मांग और निवेश में कमी से बढ़ा संकट, कैसे उबरेगा वाहन उद्योग, ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री में जा सकती हैं 10 लाख नौकरियां

बीते महीनों में वाहनों की बिक्री में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. इससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के हालात चिंताजनक हैं. ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में मांग में कमी से कंपनियों और डीलरों की कमाई संकुचित हो रही है, तो दूसरी तरफ बैंकों से कर्ज लेने की प्रक्रिया मुश्किल होती जा रही है. सरकार, उत्पादक, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 4, 2019 4:13 AM
बीते महीनों में वाहनों की बिक्री में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. इससे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के हालात चिंताजनक हैं. ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में मांग में कमी से कंपनियों और डीलरों की कमाई संकुचित हो रही है, तो दूसरी तरफ बैंकों से कर्ज लेने की प्रक्रिया मुश्किल होती जा रही है. सरकार, उत्पादक, निवेशक और नीति-निर्धारकों को वाहन उद्योग के आसन्न संकट पर गंभीरता से विचार करना होगा, ताकि अर्थव्यवस्था की सेहत बरकरार रहे. वाहन उद्योग संकट की मुख्य वजहों, बाजार मांग और भविष्य की उम्मीदों आदि की जानकारी पर केंद्रित है आज का इन-दिनों…
बुरे दौर से गुजर रही है ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री
भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग में बीते कई महीनों से गिरावट जारी है. बीते जुलाई माह में वाहनों की बिक्री बीते दो दशकों में सबसे कम रही. बाजार में मांग कम होने से यात्री वाहन निर्माता शीर्ष कंपनियों को बड़े संकट से गुजरना पड़ रहा है. असल में आर्थिक अनिश्चितताओं के बढ़ने, ताजा निवेश में कमी और गैर-बैंकिंग ऋणदाताओं (नॉन-बैंकिंग लेंडिंग स्पेस) के दबाव में आने से शहरी और ग्रामीण दोनों उपभोक्ताओं की तरफ से मांग में भारी कमी आयी है.
बीते वर्ष वाहन बीमा की लागत में वृद्धि और ऋण में कमी के कारण भी कई उपभोक्ताओं को वाहन खरीदने की अपनी योजना स्थगित करनी पड़ी है. इन सभी कारकों ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर बुरा प्रभाव डाला है.
जूझ रही हैं कई कंपनियां
बिक्री के मामले में सभी वाहन निर्माता कंपनियों की स्थिति एक जैसी ही है. देश की दूसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी ह्यूंडई मोटर्स इंडिया लिमिटेड बीते वर्ष अक्तूबर में सैंट्रो को नये रूप में वापस लेकर आयी थी और उसके बाद इस वर्ष मई में इसकी पहली कॉम्पैक्ट एसयू वेन्यू भी ले आयी. बावजूद इसके इस वर्ष जुलाई में इसकी बिक्री में रिकॉर्ड 10 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई.
ठीक इसी तरह, मराज्जो एमपीवी, अल्टरस प्रीमियम एसयूवी और एक्सयूवी300 कॉम्पैक्ट एसयूवी लॉन्च करनेवाली महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड की कुल बिक्री में भी 15 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है. वहीं, टोयोटा मोटर कॉरपोरेशन और होंडा मोटर कंपनी की बिक्री में बीते जुलाई माह में क्रमश: 24 प्रतिशत और 49 प्रतिशत की कमी आयी है.
ये पांचों कंपनियां, जो भारत के यात्री वाहन बाजार का लगभग 85 प्रतिशत हैं, की बिक्री पहले के मुकाबले बीते महीने में 31 प्रतिशत घटी है. आरंभिक रिपोर्ट बताते हैं कि व्यावसायिक वाहन उद्योग की बिक्री में जुलाई में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज हुई है, और इस गिरावट में अशोक लीलैंड शीर्ष पर है.
मारुति की बिक्री में 37 प्रतिशत की कमी
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के घरेलू यात्री वाहन की बिक्री में, इस वर्ष जुलाई में पहले की तुलना में लगभग 36 प्रतिशत की कमी आयी है. बीते महीने जहां मारुति ने 1,54,510 यूनिट की बिक्री की, वहीं जुलाई में महज 98,210 वाहनों (यूनिट) की बिक्री ही हो पायी. जून 2017 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब मारुति ने एक महीने में एक लाख यूनिट से कम की बिक्री की है.
बाजार मांग में क्यों आयी गिरावट
मौजूदा वर्ष की पहली तिमाही में बाजार मांग में गिरावट की एक अहम वजह चीनी बाजार की वर्तमान स्थिति भी है. वित्त वर्ष 2019 में जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) की बिक्री में 34 प्रतिशत की गिरावट रही. हालांकि, टाटा मोटर्स का मानना है कि हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. पहली तिमाही में व्यावसायिक वाहनों (सीवी) और यात्री वाहनों (पीवी) के लिए तरलता और वित्तपोषण की स्थिति चिंताजनक रही. अब इन समस्याओं के हल होने की संभावना जतायी जा रही है.
