Election Express: गया टाउन चौपाल में मंच पर ही भिड़ गए नेता जी! जनता के सवालों पर जनप्रतिनिधियों में हुई जमकर बहस
Gaya Town Assembly Election Express: गया शहरी विधानसभा क्षेत्र में प्रभात खबर इलेक्शन एक्सप्रेस की चौपाल में जनता ने जनप्रतिनिधियों को घेरते हुए जाम, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधा और सीवरेज जैसी मूलभूत समस्याओं पर तीखे सवाल दागे. मंच पर बैठे नेताओं के बीच भी कई बार गरमा-गरम बहस देखने को मिली.
Gaya Town Assembly Election Express: प्रभात खबर इलेक्शन एक्सप्रेस की चौपाल का आयोजन शनिवार को गया शहरी विधानसभा क्षेत्र के गांधी मैदान के गांधी मंडप में किया गया. कई मुद्दों को लेकर मंच पर ही जनप्रतिनिधियों के बीच जमकर बहस हुई. कई बार तो सभी नेता एक दूसरे से भिड़ते नजर आए. करीब एक घंटे तक चले इस चौपाल कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों के सामने बैठी जनता ने सवालों की झड़ी लगा दी.
गया शहरी विधानसभा क्षेत्र के पांच प्रमुख मुद्दे
- जाम से निजात के लिए न कोई फ्लाइओवर, न ही सड़कों का चौड़ीकरण किया गया.
- रोजगारपरक तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षण संस्थान के अभाव में युवा बाहर जाने को मजबूर हैं.
- गंभीर रोग के इलाज के लिए एम्स जैसी सुविधा वाली कोई स्वास्थ्य सुविधा या बड़े अस्पताल नहीं हैं.
- कोई कल-कारखाना नहीं खुला, न ही बेरोजगारों को रोजगार के लिए कोई इंतजाम हुआ.
- शहर में सीवरेज सिस्टम का अभाव, जिसकी वजह से पानी निकासी की समस्या बनी रहती है.
गया शहरी विधानसभा के चौपाल में कौन-कौन आए?
- जिला पर्षद अध्यक्ष नैना कुमारी
- कांग्रेस से डॉ देविका सरयार
- कुणाल अग्रवाल
- नगर निगम स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य पूर्व डिप्टी मेयर अखौरी ओंकार नाथ उर्फ मोहन श्रीवास्तव के प्रतिनिधि रजनीश कुमार ‘झुन्ना’
- जन सुराज के गजेंद्र सिंह
- भाजपा के वरिष्ठ नेता मनीष पंकज के प्रतिनिधि राणा रंजीत सिंह
कारखाने को स्थापित करने का उठा मुद्दा
गया शहरी विधानसभा क्षेत्र में जाम से निजात दिलाने, रोजगारपरक शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने व बेरोजगारी दूर करने के लिए कल-कारखाने की स्थापना करने का मुद्दा लोगों ने उठाया. वहीं, सबसे अधिक 35 वर्षों से यहां के प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक सह मंत्री डॉ प्रेम कुमार को दोषी ठहराते हुए पैनल में मंच पर आसीन संभावित उम्मीदवारों को घेरा गया. जनता का कहना था एक वर्ष से अधिक हो गये कॉरिडोर की घोषणा हुए, लेकिन अब तक न डीपीआर बनी न टेंडर निकला.गया जी की जनता को बहलाने का एक शिगुफा छोड़ा गया है.
हर एक सड़क पर बनी रहती है जाम की स्थिति
जनता का सवाल था कि गया की हर एक सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है. इससे न केवल आम लोग, बल्कि सीरियस मरीज, स्कूली बच्चे व कामकाजी लोग जिन्हें समय पर ड्यूटी जाना होता है, घंटों परेशानी झेलते हैं. न कोई फ्लाइओवर बना है ना ही सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है. इसके अलावा जिले भर से हर वर्ष हजारों-हजार कामगार पलायन करते हैं. रोजगार की कोई सुविधा नहीं है. इतने वर्षों में न कोई कल-कारखाने खुले न ही रोजगार के अन्य इंतजाम किये गये. काम की तलाश में नवयुवक व कामगार दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं, जिन्हें वहां गुलामी की जिंदगी जीने को विवश होना पड़ता है.
सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलती है बेहतर सुविधा
यहां एम्स जैसी सुविधा लायक कोई अस्पताल नहीं है. जो सरकारी अस्पताल हैं, वहां साधन, संसाधन व चिकित्सक का घोर अभाव है. जटिल रोगों के इलाज का कोई इंतजाम नहीं है. यहां तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा का कोई बड़ा संस्थान नहीं है. इस कारण पढ़ाई कर रहे लड़कों को दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है. इसके अलावा पानी निकासी के लिए शहर में सिवरेज सिस्टम नहीं है, इस पर सवाल किये गये.
