रेटिंग एजेंसी फिच ने भारत के जीडीपी अनुमान में किया सुधार, लेकिन ‘बही-खाता’ को दुरुस्त करने की दी नसीहत

रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान में संशोधन किया है. फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत के जीडीपी में 9.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी. इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार के मद्देनजर रेटिंग एजेंसी ने अपने अनुमान में संशोधन किया है. लेकिन, इसके साथ ही उसने यह नसीहत भी दी है भारत को अपने 'बही-खाता' को दुरुस्त करना होगा.

By Prabhat Khabar Print Desk | December 8, 2020 11:10 PM

नयी दिल्ली : रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुमान में संशोधन किया है. फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत के जीडीपी में 9.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी. इससे पहले फिच ने भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में उम्मीद से बेहतर सुधार के मद्देनजर रेटिंग एजेंसी ने अपने अनुमान में संशोधन किया है. लेकिन, इसके साथ ही उसने यह नसीहत भी दी है भारत को अपने ‘बही-खाता’ को दुरुस्त करना होगा.

फिच ने मंगलवार को जारी अपने बयान में कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से पैदा हुई मंदी से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. ऐसे में भारत को अपने ‘बही-खाते’ को दुरुस्त करने और दीर्घावधि की योजना को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है. फिच ने कहा, ‘अब हमारा अनुमान है कि 2020-21 में भारत के जीडीपी में 9.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी.’

इससे पहले फिच ने भारत की अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था. फिच ने कहा कि आगे के वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था 11 प्रतिशत से अधिक (कोई बदलाव नहीं) और 6.3 प्रतिशत (0.3 प्रतिशत अधिक) की दर से वृद्धि दर्ज करेगी. रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि महंगाई इस समय उच्च स्तर पर है और अब इसमें गिरावट शुरू होनी चाहिए. इससे आरबीआई को साल 2021 में ब्याज दरों में कटौती करने में आसानी होगी.’

फिच तीसरी प्रसिद्ध रेटिंग एजेंसी है, जो स्टैंडर्ड एंड पूअर (एसएंडपी )और मूडीज का छोटा रूप है. दरअसल, अगर किसी कंपनी की रेटिंग एजेंसियों द्वारा अच्छी कर दी जाती है, तो उस कंपनी को बाजार से पैसे उधार मिलने शुरू हो जाते हैं. साथ ही, बाजार में अच्छी छवि के कारण इसके शेयर में तेजी देखने को मिलती है. इसलिए देश, कंपनी और व्यक्ति हमेशा अच्छी रेटिंग की खोज में रहते हैं.

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Posted By : Vishwat Sen

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