टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर, 1 अप्रैल से लागू होगा नया इनकम टैक्स कानून
New Income Tax Act 2025: टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी खबर है. 1 अप्रैल से नया सरलीकृत आयकर अधिनियम 2025 लागू होने जा रहा है, जो पुराने आयकर कानून 1961 की जगह लेगा. इसके साथ जीएसटी दरों में कटौती, आयकर छूट में बढ़ोतरी और सीमा शुल्क सुधारों पर भी जोर दिया गया है. सरकार का लक्ष्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और अनुपालन के अनुकूल बनाना है, जिससे उपभोग बढ़े और आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिले.
New Income Tax Act 2025: भारत में करदाताओं के लिए बड़ा बदलाव आने वाला है. केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष की शुरुआत से नया सरलीकृत आयकर अधिनियम, 2025 लागू करने जा रही है, जो छह दशक से अधिक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा. इस कदम का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और अधिक अनुपालन-अनुकूल बनाना है.
नया आयकर अधिनियम में क्या होगा खास
नया आयकर कानून 1 अप्रैल से प्रभावी होगा. इसके तहत जटिल प्रावधानों, अस्पष्ट परिभाषाओं और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं को कम करने पर जोर दिया गया है. सरकार का मानना है कि सरल कानून से स्वैच्छिक कर अनुपालन बढ़ेगा और करदाताओं को अनावश्यक विवादों से राहत मिलेगी.
दो नया कानून लागू करेगी सरकार
इसके साथ ही सरकार दो नए कानून भी लागू करने की तैयारी में है. इनमें पहला यह कि सिगरेट पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगेगा और दूसरा पान मसाला पर जीएसटी दरों के अतिरिक्त शुल्क लागू किया जाएगा. इन दोनों कानूनों को सरकार द्वारा तय की गई तिथि से लागू किया जाएगा.
सरकार का डिमांड बढ़ाने पर फोकस
सरकार ने 2025 में लागू किए गए कर सुधारों का उद्देश्य चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक माहौल के बीच घरेलू मांग को प्रोत्साहित करना बताया है. शुल्क और कर दरों को लेकर बनी अनिश्चितताओं के कारण निवेश और उपभोग पर असर पड़ता है. ऐसे में भारत के कर सुधारों ने उपभोग बढ़ाने, मांग को सहारा देने और आर्थिक वृद्धि को गति देने पर ध्यान केंद्रित किया.
जीएसटी दरों में बड़ी कटौती
इस साल का एक बड़ा फैसला 22 सितंबर से लगभग 375 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दरों में कटौती रहा. इससे रोजमर्रा की वस्तुओं पर कर का बोझ कम हुआ और लंबे समय से चली आ रही इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या का समाधान करने में मदद मिली.
चार दरों से दो दरों की ओर जीएसटी ढांचा
सरकार ने चार-स्तरीय जीएसटी ढांचे (5%, 12%, 18% और 28%) को घटाकर दो मुख्य दरों 5% और 18% में समेटने की दिशा में कदम बढ़ाया. इसे अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल और तार्किक बनाने की दिशा में एक अहम सुधार माना जा रहा है. इसका उद्देश्य कर श्रेणियों की संख्या घटाना और मुकदमेबाजी को कम करना है.
जीएसटी संग्रह पर कैसा रहा असर
अप्रैल 2025 में जीएसटी संग्रह ने रिकॉर्ड 2.37 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा छुआ. चालू वित्त वर्ष 2025-26 में औसत संग्रह करीब 1.9 लाख करोड़ रुपये रहा. हालांकि, व्यापक दर कटौतियों के चलते राजस्व पर कुछ दबाव बना और वृद्धि दर धीमी होती दिखी. नवंबर में जीएसटी संग्रह घटकर 1.70 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो साल का निचला स्तर रहा. सालाना आधार पर यह केवल 0.7% की मामूली वृद्धि दर्शाता है. नवंबर पहला महीना था, जब सितंबर में की गई जीएसटी कटौती का पूरा असर सामने आया.
आयकर छूट बढ़ी
प्रत्यक्ष कर मोर्चे पर सरकार ने आयकर छूट की सीमा बढ़ाई, जिससे मध्यम आय वर्ग को सीधी राहत मिली. इससे करदाताओं के हाथों में अधिक खर्च योग्य आय आई है, जिसे उपभोग बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है. खासतौर पर शहरी परिवारों के लिए यह राहत अहम मानी जा रही है और इससे सरलीकृत कर व्यवस्था के तहत स्वैच्छिक अनुपालन को मजबूती मिली है.
सीमा शुल्क में सुधार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया है कि सीमा शुल्क का सरलीकरण सरकार का अगला बड़ा सुधार लक्ष्य होगा. इसमें आयकर की तरह फेसलेस असेसमेंट, शुल्क दरों का युक्तिकरण और पारदर्शिता बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा.
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विशेषज्ञों की राय
डेलॉयट इंडिया के साझेदार और अप्रत्यक्ष कर प्रमुख महेश जयसिंह के अनुसार, बदलते व्यापार स्वरूप, बढ़ती अनुपालन लागत और प्रक्रियात्मक बाधाएं सीमा शुल्क सुधारों के अगले चरण की जरूरत को दर्शाती हैं. वहीं, नांगिया ग्लोबल के अप्रत्यक्ष कर साझेदार राहुल शेखर का मानना है कि सीमा शुल्क प्रक्रियाओं का पूर्ण डिजिटलीकरण, दस्तावेजों में एकरूपता, पूर्वानुमानित वर्गीकरण और जोखिम-आधारित त्वरित मंजूरी से व्यापार सुगमता और निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा. उन्होंने पुराने सीमा शुल्क विवादों के एकमुश्त निपटान की संभावना पर भी जोर दिया.
भाषा इनपुट के साथ
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