चीन के HBIS के हाथों Tata Steel ने बेची सिंगापुर और थाईलैंड कारोबार में 70 फीसदी हिस्सेदारी

नयी दिल्ली : टाटा स्टील ने अपनी मुख्य कंपनियों से अलग अन्य इकाइयों से हटने की अपनी योजना को आगे बढ़ाते हुए अपने सिंगापुर और थाईलैंड के कारोबार दोनों में 70-70 फीसदी हिस्सेदारी चीन के एचबीआईएस समूह को बेच दी है. कंपनी भारतीय बाजार पर ज्यादा ध्यान लगा रही है, जो इस समय तेज गति […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 28, 2019 9:22 PM

नयी दिल्ली : टाटा स्टील ने अपनी मुख्य कंपनियों से अलग अन्य इकाइयों से हटने की अपनी योजना को आगे बढ़ाते हुए अपने सिंगापुर और थाईलैंड के कारोबार दोनों में 70-70 फीसदी हिस्सेदारी चीन के एचबीआईएस समूह को बेच दी है. कंपनी भारतीय बाजार पर ज्यादा ध्यान लगा रही है, जो इस समय तेज गति से बढ़ रहा है. हिस्सेदारी बेचने के ताजा कदम के संबंध में टाटा स्टील और एचबीआईएस के बीच सोमवार को बीजिंग में एक पक्का समझौता किया गया. यह सौदा करीब 48 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है.

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टाटा स्टील के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी टीएस ग्लोबल होल्डिंग्स (टीएसजीएच) की सिंगापुर में नैट स्टील होल्डिंग्स और थाईलैंड में टाटा स्टील थाईलैंड का परिचालन करती है. टीएसजीएच ने दोनों बाजार से बाहर आने के लिए दोनों कंपनियों में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी चीन के एचबीआईएस समूह को बेच दी है. एचबीआईएस समूह इसके लिए टाटा को 32.7 करोड़ डॉलर का नकद भुगतान करेगा. साथ ही, दोनों कंपनियों पर बकाया 15 करोड़ डॉलर के कर्ज की जिम्मेदारी भी ले रहा है.

टाटा स्टील के मुख्य कार्यकारी और प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन ने कहा कि वह अपने दक्षिण पूर्वी एशियाई कारोबार के भविष्य को लेकर एचबीआईसी समूह के साथ बातचीत करता रहा है. समझौते के मुताबिक, कंपनी में 70 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री एचबीआईएस के नियंत्रण वाली इकाई को और शेष 30 फीसदी का अधिग्रहण टीएसजीएच करेगी. नरेन्द्रन कहा कि यह पक्का समझौता हमारे बीच रणनीति संबंधों के मामले में एक उल्लेखनीय पड़ाव है. इससे दक्षिण पूर्वी एशियाई कारोबार में तीव्र वृद्धि के अवसर पैदा होंगे, संसाधनों तक पहुंच, तकनीकी विशेषज्ञता और एचबीआईएस के साथ क्षेत्रीय समझ बढ़ेगी.

एचबीआईएस समूह की स्थापना 30 जून, 2008 में हुई थी. यह दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात उत्पादक कंपनियों में से एक है. चीन के हेदेई प्रांत में तांगशन आयरन एंड स्टील समूह तथा हंदान आयरन एंड स्टील समूह के विलय के बाद यह कंपनी अस्तित्व में आयी. टाटा स्टील का यह इस तरह का दूसरा रणनीतिक विनिवेश है. इससे पहले कंपनी ने पिछले साल घाटे में चल रहे अपने यूरोपीय परिचालन का विलय थाईसेनक्रुप के साथ कर दिया था.

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