भारतीय ग्राहक अब माइलेज नहीं इन फीचर्स को देख खरीदते हैं कार!
भारतीय बाजार में गाड़ी खरीदने का फैसला करते समय ग्राहकों की सोच में भी काफी बदलाव आया है. जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, वैसे-वैसे उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता और गाड़ियों को लेकर उनकी चाहतें भी बढ़ रही हैं. नतीजतन, बदलती ग्राहक पसंद बाजार को नया रूप दे रही हैं.
Indian Car Buyers: कारें कभी अमीरों का शौक हुआ करती थीं, लेकिन वह जमाना बीत चुका है. बढ़ती आमदनी, आसानी से मिलने वाले लोन और बदलती महत्वाकांक्षाओं के चलते निजी कार अब सिर्फ एक जगह से दूसरी जगह जाने का जरिया नहीं रह गई है, बल्कि यह एक जरूरी लाइफस्टाइल प्रोडक्ट बन चुकी है.
ऑटो उद्योग में काफी बड़े बदलाव
पिछले दशक में, भारतीय ऑटो उद्योग में काफी बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. कार कंपनियां लगातार प्रीमियम या प्रीमियम जैसी दिखने वाली कारें बाजार में ला रही हैं, जिनकी गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय बाजार की कारों के बराबर या लगभग बराबर होती है. भारतीय बाजार में गाड़ी खरीदने का फैसला करते समय ग्राहकों की सोच में भी काफी बदलाव आया है. जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, वैसे-वैसे उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता और गाड़ियों को लेकर उनकी चाहतें भी बढ़ रही हैं. नतीजतन, बदलती ग्राहक पसंद बाजार को नया रूप दे रही हैं.
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अब माइलेज भारतीय ग्राहकों के लिए उतना बड़ा फैक्टर नहीं रहा
किसी भी गाड़ी को खरीदते समय उसकी कुल मिलाकर कितनी वैल्यू मिल रही है, यह तय करने में सबसे अहम चीजों में से एक उसका माइलेज माना जाता था. यही कारण है कि भारतीय ग्राहक हमेशा बड़ी गाड़ियों के बजाय छोटी गाड़ियों को तरजीह देते थे जो कम ईंधन खर्च करती हैं. हालांकि, अब माइलेज भारतीय ग्राहकों के लिए उतना बड़ा फैक्टर नहीं रहा, खासकर तब जब पूरे देश में पेट्रोल की औसत कीमत ₹100 प्रति लीटर से ऊपर और डीजल की औसत कीमत ₹90 प्रति लीटर से ऊपर पहुंच चुकी है.
सेफ्टी फीचर्स पर ग्राहकों का ध्यान
भारत में कारें अब सिर्फ लोहे के डिब्बे नहीं रह गई हैं. आजकल भारत में आने वाली गाड़ियां एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद से कई तरह के एक्टिव और पैसिव सेफ्टी फीचर्स से लैस होती हैं. गाड़ियों की बनावट में भी काफी सुधार हुआ है. कुल मिलाकर, भारत में बनने वाली गाड़ियों में अब उतने ही सेफ्टी फीचर्स और उतनी ही अच्छी बनावट होती है, जितनी की यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों में बिकने वाली गाड़ियों में होती है.
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McKinsey’s Automotive Consumer Survey के अनुसार, लगभग 78 प्रतिशत भारतीय कार खरीदार अब सुरक्षा फीचर्स को प्राथमिकता देते हैं. यह ग्राहक पसंद में एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि दस साल पहले गाड़ी खरीदते समय सुरक्षा को इतना अहम नहीं माना जाता था. सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा पर जोर देने और लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ने से अब भारत में ज्यादातर गाड़ियों में कई एयरबैग्स, ABS, EBD और ESC जैसे जरूरी सेफ्टी फीचर्स स्टैंडर्ड तौर पर आने लगे हैं. कुल मिलाकर, सुरक्षा फीचर्स अब ग्राहकों का ध्यान खींच रहे हैं और उनकी गाड़ी खरीदने के फैसले को पहले से कहीं ज्यादा प्रभावित कर रहे हैं.
डिजिटल फीचर्स ग्राहकों को कर रहे हैं आकर्षित
डिजिटलाइजेशन के दौर में, ऑटो उद्योग में भी रिटेल सेगमेंट हो या फिर गाड़ी चलाने का अनुभव, हर जगह डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है. McKinsey की एक स्टडी के अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत भारतीय ग्राहक कार चुनते समय कनेक्टिविटी फीचर्स जैसे स्मार्टफोन इंटीग्रेशन, ब्लूटूथ कनेक्टिविटी और इन-कार वाईफाई को जरूरी मानते हैं. आधुनिक भारतीय कार खरीदार अपनी गाड़ियों में आसान कनेक्टिविटी और एडवांस इंफोटेनमेंट सिस्टम चाहते हैं, जो कि वैश्विक बाजार के रुझानों के अनुसार ही है.
बढ़ती हुई उपभोक्ता मांग से उत्साहित, वाहन निर्माता अपने-अपने वाहनों में दूसरों से अलग बनाने के प्रयास में उन्नत इंफोटेनमेंट सिस्टम, वॉयस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी और व्यक्तिगत यूजर इंटरफेस की पेशकश पर जोर दे रहे हैं. उपभोक्ता वरीयता में यह बदलाव एक दशक पहले की स्थिति से बिल्कुल अलग है, जब कार खरीदार वाहनों के हार्डवेयर पर ध्यान देते थे, न कि सॉफ्टवेयर से चलने वाले फीचर्स पर.
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