Bihar Elections 2025: तिरहुत, कोसी और दरभंगा में रिकॉर्ड वोटिंग, क्या महागठबंधन भेद पाएगा NDA का मजबूत किला?
Bihar Elections 2025: कोसी और सीमांचल ने इस बार वोटिंग में अपने इरादे साफ कर दिए. पहले चरण में इन इलाकों में 65 फीसदी से ज्यादा मतदान दर्ज हुआ, जिसने पूरे चुनावी माहौल में नई गर्मी भर दी. कोसी की तेज लहर और सीमांचल की स्थिर आवाजें इस बार सत्ता की दिशा बदलने या फिर उसे दोहराने का बड़ा संकेत देती दिखीं.
Table of Contents
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण ने इतिहास की धूल हिला दी. आजादी से लेकर अब तक के तमाम चुनावों का रिकॉर्ड टूट गया और मतदान प्रतिशत ने नए कीर्तिमान गढ़ दिए. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस चरण में कुल 65.08 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. उत्तर और दक्षिण बिहार के संतुलन वाली इस वोटिंग में कई जिलों ने अप्रत्याशित प्रदर्शन किया.
सबसे अधिक उत्साह मुजफ्फरपुर में दिखा, जहां 71.81 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले. समस्तीपुर भी 71.74 प्रतिशत के साथ पीछे नहीं रहा. वहीं मतदान के मामले में पटना सबसे नीचे रहा, जहां सिर्फ 59.02 प्रतिशत मतदाता मतदान केंद्रों तक पहुंचे. इसके अलावा बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा और वैशाली जैसे जिलों ने 65 प्रतिशत से अधिक मतदान के साथ चुनावी हलचल को और रोचक बना दिया.
Bihar Elections 2025: उत्तर बिहार फिर फोकस में
बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 153 उत्तर बिहार और 90 दक्षिण बिहार में आती हैं. पहले चरण में मतदान मुख्य रूप से उत्तर बिहार के 11 जिलों में हुआ, जिनमें पिछले चुनाव 2020 में एनडीए को बढ़त मिली थी. यही वजह है कि इस बार भी राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें इन जिलों पर टिकी रहीं.
पिछले कुछ चुनावों का ट्रेंड देखें तो मिथिलांचल, कोसी और तिरहुत के जिलों में एनडीए की पकड़ मजबूत रही है. वहीं पटना, भोजपुर और बक्सर जैसे जिलों में महागठबंधन को फायदा मिलता रहा है. इस बार भी दोनों पक्ष भारी मतदान को अपने-अपने हिसाब से पढ़ रहे हैं. एनडीए इसे सरकार के पक्ष में जनसमर्थन बता रहा है, जबकि महागठबंधन इसे बदलाव की लहर का संकेत मान रहा है.
पिछली बार इन्हीं सीटों पर कांटे की लड़ाई
2020 के चुनाव में पहले चरण की 18 जिलों की 121 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच बेहद नजदीकी मुकाबला हुआ था. महागठबंधन को 61 सीटें मिली थीं, जबकि एनडीए को 59. एक सीट लोजपा के खाते में गई थी, जो बाद में जदयू में शामिल हो गई.
राजद ने पिछली बार 75 में से 42 सीटें इसी पहले चरण में जीती थीं. भाजपा को 32, जदयू को 23, कांग्रेस को 8, भाकपा माले को 7 और सीपीआई तथा सीपीएम को दो-दो सीटें मिली थीं. यही वजह है कि इस बार के भारी मतदान को दोनों गठबंधन अपनी-अपनी ताकत की कसौटी पर तौल रहे हैं.
सीटों का समीकरण और दलों की रणनीति
पहले चरण की अधिकांश सीटें पिछली बार जदयू के कब्जे में थीं. इसलिए इस बार भी एनडीए में जदयू को 57 सीटें दी गईं. भाजपा ने 48 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लोजपा (रामविलास) ने 12 और रालोमो ने दो सीटों पर दांव लगाया. महागठबंधन ने भी पहले चरण में अपनी पूरी ताकत झोंक दी. राजद ने अकेले 73 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए. कांग्रेस 24, भाकपा माले 14, माकपा 3, भाकपा 4 और वीआईपी 4 सीटों पर मैदान में उतरा.
जिलेवार मतदान से क्या संकेत मिलता है?
जिलेवार मतदान प्रतिशत में कई दिलचस्प संकेत छिपे हैं. मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा और वैशाली जैसे जिलों में ज्यादा वोटिंग यह बताती है कि इन इलाकों में मुकाबला बेहद जोशीला है. पटना, भोजपुर और नालंदा जैसे इलाकों में कम मतदान यह दिखाता है कि शहरों में उत्साह अपेक्षाकृत कम रहा.
कब आएगा बिहार चुनाव का परिणाम?
पहले चरण की रिकॉर्ड वोटिंग ने दूसरे चरण के लिए भी उत्सुकता बढ़ा दी है. दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा, जबकि परिणाम 14 नवंबर को आएंगे. भारी मतदान का असर किसके पक्ष में जाएगा, यह अब वोटों की गिनती ही तय करेगी. लेकिन इतना साफ है कि बिहार 2025 की लड़ाई पिछले किसी भी चुनाव से ज्यादा जोरदार और दिलचस्प हो चुकी है.
