नाराज उद्योग जगत ने कहा, आर्थिक वृद्धि बढाने के लिये ब्याज दर घटायें बैंक

नयी दिल्ली : नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के रिजर्व बैंक के फैसले से नाखुश उद्योग जगत ने आज कहा कि आर्थिक वृद्धि और निवेश बढाने के लिये बैंकों को पिछली कटौतियों का लाभ जल्द से जल्द ग्राहकों को देना चाहिये. रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 से अब तक कुल मिलाकर नीतिगत दरों में 0.50 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 7, 2015 5:27 PM

नयी दिल्ली : नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के रिजर्व बैंक के फैसले से नाखुश उद्योग जगत ने आज कहा कि आर्थिक वृद्धि और निवेश बढाने के लिये बैंकों को पिछली कटौतियों का लाभ जल्द से जल्द ग्राहकों को देना चाहिये. रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 से अब तक कुल मिलाकर नीतिगत दरों में 0.50 प्रतिशत कटौती की है लेकिन बैंकों ने इस कटौती का लाभ ग्राहकों तक अभी नहीं पहुंचाया है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष राणा कपूर ने कहा, ‘ब्याज दरों में कटौती का मामला अब पूरी तरह से बैंकों के दायरे में है उन्हें समय रहते कदम उठाना चाहिये. नीतिगत दरों में वर्ष की शुरुआत में ही दो कटौतियां होने के बावजूद बैंकों में कर्ज का उठाव कमजोर बना हुआ है.’ एसोचैम ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कमी नहीं करने का विकल्प चुना है इसके बाद अर्थव्यवस्था में मांग में सुधार और निवेश चक्र में तेजी फिलहाल दूर की कौडी लगती है.

रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने आज मौद्रिक नीति की द्वैमासिक समीक्षा में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा है. रिजर्व बैंक कोई कदम उठाने से पहले बेमौसमी बरसात से खाद्य मुद्रास्फीति पर पडने वाले असर के बारे में स्थिति स्पष्ट होने का इंतजार करेगा. हालांकि केंद्रीय बैंक ने इसके साथ ही बैंकों पर पिछली दो कटौतियों का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने पर भी जोर दिया. पीएचडी उद्योग मंडल के अध्यक्ष आलोक बी. श्रीराम ने कहा, ‘उद्योग इस समय कठिन चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं. मांग कमजोर पड रही है जबकि व्यावसाय करने की लागत लगातार बढ रही है.’

उन्होंने कहा, ‘बैंकों को रेपो दरों में पहले की गई कटौतियों का लाभ ब्याज दरों में कटौती के रूप में देना चाहिये.’ रेपो दर वह दर होती है जिसपर रिजर्व बैंक बैंकिंग तंत्र में अल्पावधि के लिये नकदी उपलब्ध कराता है. फिलहाल यह दर 7.5 प्रतिशत पर बनी रहेगी. नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर वह अनुपात है जिसे बैंकों को नकदी के रूप में केंद्रीय बैंक में रखना होता है. यह अनुपात चार प्रतिशत पर स्थिर रहेगा.

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) अध्यक्ष अजय श्रीराम ने कहा, ‘कई अटकी पडी योजनायें प्रभावी लागत दरों पर कर्ज मिलने की प्रतीक्षा में हैं. यह अंतत: अर्थव्यवस्था में निवेश चक्र की शुरुआत करने में भी उत्प्रेरक साबित होगा. रिजर्व बैंक और बैंकों ने यदि ब्याज दरों में कटौती की होती तो इनमें से कई परियोजनाओं में काम शुरू होता. इंजीनियरिंग निर्यात संस्था इइपीसी इंडिया के चेयरमैन अनुपम शाह ने कहा कि नीतिगत दरों को यथावत रखने के रिजर्व बैंक का फैसला निर्यातकों को हतोत्साहित करने वाला साबित होगा.

रिजर्व बैंक ने इससे पहले जनवरी और मार्च में दो बार मौद्रिक समीक्षा के तय समय से हटकर नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सभी को चौंका दिया था. गवर्नर राजन ने हालांकि, सामंजस्य बिठाने वाले मौद्रिक नीति उपायों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जतायी है और कहा है कि अर्थव्यवस्था के आने वाले आंकडों के अनुरुप ही मौद्रिक नीति को बढाया जायेगा. इसके अलावा बैंकों द्वारा दरों में कटौती लाभ ग्राहकों को मिले यह उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी.

Next Article

Exit mobile version