Gold Price Decline: 2026 की शुरुआत में ही 10% से 15% तक सस्ता हो सकता है सोना, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

Gold Price Decline: सोने की कीमतों को लेकर बड़ा अनुमान सामने आया है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक 2026 की शुरुआत में सोना 10% से 15% तक सस्ता हो सकता है. वैश्विक ब्याज दरों में कटौती, भू-राजनीतिक तनावों में कमी और रुपये की मजबूती से घरेलू कीमतों पर असर पड़ सकता है. फिलहाल, ऊंचे भाव के कारण मांग कमजोर है, लेकिन कीमतों में गिरावट से शादी के मौसम में खरीदारी दोबारा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

By KumarVishwat Sen | December 25, 2025 9:07 PM

Gold Price Decline: सोने की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में तेज उछाल देखने को मिला है, लेकिन अब एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2026 की शुरुआत में इसमें 10% से 15% तक की गिरावट आ सकती है. वैश्विक ब्याज दरों में कटौती, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और घरेलू मांग में कमजोरी की वजह से आने वाले महीनों में सोने के भाव में सुधार देखने को मिल सकता है.

ब्याज दरों में कटौती से बढ़ा था सोने का आकर्षण

अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद (जीजेसी) के संस्थापक सदस्य और पूर्व अध्यक्ष अनंत पद्मनाबन के अनुसार, दुनिया भर में ब्याज दरों में गिरावट सोने की कीमतों में तेजी का बड़ा कारण रही है. उन्होंने बताया कि प्रमुख केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति में ढील दे रहे हैं. हाल ही में बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी ब्याज दरें घटाई हैं और आने वाले समय में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के भी ऐसा ही कदम उठाने की संभावना है. कम ब्याज दरों के माहौल में निवेशक सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोने की ओर रुख करते हैं, जिससे कीमतें बढ़ती हैं.

भू-राजनीतिक तनाव और बाजार की अनिश्चितता

अनंत पद्मनाबन के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध और अन्य वैश्विक भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं ने भी सोने की कीमतों को सहारा दिया है. इसके अलावा भारत-अमेरिका के बीच चल रही टैरिफ वार्ताएं भी बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं. हालांकि, अगर इन मुद्दों पर सकारात्मक समाधान निकलता है और वैश्विक जोखिम कम होते हैं, तो सोने की कीमतों में स्थिरता या गिरावट देखने को मिल सकती है.

घरेलू बाजार में फिलहाल क्या हैं भाव?

अनंत पद्मनाबन के अनुसार, इस समय घरेलू बाजार में सोने की कीमत करीब 1,40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास बनी हुई है. क्रिसमस और नए साल के चलते बाजार में भागीदारी कम है, जिससे कीमतों में अनियमित उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जनवरी के पहले सप्ताह यानी 3-4 जनवरी के बाद जब बाजार में पूरी भागीदारी लौटेगी, तब कीमतों की वास्तविक दिशा साफ हो पाएगी.

सोने की कीमतों में क्यों आएगी गिरावट?

अनंत पद्मनाबन का मानना है कि जो भी संपत्ति तेजी से ऊपर जाती है, उसमें कुछ सुधार आना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा कि अगले दो से तीन महीनों में कीमतों में सुधार देखने को मिल सकता है और 2026 की शुरुआत में सोने के भाव में 10%-15% तक की गिरावट संभव है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अप्रैल 2026 तक इससे अधिक बड़ी गिरावट की संभावना कम है.

रुपये की चाल तय करेगी सोने की घरेलू कीमतें

घरेलू सोने की कीमतों के लिए रुपये की विनिमय दर बेहद अहम है. अनंत पद्मनाबन के मुताबिक, अगर भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौता हो जाता है, तो रुपया 4%-5% तक मजबूत हो सकता है. इससे भले ही वैश्विक बाजार में सोने की कीमतें स्थिर रहें, लेकिन घरेलू स्तर पर सोना सस्ता हो सकता है. उन्होंने याद दिलाया कि भारत में सोने का उत्पादन नहीं होता और हर ग्राम सोना आयात किया जाता है, इसलिए रुपये की कमजोरी सीधे कीमतों को बढ़ाती है.

ऊंची कीमतों से मांग पर असर

सोने की रिकॉर्ड कीमतों का असर खुदरा मांग पर साफ दिखाई दे रहा है. अनंत पद्मनाबन के अनुसार, पिछले 15 दिनों में कीमतों में बढ़ोतरी और रुपये के कमजोर होने के बाद बिक्री 50% से भी नीचे आ गई है. त्योहारी सीजन और प्रवासी भारतीयों की मौजूदगी के बावजूद बाजार में खास उत्साह नहीं है. उपभोक्ता नए गहने खरीदने के बजाय पुराने गहनों के एक्सचेंज को प्राथमिकता दे रहे हैं. नई खरीदारी मुख्य रूप से शादियों तक सीमित है.

आयात और वैश्विक मांग भी कमजोर

नवंबर में सोने के आयात में 60% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है और दिसंबर में भी यही रुझान बना रहने की संभावना है. पूरे वित्त वर्ष में आयात 25%-40% तक घट सकता है. वैश्विक स्तर पर भी दुबई, सिंगापुर और अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में भौतिक मांग कमजोर बनी हुई है, क्योंकि पिछले एक साल में कीमतें 75%-80% तक बढ़ चुकी हैं.

गिरावट से लौट सकती है मांग

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर सोने की कीमतों में 10%-15% की गिरावट आती है, तो इससे शादी के सीजन में मांग को फिर से सहारा मिल सकता है. जो उपभोक्ता ऊंचे दामों के कारण खरीदारी टाल रहे थे, वे बाजार में लौट सकते हैं.

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चांदी और नीतिगत सुझाव

अनंत पद्मनाबन ने चांदी की कीमतों को भी अकल्पनीय स्तर बताया. उनका अनुमान है कि मौजूदा 2,40,000 रुपये प्रति किलो से चांदी 1,50,000 रुपये से 1,70,000 रुपये प्रति किलो तक आ सकती है. साथ ही, उन्होंने सरकार से आयात शुल्क में कमी और सोने से जुड़ी योजनाओं को पुनर्जीवित करने की अपील की, ताकि लॉकरों में पड़ा सोना फिर से प्रचलन में आ सके और आयात पर निर्भरता घटे.

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