प्लास्टिक से मुक्ति जरूरी

डॉ अभय कुमार, प्रमुख, योजना एवं शोध विभाग, केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान पिछले साल विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) का मुख्य विषय ‘प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति’ था. भारत उस अवसर पर हुए समारोह का आयोजक देश था. उस अवसर पर भारत ने 2022 तक एकल-उपयोगवाली प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने का संकल्प लिया था. प्रधानमंत्री […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 22, 2019 6:39 AM
डॉ अभय कुमार,
प्रमुख, योजना एवं शोध विभाग, केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान
पिछले साल विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) का मुख्य विषय ‘प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति’ था. भारत उस अवसर पर हुए समारोह का आयोजक देश था. उस अवसर पर भारत ने 2022 तक एकल-उपयोगवाली प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करने का संकल्प लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस संबोधन और मरूस्थलीकरण पर हुए हालिया सम्मेलन में भी इस संकल्प को दोहराया है.
प्लास्टिक अर्थव्यवस्था और दैनिक जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण सामग्री बन चुकी है. इससे नयी वस्तुओं के निर्माण में सहयोग मिला है. यह टिकाऊ और किफायती है. इसके इस्तेमाल से हमें ऊर्जा के संरक्षण में भी मदद मिली है. कॉर्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भी कटौती संभव हुई है. खाद्य सामग्री को लपेटने में इस्तेमाल से खाद्य सुरक्षा में भी मदद मिली है.
लेकिन इन्हीं गुणों के कारण प्लास्टिक आज हमारे सामने एक भयावह समस्या बन चुका है. प्लास्टिक का क्षय मुश्किल से होता है. इसके क्षरण में सौ वर्ष से एक हजार वर्ष तक का समय लगता है. इस दौरान वह तबाही का कारण बनता है.
एकल-उपयोगवाली प्लास्टिक खास रूप से समस्याजनक है और इसकी मात्रा भी बहुत ज्यादा है. कहते हैं कि हम जो प्लास्टिक कचरा हर साल फेंकते हैं, उसका वजन पूरी मानव जाति के वजन से ज्यादा है. प्लास्टिक हमारे पारिस्थतिक तंत्र के लिए सचमुच ही दमघोंटू साबित हुआ है.
पर्यावरण की अन्य समस्याओं की तरह प्लास्टिक प्रदूषण का सामना भी हमें मिल-जुल कर ही करना होगा. हर क्षेत्र में, हर स्तर पर और हर दृष्टिकोण से. हमें एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकना होगा. उदाहरण के लिए, हम अपना बोतल रखें पानी के लिए तथा बाजार के लिए प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बंद करें. पानी के लिए प्लास्टिक बोतल की जगह बेहतर इंतजाम करें. सरकार और स्थानीय निकाय प्लास्टिक कचरे के बेहतर प्रबंधन का उपाय करे.
प्लास्टिक के उत्पादन से जुड़े उद्योग जगत को प्लास्टिक के पुनरावृत्ति एवं बेहतर कचरा प्रबंधन के लिए उपाय करने होंगे. शिक्षा में जरूरी कदम उठाते हुए नयी पीढ़ी को पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाने का प्रयास होना चाहिए. हमें प्लास्टिक कचरे के सही निष्पादन को सुनिश्चित करते हुए इसे जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना होगा.

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