Crisil Report: भारत के पास दुनिया का 7वां सबसे बड़ा पर्यटन खजाना, कमाई में अब भी पीछे

Crisil Report: आज भारत की 13.3% से अधिक कार्यबल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यटन से जुड़ा है. होटल, होमस्टे, ट्रैवल एजेंट, लोकल गाइड, हस्तशिल्प, फूड स्टॉल और परिवहन सेवाओं में 90% से ज्यादा हिस्सेदारी MSME सेक्टर की है

By Abhishek Pandey | December 30, 2025 1:47 PM

Crisil Report: भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक विविधता और आध्यात्मिक परंपराओं के कारण दुनिया के सबसे समृद्ध पर्यटन देशों में गिना जाता है. CRISIL Intelligence की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पर्यटन न केवल अर्थव्यवस्था को गति देता है, बल्कि यह आजीविका सृजन का एक बड़ा और टिकाऊ माध्यम भी बनकर उभर रहा है.

रोजगार और MSME का मजबूत आधार

आज भारत की 13.3% से अधिक कार्यबल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से पर्यटन से जुड़ा है. होटल, होमस्टे, ट्रैवल एजेंट, लोकल गाइड, हस्तशिल्प, फूड स्टॉल और परिवहन सेवाओं में 90% से ज्यादा हिस्सेदारी MSME सेक्टर की है. खास बात यह है कि पर्यटन महिलाओं और युवाओं के लिए गैर-कृषि रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत बन चुका है, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में.

भारतीय पर्यटन: वर्तमान और भविष्य

घरेलू पर्यटन बना रीढ़

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2024 में भारत में करीब 296 करोड़ पर्यटक यात्राएं दर्ज की गईं, जिनमें 99% से अधिक घरेलू पर्यटक थे. 2011 से अब तक घरेलू पर्यटन में लगभग 9.8% की वार्षिक वृद्धि हुई है. यही कारण है कि पर्यटन आज देश में सबसे व्यापक रूप से फैला गैर-कृषि आजीविका स्रोत बन चुका है.

GDP में योगदान अब भी सीमित

हालांकि 2024 में पर्यटन का प्रत्यक्ष योगदान बढ़कर 8.18 लाख करोड़ रुपये हो गया, लेकिन GDP में इसकी हिस्सेदारी अब भी 5–6% के बीच स्थिर है. यह वैश्विक औसत (~10%) और यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों से काफी कम है. इसका मतलब है कि भारत में पर्यटकों की संख्या बढ़ने के बावजूद उच्च मूल्य (High Value) पर्यटन का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा.

वैश्विक रैंकिंग में विरोधाभास

Travel & Tourism Development Index (TTDI) 2024 में भारत को पर्यटन संसाधनों में 7वां स्थान मिला है, जो इसकी सांस्कृतिक और प्राकृतिक ताकत को दर्शाता है. लेकिन

  • सुरक्षा, स्वच्छता और नियामक माहौल में भारत 100 से नीचे रैंक करता है.
  • इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में होटल क्षमता और अंतिम छोर कनेक्टिविटी की कमी है.
  • पर्यटन स्थिरता के मोर्चे पर ओवर-टूरिज्म और पर्यावरणीय दबाव बड़ी चुनौती हैं.
  • ये कमजोरियां MSME की आय, पर्यटकों के ठहराव और दोबारा यात्रा की संभावना को सीमित करती हैं.

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