नोएल टाटा संग मतभेद, Mehli Mistry ने छोड़ा ट्रस्ट!

Mehli Mistry: रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद साथी और वसीयत के निष्पादक मेहली मिस्त्री ने अचानक टाटा ट्रस्ट से इस्तीफा देकर सबको हैरान कर दिया है. दशकों से टाटा समूह के साये में काम करने वाले इस शांत व्यक्ति का फैसला अब कई सवाल खड़े कर रहा है. क्या ट्रस्ट के भीतर कुछ चल रहा था? क्या यह कदम किसी बड़े मतभेद का संकेत है? मिस्त्री ने अपने पत्र में संस्था की साख और रतन टाटा की विरासत को बचाने की बात कही है, लेकिन उनके इस शांत भरी इस्तीफे के पीछे की कहानी शायद उतनी सरल नहीं जितनी दिखती है.

By Soumya Shahdeo | November 5, 2025 1:59 PM

Mehli Mistry: भारत के कॉरपोरेट जगत में जब भी ईमानदारी, भरोसे और विरासत की बात होती है, तो टाटा ट्रस्ट का नाम सबसे पहले आता है. लेकिन अब रतन टाटा के सबसे भरोसेमंद साथियों में से एक मेहली मिस्त्री ने ट्रस्ट से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है. उन्होंने यह कदम किसी दबाव में नहीं, बल्कि संस्था की मर्यादा और प्रतिष्ठा को बचाने के लिए उठाया है. मिस्त्री का यह फैसला न केवल टाटा ट्रस्ट के अंदरूनी हालात पर ध्यान खींचता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि कभी-कभी सबसे बड़ा योगदान चुपचाप पीछे हट जाने में ही होता है.

मेहली मिस्त्री कौन हैं?

मेहली मिस्त्री, रतन टाटा के बेहद करीबी और लंबे समय से उनके भरोसेमंद साथी माने जाते हैं. वे रतन टाटा की वसीयत के निष्पादक (executor) भी रहे हैं. टाटा समूह के इतिहास में मिस्त्री का नाम हमेशा एक शांत लेकिन अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता रहा है.

आखिर क्यों दिया इस्तीफा?

सीएनबीसी-टीवी18 की रिपोर्ट के मुताबिक, मेहली मिस्त्री ने सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट दोनों ही प्रमुख टाटा ट्रस्ट से इस्तीफा दे दिया है. यह कदम उन्होंने नोएल टाटा (जो वर्तमान में टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं) के साथ चल रहे मतभेदों को खत्म करने के लिए उठाया था. पिछले महीने मिस्त्री का दोबारा ट्रस्ट में पुनर्नियुक्ति (reappointment) का प्रस्ताव आया था, लेकिन तीन ट्रस्टीज के समर्थन न मिलने से यह संभव नहीं हो सका था.

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पत्र में क्या लिखा मिस्त्री ने?

अपने पत्र में मिस्त्री ने सभी ट्रस्टीज को लिखा कि वे नहीं चाहते कि किसी भी विवाद से टाटा ट्रस्ट की छवि को नुकसान पहुंचे. उन्होंने कहा की “मेरा दायित्व है कि टाटा ट्रस्ट्स किसी विवाद में न फंसे, क्योंकि इससे संस्था की साख को अपूरणीय क्षति हो सकती है.” उन्होंने आगे लिखा कि रतन टाटा की तरह, वे भी सार्वजनिक हित को सबसे ऊपर मानते हैं. उन्होंने ये भी कहा की “रतन एन. टाटा हमेशा कहते थे की ‘कोई भी व्यक्ति उस संस्था से बड़ा नहीं होता जिसकी वह सेवा करता है.’ यही सोच लेकर मैं विदा ले रहा हूं.”

आगे क्या होगा टाटा ट्रस्ट में?

मिस्त्री के जाने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रस्ट में नए नियुक्ति कैसे होती है और क्या नोएल टाटा और बाकी ट्रस्टी आपसी मतभेदों को सुलझा पाते हैं. रतन टाटा के सिद्धांतों पर बनी यह संस्था भारतीय उद्योग जगत के लिए एक मिसाल रही है और उम्मीद है कि आने वाले समय में यह अपनी पारदर्शिता और मूल्यों पर कायम रहेगी.

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