इस राज्य की नई पहल, अब ‘मास्टर जी’ और बच्चे स्कूल में खेलेंगे Chess

Chess In Schools: पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों को शतरंज की ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वे छात्रों को भी यह खेल सिखा सकें. इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना और मोबाइल की लत छुड़ाना है. शतरंज खेलने से बच्चों में एकाग्रता, तर्क शक्ति और धैर्य विकसित होता है. दक्षिण 24 परगना जिले से शुरू हुए इस प्रोजेक्ट से स्कूलों में खेल और पढ़ाई का संतुलन बढ़ेगा.

By Shambhavi Shivani | August 17, 2025 4:00 PM

Chess In Schools: पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अब शतरंज खेलने की ट्रेनिंग दी जाएगी. शिक्षक चेस सीखेंगे और वे इसे छात्रों को सीखाएंगे. पश्चिम बंगाल के स्कूलों में ये पहल शुरू की जाएगी, जिसका उद्देश्य हैं छात्रों का स्क्रीन टाइम कम कराना. अपनी इस पहल के लिए पश्चिम बंगाल चर्चा में है. 

Chess In Schools: शतरंज के खेल में खर्च होता है दिमाग

शतरंज जिसे अंग्रेजी में चेस कहते हैं, दिमाग का खेल है. इसमें स्टैट्रेजी बहुत मायने रखती है. चेस खेलने से एकाग्रता, धैर्य और लॉजिकल थिंकिंग बढ़ती है. ऐसे में पश्चिम बंगाल में अब चेस खेलने का माहौल बनाया जाएगा, जिससे छात्रों का स्क्रीन टाइम कम हो. यह छात्रों को मोबाइल स्क्रीन से दूर रखने में मदद करेगा. 

प्वॉइंट्स में देखें 

  • पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले शुरू किया गया नया प्रोग्राम 
  • 50 स्कूलों के 55 शिक्षकों को शतरंज की ट्रेनिंग दी गई है
  • बच्चों में मोबाइल की लत छुड़ाने के उद्देश्य से उठाया गया कदम 

Chess In Schools: स्कूलों में खेल का माहौल

पश्चिम बंगाल (West Bengal Schools) के इस प्रोजेक्ट को दक्षिण 24 परगना चेस एसोसिएशन और इंस्पेक्टर के सहयोग से शुरू किया गया है. इसके तहत शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई है, जिससे वे स्कूल में शतरंज को खेल एक्टिविटी (Games Activity In school) के रूप में लागू कराने में अहम भूमिका निभाएं. 

खेल से कैसे छूटेगी फोन की आदत?

चेस जैसे गेम्स से बच्चों की सोचने-समझने, तर्क शक्ति, टीम वर्क और एकाग्रता बढ़ने की क्षमता मजबूत होती है. साथ ही इससे फोकस बढ़ता है. वहीं किसी प्रकार का गेम खेलने वाले बच्चे फोन का इस्तेमाल कम करते हैं. चेस या अन्य किसी गेम में बच्चों को शामिल करने से उनका स्क्रीन टाइम कम हो जाता है. 

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