SIR पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को तेजस्वी यादव ने बताया लोकतंत्र की जीत
Tejashwi Yadav on SIR: राजद नेता तेजस्वी यादव ने SIR पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को लोकतंत्र और विपक्ष की जीत बताया. कोर्ट ने आधार को मान्यता, 65 लाख हटाए गए नामों की सूची व कारण सार्वजनिक करने और विज्ञापन से सूचना देने का निर्देश दिया. तेजस्वी ने प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी पर सरकार और चुनाव आयोग को घेरा.
Tejashwi Yadav on Supreme Court Order: राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को विपक्ष की बड़ी जीत बताया है. उन्होंने कहा कि SIR (Summary Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने संसद से लेकर विधानसभा और सड़क तक, हर मंच पर संघर्ष किया और आज सुप्रीम कोर्ट में बहस के बाद जो फैसला आया, वह लोकतंत्र की जीत का सबूत है.
तेजस्वी यादव ने क्या कहा ?
तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया कि विपक्ष SIR के पूरी तरह खिलाफ नहीं था, बल्कि उसकी प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल उठा रहा था. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग SIR प्रक्रिया से जुड़ी कई अहम जानकारियों को छिपा रहा था, जिससे मतदाता भ्रमित हो रहे थे. तेजस्वी यादव ने कहा, “हम शुरुआत से ही कह रहे थे कि अगर प्रक्रिया पारदर्शी होगी और जनता को पूरी जानकारी दी जाएगी, तो इससे किसी को आपत्ति नहीं होगी.”
कोर्ट ने मांगों को दी मान्यता: तेजस्वी यादव
सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का जिक्र करते हुए तेजस्वी ने कहा, “कोर्ट ने हमारी कई मांगों को मान्यता दी है. पहला, आधार कार्ड को मतदाता पहचान के रूप में मान्य किया जाएगा. दूसरा, जिन 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटे गए हैं, उनके नामों की सूची बूथ स्तर पर सार्वजनिक की जाएगी और साथ ही नाम काटने का कारण भी बताया जाएगा. तीसरा, इस पूरी प्रक्रिया के बारे में व्यापक स्तर पर विज्ञापन जारी कर जनता को सूचित किया जाएगा.”
नाम काटे जाने पर क्या बोले तेजस्वी यादव ?
राजद नेता ने कहा कि यह फैसला सिर्फ विपक्ष की जीत नहीं, बल्कि हर उस मतदाता की जीत है जो अपने मताधिकार को बचाने के लिए चिंतित था. उन्होंने बताया कि SIR के तहत बड़ी संख्या में नाम काटे जाने से लाखों लोग मतदान के अधिकार से वंचित हो सकते थे. तेजस्वी यादव ने कहा, “हमने बार-बार कहा कि बिना सही सूचना दिए और बिना कारण बताए किसी का नाम सूची से हटाना लोकतंत्र के खिलाफ है.”
केंद्र सरकार पर साधा निशाना
तेजस्वी यादव ने केंद्र और राज्य सरकार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि SIR प्रक्रिया को जिस तरह से लागू किया गया, उसमें पारदर्शिता और जनसंपर्क की भारी कमी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया में आम नागरिकों को शामिल करने के बजाय चुपचाप नाम काटने का काम किया. उन्होंने कहा, “अगर विपक्ष और जनता आवाज नहीं उठाते, तो शायद आज भी ये जानकारी लोगों तक नहीं पहुंचती.”
दोबारा गड़बड़ी होने पर क्या करेंगे तेजस्वी
उन्होंने उम्मीद जताई कि अब चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ईमानदारी से पालन करेगा और हर मतदाता को उसके अधिकार के बारे में समय रहते सूचित करेगा. तेजस्वी ने कहा, “हम इस मामले पर नजर बनाए रखेंगे और अगर आदेश के पालन में कोई गड़बड़ी हुई, तो फिर से कानूनी और जन आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे.”
क्या है पूरा मामला ?
SIR विवाद ने पिछले कुछ महीनों में बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि इस प्रक्रिया के नाम पर लाखों वैध मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे मतदाता सूची को पारदर्शी करने की प्रक्रिया बताया था. अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश इस विवाद में एक अहम मोड़ लेकर आया है, जिससे आने वाले चुनावों में मतदाता सूची से जुड़ी पारदर्शिता पर असर पड़ सकता है.
