US बनाएगा ‘ट्रंप-क्लास’ जंगी जहाज, अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद की घोषणा, बताया; अब तक का सबसे बड़ा, क्या खास होगा इसमें?

US President announces Trump-class battleships: संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को खुद अमेरिकी नौसेना की ‘गोल्डन फ्लीट’ में नौसेना के नए ‘ट्रंप क्लास’ युद्धपोतों (बैटलशिप्स) की घोषणा की. दुनिया के ‘अब तक के सबसे बड़े युद्धपोत’ घोषित करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका कुल 20 से 25 ऐसे जहाज बनाएगा, जो मौजूदा अमेरिकी युद्धपोतों की तुलना में 100 गुना अधिक ताकतवर होंगे.

By Anant Narayan Shukla | December 23, 2025 7:11 AM

US President announces Trump-class battleships: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को युद्धपोतों की एक नई श्रेणी की योजना का खुलासा किया, जो उनके नाम पर होगी. आमतौर पर नेताओं को यह सम्मान पद छोड़ने के बाद दिया जाता है. हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को खुद अमेरिकी नौसेना की ‘गोल्डन फ्लीट’ में नौसेना के नए ‘ट्रंप क्लास’ युद्धपोतों (बैटलशिप्स) की घोषणा की. दुनिया के ‘अब तक के सबसे बड़े युद्धपोत’ घोषित करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका कुल 20 से 25 ऐसे जहाज बनाएगा, जो मौजूदा अमेरिकी युद्धपोतों की तुलना में 100 गुना अधिक ताकतवर होंगे. उन्होंने कहा कि 30,000 से 40,000 टन वजनी ये युद्धपोत ‘सबसे घातक’ युद्धपोत होंगे और इनमें परमाणु हथियारों के साथ-साथ तोपें और मिसाइलें भी होंगी. ट्रंप-क्लास जहाज आर्ले बर्क क्लास डिस्ट्रॉयर की जगह लेंगे, जिनकी सेवा आयु अभी लगभग चार दशक और बची है और जो एजिस कॉम्बैट सिस्टम से लैस हैं, जो मिसाइल रक्षा क्षमता प्रदान करता है.

ट्रंप के फ्लोरिडा स्थित मार-ए-लागो एस्टेट में आयोजित कार्यक्रम के दौरान लगाए गए एक पोस्टर में एक आकर्षक दिखने वाले युद्धपोत का कलाकार द्वारा बनाया गया चित्र दिखाया गया था, जिसे यूएसएस डिफायंट (USS Defiant) नाम दिया गया है. इस चित्र में युद्धपोत उथल-पुथल भरे समुद्र को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा है, उसके डेक से एक लेजर बीम निकल रही है और पीछे एक टारगेट से धुआं उठता दिखाई दे रहा है. जहाज के पास ही ट्रंप की एक तस्वीर लगी थी, जिसमें वे मुट्ठी हवा में उठाए हुए नजर आते हैं. यह मुद्रा 2024 में हत्या के प्रयास से बचने के कुछ ही मिनट बाद अपनाई गई उनके ‘डिफायंट’ अंदाज की लगभग हूबहू नकल है. एक अन्य पोस्टर में इस युद्धपोत को स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के पास से गुजरते हुए दिखाया गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “हम एक गोल्डन फ्लीट की ओर बढ़ रहे हैं; हम यूनाइटेड स्टेट्स नेवी के लिए निर्माण कर रहे हैं. हमें जहाजों की सख्त जरूरत थी क्योंकि हमारे कई जहाज पुराने, थके हुए और अप्रचलित हो चुके हैं. कमांडर-इन-चीफ के रूप में मैंने नौसेना को अब तक के सबसे बड़े, बिल्कुल नए युद्धपोतों के निर्माण की योजना को मंजूरी दी है. ये 100 गुना ताकत और शक्ति वाले होंगे. इन पर लंबे समय से डिजाइन पर विचार किया जा रहा था और इसकी शुरुआत मेरे पहले कार्यकाल में हुई थी. ये दुनिया के सबसे बेहतरीन, सबसे तेज और सबसे बड़े जहाज होंगे.”

पहले ही खुद को नए हथियार सिस्टम से जोड़ चुके हैं ट्रंप

ट्रंप पहले ही खुद को एक अन्य नए हथियार सिस्टम F-47 स्टेल्थ से जोड़ चुके हैं, जो उनके 47वें राष्ट्रपति होने की ओर इशारा करता है. इसके अलावा, उन्होंने नव-नामित डोनाल्ड जे. ट्रंप और जॉन एफ. कैनेडी मेमोरियल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स और डोनाल्ड जे. ट्रंप इंस्टीट्यूट ऑफ पीस पर भी अपना नाम जोड़ा है. वहीं ये नए जहाज ट्रंप की “गोल्डन फ्लीट” योजना का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिकी जहाज निर्माण उद्योग को पुनर्जीवित करना और छोटे जहाजों की कमी को दूर करना है, ताकि चीन से मुकाबला किया जा सके. 

