सेवा क्षेत्र में नये आर्डर में कमी से सितंबर में पीएमआइ नीचे

नयीदिल्ली : प्रतिस्पर्धी दबाव और प्रतिकूल मौसम स्थिति के बीच नये आर्डर की कमी से सितंबर महीने में सेवाओं में वृद्धि धीमी हुई है. एक सर्वे में यह कहा गया है. निक्की इंडिया सर्विसेज परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) सितंबर में 52 रहा जो अगस्त में 43 महीने के उच्च स्तर 54.7 था. मासिक आधार पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 5, 2016 2:08 PM

नयीदिल्ली : प्रतिस्पर्धी दबाव और प्रतिकूल मौसम स्थिति के बीच नये आर्डर की कमी से सितंबर महीने में सेवाओं में वृद्धि धीमी हुई है. एक सर्वे में यह कहा गया है. निक्की इंडिया सर्विसेज परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) सितंबर में 52 रहा जो अगस्त में 43 महीने के उच्च स्तर 54.7 था. मासिक आधार पर सेवा क्षेत्र की कंपनियों पर नजर रखने वाले पीएमआइ में कमी विस्तार की धीमी दर को बताता है.

पीएमआइ के 50 से अधिक रहने का मतलब है कि क्षेत्र में विस्तार हो रहा है जबकि इसके नीचे संकुचन को बताता है.

आंकड़ा एकत्रित करने वाली और रिपोर्ट तैयार करने वाली आइएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री पालीयाना डी लीमा ने कहा, ‘‘भारत में सेवा क्षेत्र में निरंतर सुधार हुआ है जो सितंबर महीने में थोड़ी हल्की रही. सुधार की यह प्रवृत्ति पूरे साल से अबतक है.’ सर्वे के अनुसार भारत की सेवा कंपनियों के लिये नये कारोबार के आर्डर में वृद्धि नरम रही. रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिस्पर्धी दबाव और प्रतिकूल मौसम की स्थिति से नये कार्य के आने पर असर पड़ रहा है.

सेवा प्रदाताओं और विनिर्माताओं दोनों के मामले में विस्तार गतिविधियां हल्की रहने से निक्की इंडिया समग्र उत्पादन सूचकांक सितंबर में कम होकर 52.4 पर आ गया जो अगस्त में 42 माह के उच्चतम स्तर 54.6 था.

सर्वे में कहा गया है, ‘‘इसके बावजूद कई महीनों से लगातार 50 से उपर सूचकांक होने का मतलब है कि देश में वृद्धि बनी हुई है.’ पीएमआइ समग्र उत्पादन सूचकांक (कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स) जनवरी-मार्च 2015 से ऊंचा बना हुआ है जो जीडीपी वृद्धि में तेजी को बताता है.

पालीयाना डी लीमा ने कहा, ‘‘पहली तिमाही में सालाना आधार पर वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रहने के बाद नीति निर्माता इसका स्वागत करेंगे.’ मुद्रास्फीति के बारे में सर्वे में कहा गया है कि कीमत वसूली में वृद्धि लागत बोझ में इजाफा के अनुरूप है.

लीमा ने कहा, ‘‘सितंबर में खाद्य एवं पेट्रोल के दाम लगातार चढे जिससे परिचालन लागत पर दबाव बढा. इसके जवाब में निजी क्षेत्र की कंपनियों ने लगातार दूसरे महीने अपने उत्पादों की कीमतेंबढ़ायी. हालांकि मुद्रास्फीति अपेक्षाकृत नरम बनी हुई है.’ रिजर्व बैंक ने कल प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती की. इससे रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर आ गया जो छह साल का न्यूनतम स्तर है. रोजगार के बारे में सर्वे में कहा गया है कि सेवा तथा विनिर्माण दोनों क्षेत्र की कंपनियों ने इस साल अबतक कर्मचारियों का स्तर स्थिर रहने की रिपोर्ट दी है लेकिन निजी क्षेत्र में काफी मात्रा में काम लंबित है और इसको देखते हुए कंपनियां अतिरिक्त कर्मचारियों की सेवा ले सकती हैं.

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