भारत के विरोध को नेपाल ने किया दरकिनार, विवादित नये नक्‍शे को राष्ट्रपति की मंजूरी

नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने बृहस्पतिवार को देश के नये राजनीतिक नक्शे को बदलने वाले संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए जिसमें रणनीतिक महत्व वाले तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इससे कुछ घंटे पहले ही नेपाल की संसद ने इसे मंजूरी दी थी.

By Agency | June 18, 2020 10:02 PM

काठमांडो : नेपाल की राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने बृहस्पतिवार को देश के नये राजनीतिक नक्शे को बदलने वाले संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए जिसमें रणनीतिक महत्व वाले तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इससे कुछ घंटे पहले ही नेपाल की संसद ने इसे मंजूरी दी थी.

नेपाल का यह कदम भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित कर सकता है. भारत ने नेपाल के मानचित्र में बदलाव करने और भारतीय क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी तथा लिंपियाधुरा को उसमें शामिल करने से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को नेपाली संसद के निचले सदन में पारित किए जाने पर शनिवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि यह ‘‘अमान्य” है और ‘‘कृत्रिम विस्तार” है.

भारत ने नवंबर 2019 में एक नया नक्शा जारी किया था, जिसके करीब छह महीने बाद नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था.

राष्ट्रपति भंडारी के कार्यालय द्वारा जारी नोटिस के अनुसार उन्होंने बृहस्पतिवार शाम को विधेयक पर संवैधानिक प्रावधान के अनुसार मुहर लगा दी. इससे पहले आज दिन में नेपाली संसद के ऊपरी सदन यानी नेशनल असेम्बली ने संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इसके बाद नेपाल के राष्ट्रीय प्रतीक में नए नक्शे को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है.

नेपाली संसद के ऊपरी सदन में संविधान संशोधन विधेयक रविवार को पेश किया गया था. इससे एक दिन पहले निचले सदन से इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया था. ऊपरी सदन में मौजूद सभी 57 मौजूद सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया. नेशनल असेम्बली के सभापति गणेश तिमिलसिना ने बताया कि सभी 57 सदस्यों ने विधेयक के समर्थन में मतदान किया.

उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक के खिलाफ कोई मत नहीं पड़ा और किसी भी सदस्य ने तटस्थ श्रेणी के लिए मतदान नहीं किया.” कैबिनेट ने 18 मई को नए राजनीतिक नक्शे का अनुमोदन किया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शनिवार को नयी दिल्ली में कहा था, ‘‘ हमने इस बात पर गौर किया है कि नेपाल ने मानचित्र में बदलाव करते हुए कुछ भारतीय क्षेत्रों को इसमें शामिल करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक पारित किया है. हमने पहले ही इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है . ”

उन्होंने कहा था कि दावों के तहत कृत्रिम रूप से विस्तार, साक्ष्य और ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है और यह मान्य नहीं है. प्रवक्ता ने कहा था, ‘‘ यह लंबित सीमा मुद्दों का बातचीत के जरिये समाधान निकालने के संबंध में बनी हमारी आपसी सहमति का भी उल्लंघन है . ” नेपाल के संशोधित नक्शे में भारत की सीमा से लगे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाकों पर दावा किया गया है.

भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव पैदा हो गया था, जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था. नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया था कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है. भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया था कि यह सड़क पूरी तरह उसके भू-भाग में स्थित है.

काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे. नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली कहते रहे हैं कि लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा नेपाल का हिस्सा हैं.

Posted By- Pankaj Kumar Pathak

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