ऑनलाइन एलएलबी डिग्री मान्य नहीं, नौकरी के साथ गलती से भी न करें यह पढ़ाई

Online LLB: कानून मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि देश में ऑनलाइन या पार्ट-टाइम एलएलबी डिग्री मान्य नहीं होगी. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार, लॉ की पढ़ाई में मूट कोर्ट, इंटर्नशिप और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग अनिवार्य है, जिसे ऑनलाइन माध्यम से पूरा करना संभव नहीं है.

By Pushpanjali | August 27, 2025 11:57 PM

Online LLB: देश में लॉ एजुकेशन यानी एलएलबी (LLB) की पढ़ाई की डिमांड तेजी से बढ़ी है. अब केवल युवा ही नहीं, बल्कि नौकरीपेशा लोग भी रिटायरमेंट के बाद वकालत कर नया करियर बनाने की सोच रहे हैं. इसी कारण कई लोग नौकरी करते हुए ऑनलाइन या पार्ट-टाइम एलएलबी की डिग्री लेने लगे हैं. लेकिन सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसी डिग्री मान्य नहीं होगी.

सरकार का साफ संदेश

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में कहा कि भारत में किसी भी संस्थान को ऑनलाइन या छुट्टियों में एलएलबी की पढ़ाई कराने की अनुमति नहीं है. ऐसे में जो लोग इस माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं, उनकी डिग्री को मान्यता नहीं मिलेगी.

वकालत कोई हल्का पेशा नहीं

कानून मंत्रालय ने कहा कि कई अधिकारी और प्रोफेशनल्स रिटायरमेंट के बाद वकालत करना चाहते हैं. लेकिन अगर उन्होंने ऑनलाइन डिग्री ली है तो उनकी विशेषज्ञता पर सवाल खड़े होंगे. मंत्रालय का मानना है कि वकालत कोई हल्का या गैर-गंभीर पेशा नहीं, बल्कि यह नागरिकों के जीवन और अधिकारों से जुड़ा हुआ है.

बीसीआई का रुख

मंत्रालय ने अपने बयान में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) का हवाला दिया. बीसीआई ने भी स्पष्ट कहा है कि एलएलबी की ऑनलाइन या पार्ट-टाइम पढ़ाई की इजाजत किसी भी विश्वविद्यालय को नहीं है. एलएलबी केवल डिग्री पाने का कोर्स नहीं, बल्कि न्याय प्रणाली के लिए छात्रों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया है.

ऑनलाइन क्यों नहीं संभव एलएलबी?

मंत्री मेघवाल ने संसद में बताया कि लॉ की पढ़ाई सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है. इसमें कई जरूरी गतिविधियां शामिल हैं-

  • मूट कोर्ट (नकली अदालत में बहस का अभ्यास)
  • इंटर्नशिप (वकीलों और न्यायालयों के साथ काम का अनुभव)
  • असाइनमेंट और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग

इन अनुभवों को ऑनलाइन माध्यम से पूरी तरह उपलब्ध कराना संभव नहीं है.

क्यों जरूरी हैं सख्त नियम?

सरकार का मानना है कि अगर लोग शॉर्टकट से डिग्री हासिल करेंगे तो न्याय प्रणाली का स्तर गिर सकता है. ऐसे वकील अदालत में सही तरीके से बहस करने और लोगों को न्याय दिलाने में सक्षम नहीं होंगे. इसलिए एलएलबी में कठोर नियम और उच्च मानक बनाए रखना अनिवार्य है.

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