8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग के लागू होते बढ़ जाएगी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी, मगर डीए हो जाएगा जीरो, जानें क्यों?
8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग का गठन कर दिया है. आयोग 18 महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी. इसके बाद सरकार उसकी सिफारिश के आधार पर सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी करेगी. इसके बाद कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा उछाल आने की उम्मीद है. नई सैलरी संरचना में डीए (महंगाई भत्ता) को बेसिक वेतन में मर्ज कर दिया जाएगा और इसे जीरो से फिर शुरू किया जाएगा. इससे कर्मचारियों की नेट सैलरी में कोई कमी नहीं होगी, बल्कि एचआर, टीए और पेंशन जैसे भत्ते भी बढ़ेंगे. यह बदलाव सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे को और मजबूत बनाएगा.
8th Pay Commission Update: केंद्र की मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी करने के लिए 8वें वेतन आयोग का गठन कर दिया है. 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकारी कर्मचारियों वेतन में बंपर बढ़ोतरी तो होगी, लेकिन महंगाई भत्ता (डीए) और पेंशनभोगी कर्मचारियों की महंगाई राहत (डीआर) जीरो हो जाएगी. आइए आसान भाषा में समझते हैं कि इसका मतलब क्या है और इसका कर्मचारियों की सैलरी पर क्या असर पड़ेगा.
डीए को जीरो करने का क्या है मतलब
एक सरकारी कर्मचारी के अनुसार, ”8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद कर्मचारियों के डीए को सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा. यानी अब जो रकम अलग से डीए के रूप में दी जाती है, वह सीधे सैलरी में शामिल होगी. जब सरकार नया वेतन आयोग लागू करती है, तो उस समय तक बढ़ा हुआ डीए सैलरी में जोड़ दिया जाता है और फिर महंगाई दर के हिसाब से नया डीए जीरो से शुरू होता है.”
डीए क्या है?
उन्होंने बताया, ”डीए का सीधा अर्थ पुरानी सैलरी में नई महंगाई का जोड़ है. सरकार अपने कर्मचारियों को महंगाई के असर से बचाने के लिए हर छह महीने में डीए बढ़ाती है. जैसे-जैसे बाजार में चीजें महंगी होती हैं, कर्मचारियों की खरीद क्षमता घटती है. इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार डीए बढ़ाती है, ताकि कर्मचारियों की वास्तविक आय पर महंगाई का असर कम हो सके.”
हर छह महीने पर डीए में होता है संशोधन
केंद्र सरकार हर 6 महीने में डीए का संशोधन करती है. इसके लिए एआईसीपीआई (ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है. इन्हीं आंकड़ों के आधार पर तय होता है कि डीए में कितनी बढ़ोतरी की जानी चाहिए. जनवरी 2025 में डीए 55% था, जो जुलाई 2025 में यह बढ़कर 58% हो गया और जनवरी 2026 में इसके 60% तक जाने की उम्मीद है.
क्या डीए का कैलकुलेशन
मान लीजिए किसी सरकारी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है और उस पर सरकार 50% डीए दे रही है, तो कुल डीए 50,000 × 50% = 25,000 रुपये होगा. यानि उस कर्मचारी की कुल सैलरी 50,000 (बेसिक) + 25,000 (डीए) = 75,000 रुपये होगी. अब अगर 8वें वेतन आयोग की सिफारिश लागू पर डीए सैलरी में जोड़ दिया जाता है, तो बेसिक वेतन बढ़ जाएगा और डीए फिर से 0% से शुरू होगा.
क्या है फिटमेंट फैक्टर और इसका रोल
सरकारी कर्मचारियों की सैलरी तय करने में फिटमेंट फैक्टर बहुत अहम भूमिका निभाता है. यही तय करता है कि पुरानी और नई सैलरी में कितना अंतर होगा. 7वें वेतन आयोग में यह 2.57% था, जबकि 8वें वेतन आयोग में इसे 1.92 से 2.05% के बीच रखने की उम्मीद है. अगर 2.57% का फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो मान लीजिए किसी की बेसिक सैलरी 40,000 रुपये है, तो नई सैलरी की गणना 40,000 × 2.57 = 1,02,800 रुपये होगी. इस तरह कर्मचारी की सैलरी दोगुने से भी ज्यादा बढ़ जाएगी.
9वें वेतन आयोग में भी डीए हो जाएगा जीरो
हर नए वेतन आयोग के साथ यही प्रक्रिया दोहराई जाती है. जब 8वें वेतन आयोग के तहत नया पे-स्ट्रक्चर लागू होगा, तो लेबर ब्यूरो नया सीपीआई बेस ईयर (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) जारी करेगा. उसी आधार पर डीए फिर से 0% से शुरू होगा और हर 6 महीने में 3-3% की दर से बढ़ेगा. इस हिसाब से देखें, तो डीए पहले छह महीने में 0% से शुरू होकर 3%, 6%, 9%, 12% और इसी तरह आगे बढ़ता रहेगा. अगले 10 सालों में यह फिर 50-60% तक पहुंच जाएगा और तब 9वें वेतन आयोग में इसे दोबारा से जीरो कर दिया जाएगा.
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कर्मचारियों पर क्या पड़ेगा असर
डीए को जीरो करने के फैसले से कर्मचारियों की नेट सैलरी में कोई कमी नहीं होगी. फर्क सिर्फ इतना होगा कि जो रकम अब तक डीए के रूप में अलग मिलती थी, वह बेसिक वेतन का हिस्सा बन जाएगी. इसका फायदा यह है कि एचआरए, टीए और पेंशन जैसे अन्य भत्ते भी उसी बढ़े हुए बेसिक वेतन के आधार पर तय होंगे. यानि कुल मिलाकर कर्मचारियों का वेतन ढांचा और मजबूत हो जाएगा. जब सैलरी में डीए शामिल हो जाएगा, तो भविष्य की इन्क्रीमेंट और पेंशन कैलकुलेशन भी उसी के हिसाब से बढ़ेंगे.
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