सकता है.
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