Bihar Election: सत्ता की चाबी भी रामविलास पासवान को नहीं बना सका किंगमेकर, इस जिद्द से लगा बिहार में राष्ट्रपति शासन

Bihar Election: साल 2000 में झारखंड के अलग राज्य बन जाने के बाद बिहार में विधानसभा सीटों की संख्या घटकर 243 रह गयी. फरवरी 2005 में जब चुनाव हुआ तो किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं मिला. लेकिन इस चुनाव में रामविलास पासवान को 29 सीटें मिली थी और वह जिधर जाते उधर सरकार बननी तय थी.

By Prashant Tiwari | September 11, 2025 3:12 PM

Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़ा है तो ऐसे में पिछले चुनावों की कहानियां भी सामने आने लगी है. 1990 से लेकर अब तक राज्य की राजनीति प्रमुख रूप से दो नेताओं लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के इर्द गिर्द ही घूमती रही है. लेकिन इन 35 सालों के दरम्यान फरवरी 2005 में एक वक्त ऐसा भी आया जब भले ही कुछ समय के लिए ही सही लेकिन बिहार की सत्ता की चाबी दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पास थी. हालांकि अपनी ही एक जिद्द की वजह से ही वह प्रदेश की राजनीति के किंगमेकर नहीं बन पाए और बिहार में एक बार फिर से राष्ट्रपति शासन लगा. 

2005 में किस दल ने कितनी सीटें जीतीं?

दलसीटेंवोट(%)
भाजपा3710.97%
बसपा24.41%
भाकपा31.58%
माकपा10.64%
कांग्रेस105.00%
एनसीपी3 0.98%
जदयू5514.55%
जेएमएम0 0.31%
राजद7525.07%
भाकपा माले72.49%
सपा42.69%
लोजपा2912.62%
निर्दलीय1716.16%
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान

क्या थी रामविलास पासवान की जिद्द? 

दरअसल, फरवरी 2005 में 29 सीट जीतकर आए रामविलास चाहते थे कि इस बार बिहार का मुख्यमंत्री किसी मुस्लिम नेता को बनाया जाए. लेकिन इसके लिए न तो लालू प्रसाद यादव और न ही नीतीश कुमार तैयार थे. वहीं, रामविलास पासवान ने भी ऐलान कर दिया था कि भले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाए लेकिन वह अपना फैसला नहीं बदलेंगे और हुआ भी कुछ ऐसा ही 7 मार्च की शाम को बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया और यह अगली बिहार विधानसभा चुनाव 24 नवंबर 2025 तक लागू रहा. 

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राष्ट्रपति शासन पर एपीजे अब्दुल कलाम हुए नाराज

इस दौरान एक और बड़ी घटना घटी बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू होने से तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम नाराज हो गए. उन्होंने अपना इस्तीफा देने का मन बना लिया  और अपने निजी सचिव को इस्तीफा टाइप करने का निर्देश भी दे दिया. इस बात की जानकारी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को हुई, तो वे तुरंत राष्ट्रपति भवन पहुंचे. उन्होंने कलाम साहब को इस्तीफा न देने के लिए बहुत समझाया और कहा कि ऐसा कदम पूरे देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर देगा, और संभवतः फिर से आम चुनाव कराने की नौबत आ जाएगी. डॉ. मनमोहन सिंह की गंभीर अपील के बाद अंततः कलाम साहब ने इस्तीफा देने का विचार छोड़ दिया. इसके साथ ही मनमोहन सिंह ने उन्हें यह भी यकीन दिलाया की जल्द ही बिहार में विधानसभा चुनाव कराकर वह सरकार का गठन कर दिया जाएगा.

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