फिच ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाया, 6.9% की रफ्तार में दौड़ेगी अर्थव्यवस्था
GDP Growth: फिच रेटिंग्स ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.9% कर दिया है. एजेंसी का कहना है कि अप्रैल-जून तिमाही में घरेलू मांग और तेज आर्थिक गतिविधियों ने इस संशोधन को मजबूती दी है. फिच की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बनी रहेगी.
GDP Growth: फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.9% कर दिया है. एजेंसी का कहना है कि अप्रैल-जून तिमाही में घरेलू मांग और तेज आर्थिक गतिविधियों ने इस संशोधन को मजबूती दी है.
पहली वैश्विक एजेंसी बनी फिच
फिच पहली ऐसी अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी है, जिसने भारत की विकास दर के अनुमान में वृद्धि की है. इससे पहले जून में जारी अपनी रिपोर्ट में इस वृद्धि को 6.5% बताया गया था, लेकिन अब सितंबर के आकलन में इसे संशोधित कर 6.9% कर दिया गया है.
तिमाही-दर-तिमाही सुधार
फिच ने अपनी सितंबर की वैश्विक आर्थिक परिदृश्य (जीईओ) रिपोर्ट में बताया कि जनवरी से मार्च 2025 के बीच भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.4% दर्ज की गई थी. वहीं, अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में यह और तेज होकर सालाना आधार पर 7.8% तक पहुंच गई. यह आंकड़ा फिच के जून माह के पूर्वानुमान 6.7% से कहीं अधिक है, जिसने एजेंसी को अपने अनुमान संशोधित करने के लिए प्रेरित किया.
घरेलू मांग बनी प्रमुख आधार
रेटिंग एजेंसी का मानना है कि आने वाले समय में घरेलू मांग ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनाए रखने में सबसे बड़ी भूमिका निभाएगी. मजबूत वास्तविक आय उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा दे रही है और निवेश की मजबूती कमजोर वित्तीय स्थिति की भरपाई कर रही है. यही वजह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल अपनी क्षमता से भी अधिक गति से चल रही है.
आगे की वृद्धि दर का पूर्वानुमान
हालांकि, फिच ने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कुछ धीमी हो सकती है. एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026-27 में वृद्धि दर घटकर 6.3% पर आ जाएगी और 2027-28 में यह और घटकर 6.2% पर पहुंच सकती है. इस प्रकार, मौजूदा तेजी के बावजूद आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे स्थिर स्तर पर लौट सकती है.
दूसरी संस्थाओं का अनुमान
फिच का यह संशोधित अनुमान अन्य वैश्विक और राष्ट्रीय संस्थाओं की तुलना में अधिक आशावादी है. वित्त मंत्रालय की आर्थिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर 6.3 से 6.8% के बीच रहने का अनुमान जताया गया है. भारतीय रिजर्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान दिया है. मूडीज ने 2025 के कैलेंडर वर्ष के लिए 6.3% का अनुमान लगाया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने 6.4% और विश्व बैंक ने 6.3% की संभावना जताई है.
मुद्रास्फीति पर दृष्टिकोण
फिच ने अपने आकलन में मुद्रास्फीति पर भी टिप्पणी की है. एजेंसी का कहना है कि सामान्य से बेहतर मानसूनी वर्षा और पर्याप्त खाद्य भंडार के चलते खाद्य कीमतों पर दबाव कम रहेगा. इसका नतीजा यह होगा कि 2025 के अंत तक मुद्रास्फीति घटकर केवल 3.2% रह सकती है, जबकि 2026 के अंत तक यह मामूली बढ़कर 4.1% पर पहुंच सकती है.
मौद्रिक नीति पर असर
फिच ने अनुमान जताया है कि भारतीय रिजर्व बैंक इस साल के अंत तक रेपो दर में 0.25% की कटौती कर सकता है. यह दर 2026 के अंत तक स्थिर रह सकती है. हालांकि, एजेंसी को उम्मीद है कि 2027 से आरबीआई फिर से दरों में बढ़ोतरी शुरू कर देगा, ताकि अर्थव्यवस्था के संतुलन को बनाए रखा जा सके.
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फिच ने क्यों बढ़ाई आर्थिक वृद्धि दर अनुमान
फिच का नवीनतम अनुमान भारत की अर्थव्यवस्था के प्रति बढ़ते विश्वास को दर्शाता है. घरेलू मांग और स्थिर मुद्रास्फीति की संभावना ने एजेंसी को अपने आकलन में सुधार करने के लिए प्रेरित किया है. हालांकि, आगामी वर्षों में वृद्धि दर में मामूली गिरावट का अनुमान यह संकेत भी देता है कि चुनौतियां बनी रहेंगी. इसके बावजूद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की विकास क्षमता को लेकर भरोसा मजबूत हुआ है. यह न केवल वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करेगा बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में बनाए रखेगा.
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