Bharat Bandh 2025: क्या भारत बंद करना संविधान के खिलाफ है? जानिए सच्चाई
Bharat Bandh 2025: आज 9 जुलाई को देश थम जाएगा... पर क्या ये बंद संविधान की इजाजत से हो रहा है या इसके खिलाफ है? सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने खोला बड़ा राज—जानिए, कब वैध होता है विरोध और कब बन जाता है कानून का उल्लंघन.
Bharat Bandh 2025: देशभर में आज 9 जुलाई 2025 को भारत बंद का आह्वान किया गया है. यह बंद केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ विभिन्न ट्रेड यूनियनों और उनके सहयोगी संगठनों द्वारा बुलाया गया है. इस दौरान कई सेक्टरों में काम करने वाले कर्मचारी हड़ताल पर जा सकते हैं. ऐसे में आम लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है—क्या भारत बंद संवैधानिक है या असंवैधानिक?
भारत बंद क्या है?
भारत बंद एक प्रकार की हड़ताल है, जिसमें कर्मचारी एक तय समय के लिए काम बंद कर विरोध जताते हैं. यह तरीका आमतौर पर राजनीतिक या सामाजिक समर्थन के साथ होता है. खासकर दक्षिण एशियाई देशों में यह तरीका लोकप्रिय है.
क्या यह संविधान के खिलाफ है?
संविधान के अनुच्छेद 19(1)(c) के तहत सभी नागरिकों को संघ बनाने का अधिकार है. कुछ लोग भारत बंद को इसी के तहत सही ठहराते हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों से यह स्पष्ट होता है कि हड़ताल मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन विरोध करना एक वैध लोकतांत्रिक तरीका है.
सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले:
- 1961: कामेश्वर प्रसाद बनाम बिहार राज्य—कोर्ट ने कहा कि ट्रेड यूनियन को संघ बनाने का अधिकार है, लेकिन हड़ताल करना मौलिक अधिकार नहीं है.
- बीआर सिंह बनाम भारत संघ—कोर्ट ने दोहराया कि हड़ताल को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता.
निष्कर्ष
भारत बंद पूरी तरह से असंवैधानिक नहीं है, लेकिन यह एक सीमित अधिकार है. इसे शांतिपूर्वक और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित किए बिना करना जरूरी है.
Also Read: Bharat Bandh: क्या भारत बंद से प्रभावित होगा शेयर बाजार? जानिए 9 जुलाई की पूरी स्थिति
