कंप्यूटर आधारित और साल में एक से अधिक बार NEET परीक्षा लेने को लेकर बैठक सोमवार को

NEET, Computer based, National testing agency : नयी दिल्ली : जेईई (मुख्य) परीक्षा की तरह एनईईटी-यूजी की परीक्षा साल में एक से अधिक बार आयोजित किये जाने को लेकर राष्ट्रीय परीक्षण एजेन्सी सोमवार को शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2021 8:55 AM

नयी दिल्ली : जेईई (मुख्य) परीक्षा की तरह एनईईटी-यूजी की परीक्षा साल में एक से अधिक बार आयोजित किये जाने को लेकर राष्ट्रीय परीक्षण एजेन्सी सोमवार को शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे.

सोमवार को होनेवाली बैठक में दो मुख्य बिंदुओं पर बातचीत किये जाने की उम्मीद है. इनमें प्रवेश परीक्षा पेन-एंड-पेपर की जगह कंप्यूटर आधारित परीक्षा लेने और साल में एक से अधिक बार परीक्षा आयोजित करना शामिल होगा.

एनईईटी परीक्षा आयोजित करनेवाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने साल में एक से अधिक बार परीक्षा आयोजित करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख कर सुझाव मांग चुकी है. साथ ही ऑनलाइन परीक्षा की संभावनाओं पर भी विचार कर रही है.

मालूम हो कि साल 2019 में दो बार कंप्यूटर आधारित जेईई (मुख्य) परीक्षा आयोजित करने का निर्णय किया गया था. अब साल 2021 में चार बार 23 से 26 फरवरी, मार्च, अप्रैल और मई में परीक्षा आयोजित करने का निर्णय किया गया है.

अभी तक मेडिकल प्रवेश परीक्षा साल में एक बार पेन-एंड-पेपर मोड में आयोजित की जाती है. पिछले साल एनईईटी-यूजी की परीक्षा के लिए 16 लाख छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. इनमें से 13.5 लाख से अधिक उम्मीदवार शामिल हुए थे.

शिक्षाविदों का मानना है कि सिर्फ एक बार परीक्षा परिणाम खराब होने के कारण पूरे एक अकादमिक वर्ष बर्बाद नहीं होना चाहिए. इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा की तरह ही एनईईटी की परीक्षा भी आयोजित की जानी चाहिए.

शिक्षाविदों के मुताबिक, अगर नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी कंप्यूटर आधारित परीक्षा के लिए जरूरी साजो-सामान का प्रबंध कर सकता है तो इस पर विचार किया जाना बेहतर फैसला हो सकता है.

वहीं, शिक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, कंप्यूटर आधारित परीक्षा अधिक पारदर्शी होगी. मूल्यांकन प्रक्रिया में तेजी आयेगी. इससे परिणामों की घोषणा में देरी नहीं होगी. हालांकि, एनईईटी परीक्षा में अंतिम फैसला स्वास्थ्य मंत्रालय के फैसले पर निर्भर करता है.

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