Pakistan PIA Stake Sale: जहाज बेचकर पैसा जुटाएगा पाकिस्तान, 23 दिसंबर को लगेगी बोली

Pakistan PIA Stake Sale: पाकिस्तान सरकार ने घाटे में चल रही राष्ट्रीय एयरलाइन पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) की 100% हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है. 23 दिसंबर को बोली प्रक्रिया होगी, जिसमें पहले 75% हिस्सेदारी के लिए बोली लगेगी. विजेता बोलीदाता को शेष 25% हिस्सेदारी खरीदने का विकल्प मिलेगा. सरकार को बोली राशि का सिर्फ 7.5% नकद मिलेगा, जबकि बाकी रकम पीआईए के पुनरुद्धार और बेड़े के आधुनिकीकरण में निवेश किया जाएगा.

By KumarVishwat Sen | December 17, 2025 4:59 PM

Pakistan PIA Stake Sale: आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अपनी राष्ट्रीय विमानन कंपनी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) को पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने का बड़ा फैसला किया है. सरकार ने पीआईए में अपनी 100% हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है, जिसके तहत 23 दिसंबर को बोली प्रक्रिया आयोजित की जाएगी. इस कदम को पाकिस्तान सरकार की वित्तीय स्थिति सुधारने और घाटे में चल रहे सरकारी उपक्रमों से बोझ कम करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

पहले चरण में 75% हिस्सेदारी की होगी बोली

निजीकरण प्रक्रिया के तहत शुरुआत में पीआईए की 75% हिस्सेदारी के लिए बोली लगाई जाएगी. अधिकारियों के अनुसार, जो बोलीदाता इस चरण में सफल होगा, उसे एक महीने के भीतर शेष 25% हिस्सेदारी खरीदने का विकल्प दिया जाएगा. हालांकि, इस अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए खरीदार को 12% प्रीमियम देना होगा.

12% प्रीमियम क्यों देना होगा?

यह अतिरिक्त प्रीमियम इसलिए तय किया गया है, क्योंकि सरकार विजेता बोलीदाता को शेष 25% हिस्सेदारी के भुगतान को एक साल तक टालने की अनुमति देगी. यानी तत्काल भुगतान के बजाय किश्तों में या देरी से भुगतान की सुविधा दी जाएगी, जिसकी भरपाई 12% अतिरिक्त शुल्क के रूप में की जाएगी.

सरकार को मिलेगा सिर्फ 7.5% नकद

इस सौदे की एक अहम शर्त यह है कि सरकार को बोली की कुल राशि में से केवल 7.5% रकम नकद प्राप्त होगी. शेष 92.5% राशि सीधे पीआईए में निवेश की जाएगी. अधिकारियों के मुताबिक, इसका उद्देश्य कंपनी के पुनरुद्धार, परिचालन सुधार और वित्तीय स्थिरता को मजबूत करना है.

निजी बोलीदाताओं की सख्त शर्त

निजीकरण आयोग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इस प्रक्रिया में शामिल सभी बोलीदाताओं ने सौदे के बाद सरकार की किसी भी तरह की भूमिका समाप्त करने की शर्त रखी थी. यही वजह है कि सरकार ने आंशिक बिक्री के बजाय पूरी 100% हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया. निवेशकों का मानना है कि सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त होकर ही पीआईए का व्यावसायिक पुनर्गठन संभव है.

कौन-कौन लगा रहा है पीआईए पर दांव?

पीआईए के निजीकरण में पाकिस्तान के कई बड़े कारोबारी समूह दिलचस्पी दिखा रहे हैं. बोलीदाताओं में लकी सीमेंट कंसोर्टियम, आरिफ हबीब कंसोर्टियम, फौजी फाउंडेशन की इकाई फौजी फर्टिलाइजर और निजी एयरलाइन एयर ब्लू शामिल हैं. इन समूहों को उम्मीद है कि पीआईए की परिसंपत्तियों, अंतरराष्ट्रीय रूट्स और ब्रांड वैल्यू का बेहतर उपयोग कर कंपनी को दोबारा मुनाफे में लाया जा सकता है.

सरकार का लक्ष्य

निजीकरण पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मुहम्मद अली ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि सरकार का प्राथमिक उद्देश्य पीआईए को फिर से खड़ा करना है. उन्होंने बताया कि अधिकांश बोलीदाता कम से कम 75% हिस्सेदारी चाहते थे, जबकि कुछ ने पूर्ण स्वामित्व की मांग की थी, ताकि फैसले तेजी से लिए जा सके.

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बेड़े के आधुनिकीकरण पर होगा जोर

मुहम्मद अली के मुताबिक, पीआईए को उसकी पुरानी प्रतिष्ठा में लौटाने के लिए बेड़े के आधुनिकीकरण और नए विमानों की खरीद में बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है. निजी निवेशकों से उम्मीद की जा रही है कि वे तकनीकी सुधार, बेहतर सेवाएं और लागत नियंत्रण के जरिए पीआईए को दोबारा प्रतिस्पर्धी बनाएंगे.

भाषा इनपुट के साथ

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