SIP Investment: एसआईपी से फ्रीलांसर और गिग वर्कर भी कर सकते हैं मोटी कमाई, एक्सपर्ट से जानें फंड का फंडा
SIP Investment: फ्रीलांसर और गिग-वर्कर्स अनियमित आय के कारण वित्तीय असुरक्षा का सामना करते हैं. ऐसे में एसआईपी एक भरोसेमंद विकल्प बनकर छोटी-छोटी रकम से लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने में मदद करता है. कंपाउंडिंग और कॉस्ट एवरेजिंग की शक्ति के साथ यह मार्केट उतार-चढ़ाव से बचाकर स्थिर रिटर्न देता है. बढ़ती गिग इकॉनमी के बीच एसआईपी फाइनेंशियल सिक्योरिटी, स्वतंत्रता और भविष्य की मजबूत तैयारी के लिए आदर्श निवेश साधन साबित होता है.
SIP Investment: एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान वेतनभोगी कर्मचारियों के बीच काफी लोकप्रिय है. यह न केवल लॉन्ग टर्म के लिए निवेश करने पर लोगों को मोटी कमाई कराता है, बल्कि निवेश का एक सशक्त साधन भी है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस एसआईपी के जरिए न केवल वेतनभोगी कर्मचारी ही अपने रिटायरमेंट लाइफ के लिए मोटा फंड बना सकते हैं, इसके विपरीत फ्रीलांसर और गिग-वर्कर भी इसके जरिए मोटी कमाई कर सकते हैं और अपने रिटायरमेंट लाइफ के लिए मोटा फंड बना सकते हैं. एसआईपी के जरिए फ्रीलांसर और गिग-वर्कर्स को मोटी कमाई कैसे होगी? इस सवाल का जवाब जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के एसोसिएट डायरेक्टर केवी सुनील कुमार बता रहे हैं. आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं.
भारत में गिग वर्कर्स की चुनौतियां
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के एसोसिएट डायरेक्टर केवी सुनील कुमार के अनुसार, भारत के 12 मिलियन से अधिक गिग वर्कर्स (फ्रीलांसर, स्किल्ड कारीगर, डिलीवरी पार्टनर, दिहाड़ी मजदूर और अन्य) बिना रेगुलर इनकम, पीएफ, इंश्योरेंस या किसी रिटायरमेंट प्लान के काम करते हैं. इस वजह से वे आर्थिक असुरक्षा, अनिश्चितता और आपात स्थिति में पैसों की कमी जैसी चुनौतियों का लगातार सामना करते हैं.
क्यों जरूरी है सेविंग और फाइनेंशियल प्लानिंग
केवी सुनील कुमार बताते हैं कि अनिश्चित और इर्रेगुलर इनकम गिग वर्कर्स को मजबूर करती है कि वे ऐसे निवेश विकल्प चुनें, जो न केवल भविष्य में सुरक्षा दें, बल्कि कंपाउंडिंग की शक्ति से पर्याप्त पूंजी भी तैयार करें. इसी कारण सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) जैसे डिसिप्लिन्ड इन्वेस्टमेंट ऑप्शन उनके लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं.
एसआईपी कैसे बनता है फ्रीलांसर का फाइनेंशियल पार्टनर
एसआईपी के माध्यम से म्यूचुअल फंड में हर महीने छोटी, निश्चित राशि निवेश की जाती है. यह तरीका गिग वर्कर्स को मार्केट के उतार-चढ़ाव से बचाकर धीरे-धीरे वेल्थ बनाने में मदद करता है. कंपाउंडिंग और कॉस्ट एवरेजिंग का डबल फायदा एसआईपी को लंबे समय का सबसे भरोसेमंद निवेश विकल्प बनाता है.
छोटे निवेश से भी बन सकता है बड़ा फंड
केवी सुनील कुमार के अनुसार, एसआईपी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि छोटे निवेश भी समय के साथ काफी बड़े हो जाते हैं. शुरुआती वर्षों में यह गिग वर्कर्स में सेविंग की आदत और निवेश का डिसिप्लिन दोनों विकसित करता है. जैसे-जैसे इनकम बढ़ती है, एसआईपी का अमाउंट बढ़ाना या नए एसआईपी जोड़ना बहुत आसान होता है. इसकी यही फ्लेक्सिबिलिटी इसे अनियमित इनकम वालों के लिए परफेक्ट विकल्प बनाती है.
बाजार के उतार-चढ़ाव में भी सुरक्षित निवेश
गिग वर्कर्स की इनकम अक्सर बिजनेस साइकिल पर निर्भर होती है. ऐसे समय में एसआईपी मार्केट के उतार-चढ़ाव को बैलेंस करके उनका जोखिम कम करता है. हर महीने फिक्स्ड अमाउंट निवेश करने से महंगे और सस्ते दोनों समय यूनिट्स बटोरकर एवरेज कॉस्ट कम हो जाती है. इससे इन्वेस्टर को मार्केट टाइमिंग का तनाव भी नहीं रहता.
पुराने डेटा से मिलता है भरोसा
ऐतिहासिक डेटा बताता है कि लंबी अवधि के एसआईपी अक्सर शानदार रिटर्न देते हैं. 10–15 साल की अवधि में कंपाउंडिंग की शक्ति गिग वर्कर्स के लिए मजबूत वित्तीय नींव तैयार करती है. यही वजह है कि विशेषज्ञ फ्रीलांसरों को शुरुआती स्तर से ही एसआईपी अपनाने की सलाह देते हैं.
फाइनेंशियल सिक्योरिटी और आजादी दोनों
सिर्फ अच्छे रिटर्न ही नहीं, एसआईपी फ्रीलांसरों में फाइनेंशियल सिक्योरिटी और स्वतंत्रता का एहसास भी पैदा करती है. अनियमित इनकम के बावजूद जो लोग लगातार एसआईपी करते हैं, वे न सिर्फ अपना इमरजेंसी फंड मजबूत कर पाते हैं, बल्कि भविष्य के बड़े लक्ष्य (घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट) भी बिना तनाव पूरा कर सकते हैं.
भारत में गिग इकॉनमी का बढ़ता दायरा
भारत में सेल्फ-एम्प्लॉयड लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. खासकर, ई-कॉमर्स, क्विक कॉमर्स, डिलीवरी और डिजिटल सर्विस इंडस्ट्री में गिग वर्कर्स की संख्या में जोरदार बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में एसआईपी उन्हें भविष्य की वित्तीय चुनौतियों से निपटने और लंबी अवधि में सतत वेल्थ बनाने में मदद करता है.
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गिग वर्कर्स के लिए एसआईपी है स्मार्ट रास्ता
अनियमित कमाई, बिना पीएफ और बिना रिटायरमेंट सपोर्ट के बीच फ्रीलांसरों के लिए एसआईपी एक भरोसेमंद और लचीला समाधान है. छोटी शुरुआत भी भविष्य में बड़ा फंड बना सकती है. डिसिप्लिन, फ्लेक्सिबिलिटी और कंपाउंडिंग एसआईपी को हर गिग वर्कर के लिए अनिवार्य फाइनेंशियल टूल बनाते हैं.
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