बिहार चुनाव में महिला मतदाता बनीं ‘किंगमेकर’, लेकिन टिकट बंटवारे में महिलाओं को नहीं मिली तवज्जों
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिला मतदाता इस बार सबसे निर्णायक भूमिका में हैं. सभी दल उन्हें लुभाने के लिए बड़े वादे कर रहे हैं, मगर टिकट बंटवारे में महिलाओं को अपेक्षित प्रतिनिधित्व नहीं मिला, जिससे वीमेन्स इम्पावरमेंट का दावा फिर सवालों में है.
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की चेस बोर्ड पर महिला मतदाता इस बार किंगमेकर की भूमिका में हैं, यही वजह है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन दोनों ही महिला वोट बैंक को साधने के लिए बड़े वादे कर रहे हैं. हालांकि, इन लुभावनी घोषणाओं के बावजूद भी राजनीतिक दलों ने टिकट बांटने में वीमेन्स इम्पावरमेंट के मुद्दे पर फेल्यर साबित हुए हैं. चुनाव में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की पुरानी मांग को सभी प्रमुख पार्टियों ने एक बार फिर दरकिनार कर दिया है. आंकड़ों का विश्लेषण दर्शाता है कि महिलाओं को टिकट देने में दोनों गठबंधनों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है.
प्रतिनिधित्व की कसौटी पर पिछड़े प्रमुख दल
महिलाओं को टिकट बांटने में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की स्थिति भी कुछ खास बेहतर नहीं रही है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) दोनों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 13-13 महिलाओं को टिकट दिया. NDA के अन्य सहयोगी, जिनमें लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) शामिल हैं, ने कुल 6 महिलाओं को उम्मीदवार बनाया. जीतन राम मांझी की HAM ने भी परिवार की दो महिलाओं को ही टिकट दिया. NDA ने राज्य की कुल 243 सीटों में से केवल 35 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है.
महिलाओं को हिस्सेदारी देने में RJD आगे
महागठबंधन का भी हाल महिलाओं को टिकट बांटने में कोई बहुत अच्छा नहीं रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) बड़ी पार्टी होने के बावजूद 143 सीटों में से केवल 24 महिलाओं को ही मैदान में उतार पाई, जो लगभग 16% हिस्सेदारी है. गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस का रिकॉर्ड और भी कमज़ोर रहा 61 सीटों में से केवल 5 महिलाओं को टिकट मिला. कुल मिलाकर, RJD और कांग्रेस ने 204 सीटों में से मात्र 29 महिलाओं पर भरोसा जताया. यह स्पष्ट है कि कोई भी दल या गठबंधन, महिला आरक्षण के निर्धारित लक्ष्य के आस-पास भी नहीं पहुंच पाया है.
महिला वोट बैंक पर JDU की नजर
महिलाओं को टिकट बांटने में भले ही राजनीतिक दल पीछे रह गए हों, लेकिन महिलाओं के वोट बैंक को साधने में कोई भी दल पीछे नहीं रहा है। CM नीतीश कुमार ने महिला वोट बैंक को विकसित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश सरकार ने वीमेन्स इम्पावरमेंट पर फोकस बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 1.21 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में 10,000 रुपये की राशि हस्तांतरित की गई है.
इसके साथ ही, आंगनबाड़ी सेविकाओं और स्कूल रसोइयों के मानदेय में वृद्धि की घोषणा कर सरकार ने अपने सामाजिक कल्याण के संदेश को और मज़बूत किया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम चुनावी रणनीति का हिस्सा भी है, जिससे महिला मतदाताओं के बीच नीतीश सरकार की छवि को सशक्त और सहानुभूतिपूर्ण रूप में पेश किया जा सके.
महिलाओं को रिझाने में RJD भी पीछे नहीं
वहीं, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ‘रोजगार’ के सहारे महिलाओं की वोट बैंक को साधने की रणनीति अपनाई है. उन्होंने ‘जीविका दीदी’ को स्थायी सरकारी नौकरी और 30,000 रुपये मासिक वेतन देने का बड़ा वादा किया है. इसके अतिरिक्त, हर परिवार को सरकारी नौकरी देने की उनकी घोषणा महिलाओं के बीच एक बड़ा आकर्षण बिंदु है.
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