RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, संरक्षणवाद से नौकरियों को बचाने में नहीं मिलती मदद

संयुक्त राष्ट्र : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि संरक्षणवाद से वास्तव में नौकरियों को बचाने में मदद नहीं मिलती, बल्कि यह ऑटोमेशन एवं कृत्रिम मेधा के रोजगार पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से थोड़ा बचाव उपलब्ध कराता है. राजन ने कहा कि औद्योगिक और विकासशील देश वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 17, 2019 5:43 PM

संयुक्त राष्ट्र : भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि संरक्षणवाद से वास्तव में नौकरियों को बचाने में मदद नहीं मिलती, बल्कि यह ऑटोमेशन एवं कृत्रिम मेधा के रोजगार पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से थोड़ा बचाव उपलब्ध कराता है. राजन ने कहा कि औद्योगिक और विकासशील देश वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी से वंचित लोगों की लोकतांत्रिक प्रतिक्रिया को नजरंदाज करने का जोखिम नहीं उठा सकते.

इसे भी देखें : दावोस सम्मेलन 2019 : पर्यावरण और संरक्षणवाद की चिंताओं के बीच इकोनॉमिक फोरम की बैठक

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘2019 ईसीओएसओसी फोरम ऑन फाइनेंसिंग फॉर डेवलपमेंट’ को संबोधित करते हुए कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद छह दशक तक विश्व में बहुत अधिक समृद्धि का माध्यम रही खुली उदार लोकतांत्रिक बाजार व्यवस्था अभी दबाव में है.

उन्होंने कहा कि दिलचस्प है कि इस बार इसके आलोचक कुछ अतिवादी शिक्षाविद या वाम नेता नहीं हैं, बल्कि वे विश्व के सबसे समृद्ध देशों के कुछ नेता हैं. ये वैसे देश हैं, जिन्हें खुले विश्व बाजार से बहुत अधिक फायदा हुआ.

राजन ने कहा कि हम जानते हैं कि वास्तव में संरक्षणवाद से नौकरियों को बचाने में मदद नहीं मिलती. उन्होंने कहा कि हालांकि, संरक्षणवाद से ऑटोमेशन एवं कृत्रिम मेधा से नौकरियों को बचाने में थोड़ी मदद मिलती है.

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