ट्रंप का टैरिफ बम भारत में होगा फुस्स, फार्मा इंडस्ट्री का बाल बांका नहीं कर पाएगा 100% शुल्क
Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दवा आयात पर 100% टैरिफ लगाने का आदेश दिया है, लेकिन इसका भारतीय फार्मा इंडस्ट्री पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. फार्मा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल और विशेषज्ञों के अनुसार, भारत अमेरिका की जेनेरिक दवा आपूर्ति में महत्वपूर्ण है और टैरिफ केवल पेटेंटेड या ब्रांडेड दवाओं को प्रभावित करेगा. भारतीय कंपनियों की अमेरिकी यूनिट्स पहले से मौजूद हैं. सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं के कारण भारतीय फार्मा निर्यात अमेरिका में स्थिर रहेगा.
Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ बम भारत में ही फुस्स होने वाला है. उन्होंने दवा के आयात पर 100% टैरिफ लगाने का आदेश जारी कर दिया है. उनका यह फैसला 1 अक्टूबर से लागू होगा. उनके इस फैसले से वैश्विक फार्मा इंडस्ट्री में भले ही भूचाल आ गया है, लेकिन भारतीय फार्मा इंडस्ट्री पर इसका ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
ट्रंप के टैरिफ पर भारत की दो टूक
फार्मा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (फार्मेक्सिल) ने साफ किया है कि यह टैरिफ भारतीय कंपनियों के लिए बाधा नहीं बनेगा. दरअसल, भारतीय जेनेरिक दवाएं अमेरिका को हर साल करीब 200 अरब डॉलर की लागत बचत कराती हैं. इसी कारण अमेरिकी बाजार में उनकी मांग बनी रहेगी.
जेनेरिक दवाओं पर नहीं असर
फार्मेक्सिल अध्यक्ष नमित जोशी ने कहा, “भारत अमेरिका की लगभग 47% दवा आवश्यकताओं की आपूर्ति करता है. हमारी ताकत जेनेरिक दवाओं में है और यह टैरिफ उनका रास्ता नहीं रोक पाएगा.” भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन के अनुसार, यह कार्यकारी आदेश केवल पेटेंट और ब्रांडेड दवाओं को लेकर है. जेनेरिक निर्यात पूरी तरह अप्रभावित रहेगा.
भारत की जेनरिक दवा पर निर्भर है अमेरिका
पिछले एक दशक से अमेरिका भारतीय जेनेरिक दवाओं पर भारी निर्भर है. वहां कई भारतीय कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग और रीपैकेजिंग यूनिट्स पहले से मौजूद हैं. ट्रंप ने चेतावनी जरूर दी है कि जिन कंपनियों के पास 1 अक्टूबर तक अमेरिकी यूनिट्स नहीं होंगी, उन्हें टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है.
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ
एनटोड फार्मास्युटिकल्स के सीईओ निखिल मसुरकर का मानना है कि भारत की ताकत महंगी पेटेंटेड दवाओं में नहीं, बल्कि सस्ती जेनेरिक सप्लाई में है. यही वजह है कि भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिकी बाजार में मजबूती से टिकी रहेंगी. हालांकि, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि भारत को थोक दवाओं और एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंस) उत्पादन में अपनी लागत दक्षता बढ़ानी होगी और नए निर्यात बाजार तलाशने होंगे. कुल मिलाकर, ट्रंप के टैरिफ बम का भारतीय दवा उद्योग पर सीधा असर नहीं दिखेगा. जेनेरिक दवाओं की मजबूती और अमेरिका की उन पर निर्भरता ने भारत को इस फैसले से सुरक्षित कर दिया है.
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