चीन से पीछे है अमेरिका

दुनिया के करीब 53 प्रतिशत जहाज चीन में बनते हैं, जबकि हालिया सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के आकलन के अनुसार अमेरिका केवल 0.1 प्रतिशत वैश्विक जहाज निर्माण करता है. अमेरिकी जहाज निर्माण की स्थिति चीन की उत्पादन क्षमता से काफी पीछे है और ट्रंप प्रशासन इस अंतर को कम करने के लिए जहाज निर्माण उद्योग में निवेश को प्राथमिकता दे रहा है. ट्रंप ने इस साल की शुरुआत में ऑफिस ऑफ शिपबिल्डिंग की स्थापना की, जिसमें कंपनियों को अमेरिका में निवेश के लिए टैक्स प्रोत्साहन देने की योजना है.

लेजर और हाइपरसोनिक मिसाइलों से होगी लैस

जब उनसे पूछा गया कि क्या ये नए युद्धपोत बीजिंग (चीन) को ध्यान में रखकर बनाए जा रहे हैं, तो ट्रंप ने इस सुझाव को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, “यह सबके लिए है, यह चीन के खिलाफ नहीं है. चीन के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं.” ट्रंप के अनुसार, ये जहाज 30,000 से 40,000 टन वजनी होंगे और इनमें मिसाइलों व तोपों के साथ-साथ विकसित हो रहे उन्नत हथियार, जैसे लेजर और हाइपरसोनिक मिसाइलें भी होंगी. उन्होंने यह भी कहा कि ये पोत परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होंगे, जिनमें परमाणु-सशस्त्र समुद्र-से-लॉन्च होने वाली क्रूज मिसाइल शामिल है. ये एआई-नियंत्रित होंगे… इन जहाजों के डिजाइन का नेतृत्व अमेरिकी नौसेना मेरे साथ मिलकर करेगी. ट्रंप-क्लास जहाज मौजूदा अमेरिकी डिस्ट्रॉयर और क्रूजर की तुलना में काफी बड़े होने की उम्मीद है. हालांकि, इनका विस्थापन (डिस्प्लेसमेंट) आयोवा-क्लास बैटलशिप्स से कम रहेगा, जिन्हें 1990 के दशक में सेवा से हटा दिया गया था.

दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा बैटलशिप होगा- ट्रंप

ट्रंप ने आगे कहा, “हमने 1994 के बाद से कोई बैटलशिप नहीं बनाई है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हम बड़े पैमाने पर जहाज बनाते थे, लेकिन अब हम जहाज नहीं बनाते. ये अत्याधुनिक जहाज सतह युद्ध के लिहाज से सबसे घातक होंगे. इनमें से हर एक दुनिया के इतिहास का सबसे बड़ा बैटलशिप होगा. अभी हम दस की बात कर रहे हैं, लेकिन शुरुआत दो से करेंगे और अंततः यह संख्या 20 से 25 तक जा सकती है. इन युद्धपोतों में कई मिसाइलें होंगी, लेकिन तोपें भी होंगी और कई मामलों में तोपें बहुत कम लागत में काम कर जाती हैं.”

हालांकि उत्पादन में अभी काफी समय लग सकता है. ट्रंप के पिछले कार्यकाल में नए फ्रिगेट बनाने का पहला प्रयास गंभीर देरी और बढ़ी हुई लागत के कारण विफल रहा था. शुरुआत में 20 जहाज बनाने की योजना थी, लेकिन लागत में भारी बढ़ोतरी और उत्पादन में देरी के चलते कार्यक्रम के लक्ष्य में बड़ी कटौती करनी पड़ी.

लेजेंड-क्लास कटर फ्रिगेट पर भी काम कर रही US Navy

वहीं अमेरिकी नौसेना ने यह भी घोषणा की कि वह लेजेंड-क्लास कटर पर आधारित एक नए फ्रिगेट पर काम कर रही है, ताकि सतह युद्धपोतों के बेड़े को मजबूत किया जा सके, जो फिलहाल सेवा की जरूरत के मुकाबले केवल एक-तिहाई है. इस जहाज को FF(X) नाम दिया गया है और इसका निर्माण वर्जीनिया के न्यूपोर्ट न्यूज स्थित HII कंपनी करेगी. यह घोषणा 19 दिसंबर को की गई.

वेनेजुएला से युद्ध बादलों के बीच की घोषणा

यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब इस महीने अमेरिका ने वेनेजुएला के तट के पास दो टैंकर जब्त किए. वहीं रविवार (स्थानीय समय) को अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में वेनेजुएला के पास एक तथाकथित ‘डार्क फ्लीट’ के जहाज का पीछा करना शुरू किया, क्योंकि उस जहाज ने रुकने से इनकार कर दिया और आगे बढ़ता रहा. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘बेला 1’ नाम का यह जहाज वेनेजुएला की ओर तेल लोड करने जा रहा था, जब अमेरिकी कोस्ट गार्ड कर्मियों ने उसे रोककर उस पर चढ़ने की कोशिश की.

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