WhatsApp की नयी प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ याचिका, निजता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए तुरंत रोक लगाने की मांग

Whatsapp New Privacy Policy challenged in Delhi High Court: व्हाट्सऐप की नयी डेटा प्राइवेसी पॉलिसी को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिका में व्हाट्सऐप की नयी प्राइवेसी पॉलिसी पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि व्हाट्सऐप की नयी पॉलिसी भारत के लोगों को मिले निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन है. यूजर का डेटा साझा करना गैरकानूनी है.

By Prabhat Khabar Print Desk | January 15, 2021 1:07 PM

Whatsapp New Privacy Policy challenged in Delhi High Court: व्हाट्सऐप की नयी डेटा प्राइवेसी पॉलिसी को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच करेगी. केंद्र सरकार के साथ-साथ इस याचिका में मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स इनफाॅर्मेशन टेक्नोलॉजी (ministry of electronics and information technology) को भी पार्टी बनाया गया है.

याचिका में व्हाट्सऐप की नयी प्राइवेसी पॉलिसी पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि व्हाट्सऐप की नयी पॉलिसी भारत के लोगों को मिले निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन है. यूजर का डेटा साझा करना गैरकानूनी है.

व्हाट्सऐप की नयी पॉलिसी को लेकर जहां यूजर्स अपनी निजता खतरे में देख रहे हैं, वहीं दिल्ली हाईकोर्ट में दायर इस याचिका में यह कहा गया है कि व्हाट्सऐप की नयी पॉलिसी के तहत कंपनी को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति की वर्चुअल तौर पर कोई भी ऑनलाइन गतिविधि 360 डिग्री में देख सके. याचिका में कहा गया है कि यह किसी भी व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन है.

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क्या है याचिका में?

याचिका में कहा गया है कि व्हाट्सऐप की नयी पॉलिसी का मतलब यह है कि लोगों की ऑनलाइन एक्टिविटी पर हमेशा नजर रखी जाएगी. यह सब सरकार की निगरानी के बिना होगा. इसलिए व्हाट्सऐप की पॉलिसी पर तत्काल रोक लगायी जानी चाहिए. रोहिल्ला ने कोर्ट से यह अनुरोध भी किया कि वह इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को गाइडलाइंस बनाने का निर्देश दे, ताकि व्हाट्सऐप यूजर्स का डेटा फेसबुक या किसी भी दूसरी कंपनी के साथ शेयर न किया जा सके. अभी डेटा पर निगरानी रखने वाली कोई अथॉरिटी नहीं है, ऐसे में यूजर पूरी तरह कंपनी की प्राइवेसी पॉलिसी पर निर्भर हैं. एडवोकेट रोहिल्ला का कहना है कि भारत ने नागरिक और राजनीतिक अधिकारों से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियम (ICCPR) पर दस्तखत किये हैं इसलिए डेटा की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है.

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