बैंक खातों में रखे पैसे का स्रोत नहीं बताने पर देना होगा भारी-भरकम इनकम टैक्स, जानिए क्या है नियम?

Section 69A of Income Tax Act, income tax news updates : अगर आपके खाते में पिछले साल भारी रकम ट्रांसफर किया गया है और आप उसका स्रोत नहीं बता पा रहे हैं, तो आपको आयकर अधिनियम की धारा 69ए के तहत भारी-भरकम टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है. आयकर अधिनियन की धारा 69ए के तहत अगर कोई आदमी बैंक खाते में रखे पैसे, सोना, ज्वैलरी या अन्य कीमती चीजों का मालिक पाए जाने पर इसका रिकॉर्ड उसके पास नहीं है और वह इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पा रहा है, तो वह करदाता की कमाई मानी जाएगी. इतना ही नहीं, अगर आयकर का मूल्यांकन करने वाला अधिकारी आपके किसी संपत्ति से जुड़े सवाल से संतुष्ट नहीं है, तो भी उस रकम को व्यक्ति की कमाई ही मानी जाएगी और उस पर टैक्स का भुगतान करना होगा.

By Prabhat Khabar Print Desk | September 19, 2020 5:43 PM

Section 69A of Income Tax Act, income tax news updates : अगर आपके खाते में पिछले साल भारी रकम ट्रांसफर किया गया है और आप उसका स्रोत नहीं बता पा रहे हैं, तो आपको आयकर अधिनियम की धारा 69ए के तहत भारी-भरकम टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है.

आयकर अधिनियन की धारा 69ए के तहत अगर कोई आदमी बैंक खाते में रखे पैसे, सोना, ज्वैलरी या अन्य कीमती चीजों का मालिक पाए जाने पर इसका रिकॉर्ड उसके पास नहीं है और वह इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पा रहा है, तो वह करदाता की कमाई मानी जाएगी.

इतना ही नहीं, अगर आयकर का मूल्यांकन करने वाला अधिकारी आपके किसी संपत्ति से जुड़े सवाल से संतुष्ट नहीं है, तो भी उस रकम को व्यक्ति की कमाई ही मानी जाएगी और उस पर टैक्स का भुगतान करना होगा.

अक्लेम्ड अमाउंट पर 83.25 फीसदी टैक्स

ऐसे अनक्लेम्ड अमाउंट पर 83.25 फीसदी की उच्च दर से टैक्स लगता है. इस 83.25 फीसदी में 60 फीसदी टैक्स, 25 फीसदी सरचार्ज और 6 फीसदी का जुर्माना भी शामिल होता है. हालांकि, नकद क्रेडिट को अगर पहले ही आय में शामिल कर दिया गया हो और उस पर टैक्स दे दिया गया हो, तो 6 फीसदी के जुर्माने का भुगतान नहीं करना होगा.

स्पष्टीकरण नहीं देने पर भारी टैक्स

इसके साथ ही पैसा, सोना या अन्य किसी कीमती वस्तुओं के अलावा अगर करदाता के बैंक खाते में कोई कैश क्रेडिट हुआ और वह इसका स्पष्टीकरण नहीं दे पाता है या कर प्राधिकरी स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुए, तब भी उसे 83.25 फीसदी की उच्च दर से टैक्स देना पड़ेगा. इस तरह की कैश एंट्री को आयकर कानून की धारा 68 के तहत अनक्लेम्ड कैश क्रेडिट (unexplained cash credit) कहा जाता है.

नोटबंदी के बाद लागू की गयी थी यह योजना

सरकार ने 2016 में नोटबंदी की घोषणा की थी और 500 तथा 1000 रुपये के नोट तुरंत बंद कर दिए गए थे. उस दौरान कई करदाताओं ने बैंक खातों में भारी मात्रा में नकदी जमा करायी थी. आयकर विभाग ने ऐसे करदाताओं के लिए एक योजना लाया था. इसके तहत वे अपनी अघोषित आय पर कर देकर कानूनी पचड़े से छुटकारा पा सकते थे. कई करदाताओं ने इसका फायदा भी उठाया है.

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Posted By : Vishwat Sen

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