प्राइवेटाइजेशन के खिलाफ बैंक संगठनों का विरोध-प्रदर्शन, मार्च में संसद का करेंगे घेराव

एआईबीईए ने बयान में कहा कि यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियंस के बैनर तले नौ यूनियनों एआईआईबीए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ के लगभग 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी मिलकर सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar Print Desk | February 19, 2021 5:19 PM
  • नौ यूनियनों के 10 लाख बैंक कर्मचारी कर रहे हैं आंदोलन

  • 10 मार्च को बजट सत्र के दौरान संसद के सामने करेंगे धरना-प्रदर्शन

  • 15-16 मार्च 2021 को बैंकों के कर्मचारी करेंगे दो दिन की हड़ताल

नई दिल्ली : कर्मचारी संगठनों ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा निजीकरण की योजना के विरोध में शुक्रवार को सभी राज्यों की राजधानियों में विरोध-प्रदर्शन किया. इन संगठनों ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे मार्च में संसद का घेराव करेंगे. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने एक बयान में यह जानकारी दी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में अपने बजट भाषण के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी.

एआईबीईए ने बयान में कहा कि यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियंस के बैनर तले नौ यूनियनों एआईआईबीए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ के लगभग 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी मिलकर सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. एआईबीईए ने बताया कि शुक्रवार के धरने के बाद बैंक संगठन अगले 15 दिनों के दौरान देश भर में विरोध प्रदर्शन करेंगे.

बयान में आगे कहा गया कि हम 10 मार्च को बजट सत्र के दौरान संसद के समक्ष धरना प्रदर्शन करेंगे. एआईबीईए ने कहा कि इसके बाद 15-16 मार्च 2021 को बैंकों के 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी दो दिन की हड़ताल करेंगे. बयान के मुताबिक, ‘अगर सरकार अपने फैसले पर आगे बढ़ती है, तो हम आंदोलन तेज करेंगे और लंबे समय तक हड़ताल और अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. हम मांग करते हैं कि सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार करे.

एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि सरकारी बैंकों के सामने एकमात्र समस्या खराब ऋणों की है, जो अधिकांश कॉरपोरेट और अमीर उद्योगपतियों द्वारा लिए जाते हैं. सरकार उन पर कार्रवाई करने के बजाय, बैंकों का निजीकरण करना चाहती है. उन्होंने निजी क्षेत्र के बैंकों की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले साल येस बैंक मुसीबत में था और हाल ही में लक्ष्मी विलास बैंक का अधिग्रहण एक विदेशी बैंक ने किया है.

उन्होंने कहा कि हमने आईसीआईसीआई बैंक में समस्याओं को देखा है. इसलिए कोई यह नहीं कह सकता है कि निजी क्षेत्र की बैंकिंग बहुत कुशल है. दूसरी ओर, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आम लोगों, गरीब लोगों, कृषि, छोटे स्तर के क्षेत्रों को ऋण देते हैं, जबकि निजी बैंक केवल बड़े लोगों की मदद करते हैं. एआईबीईए ने कहा कि इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने युवा बेरोजगारों को स्थायी नौकरियां दी हैं, जबकि निजी बैंकों में केवल अनुबंध की नौकरियां हैं.

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Posted by : Vishwat Sen

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