कंपनियां नये उत्पादों को लांच करने के साथ-साथ इन्वेंट्री को सही करने, खुदरा विकास और डीलरों का लाभ बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही हैं. कंपनियों का मानना है कि सरकार के हस्तक्षेप से आनेवाली तिमाहियों में तरलता की स्थिति में सुधार होगा. सरकार ने 2019 के बजट में सरकारी बैंकों को क्रेडिट गारंटी का प्रावधान किया है, जिससे गैर-वित्तीय कंपनियों से अच्छे ऋण लिये जा सकेंगे.
ऑटो डीलरों को कर्ज देने में बैंक सुस्त
कर्ज फंसने के भय से कई बैंक ऑटो मोबाइल डीलरों को कर्ज देने से बच रहे हैं. दशक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही ऑटो इंडस्ट्री को बैंक कर्ज देने से पहले बहुत सावधानी बरत रहे हैं. बैंकिंग इंडस्ट्री का अनुमान है कि ऑटो मोबाइल डीलरों पर 70 से 80 हजार करोड़ रुपये बकाया है. इसी हफ्ते भारतीय स्टेट बैंक ने सभी शाखाओं को सर्कुलर जारी करते हुए निर्देश दिया है कि ऑटो डीलरों को कर्ज देते समय विशेष मानदंडों का अनुपालन करें.
यात्री वाहनों की बिक्री में जारी रहेगी गिरावट : क्रिसिल रिसर्च
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल रिसर्च के मुताबिक इस महीने में भी रिटेल में जारी गिरावट का असर बना रहेगा. मारुति सुजुकी, ह्यूंडई और तीन अन्य प्रमुख कंपनियों की कार बिक्री में बीते जुलाई महीने के दौरान दोहरे अंकों में गिरावट दर्ज की गयी थी.
क्रिसिल का मानना है कि आनेवाले समय में उपभोक्ता मांग में कमी का असर जारी रहेगा. क्रिसिल के अनुमान के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले जुलाई में यात्री वाहनों की बिक्री में 27 से 31 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी. यह अनुमान मारुति, एम एंड एम और ह्यूंडई (बाजार में 75-77 प्रतिशत की भागीदारी) की बिक्री में गिरावट पर आधारित है.
जुलाई में वाहनों की बिक्री में कमी
कंपनी जुलाई 19 जुलाई 18 वृद्धि (प्रतिशत में)
मारुति 98,210 1,54,150 -36.29
हुंडई 39,010 43,481 -10.28
टाटा 10,485 17,079 -38.61
महिंद्रा 16,831 19,781 -14.91
होंडा 10,250 19,970 -48.67
टोयोटा 10,423 13,677 -23.79
वॉक्सवैगन 2,521 2,466 2.23
रेनॉल्ट इंडिया 3,660 6,217 -41.13
निसान 313 553 -43.40
फोर्ड 6,284 7,816 -19.60
स्कोडा 1,076 1,260 -14.60
डैटसन 991 2,249 -55.94
फिएट 2 29 -93.10
टीवीएस 2,08,489 2,47,382 -15.72
रॉयल इनफील्ड 49,182 67,001 -26.60
सुजुकी 62,366 53,321 16.96
बजाज 1,70,978 2,01,433 -15.12
आइसर 4,048 5,964 -32.13
अशोक लेलैंड 10,101 14,205 -28.89
इंडस्ट्री को पटरी पर लाने केलिए कई स्तरों पर हो पहलमनीष सिंघानिया, सेक्रेटरी
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए)
ऑ टोमोबाइल इंडस्ट्री में इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण आर्थिक मंदी है, इसके चलते अन्य कई सेक्टर भी प्रभावित हैं. ऑटोमोबाइल को लक्जरी और हाई टैक्सेशन में डाला गया है. इसके बाद भी ग्राहक को इंश्योरेंस और रजिस्ट्रेशन का अलग से भुगतान करना होता है. ऐसे में ग्राहक इतनी महंगी कीमत के प्रोडक्ट लेना पसंद नहीं कर रहे हैं.
दूसरी ओर, बैंकों ने भी ऋण प्रक्रिया को कठिन बना दिया है. यदि आरबीआई बैंकों को फंड देने की थोड़ी छूट दे, चाहे वह होलसेल बिलिंग के लिए हो या जो कस्टमर गाड़ी खरीदने जा रहे हैं उनके लिए हों, तो इससे सेक्टर में वित्तीय संकट काफी कम हो सकता है. इंडस्ट्री में सुधार के लिए सरकार की ओर से जीएसटी को कम करना बहुत जरूरी है. सरकार चाहे तो एक दो सालों के लिए जीएसटी में कुछ छूट दे सकती है. पिछले कुछ वर्षों से इलेक्ट्रिक वाहनों पर ज्यादा बात हो रही है.
जो गाड़ियां बिक रही हैं उन पर लोग बात नहीं कर रहे हैं, ऐसे में एक नकारात्मक सोच बन गयी है. इसे कम करने के लिए सरकार की तरफ से बजट में कुछ अच्छे प्रावधान किये गये हैं. इन्फ्रास्ट्रक्चर में अच्छे निवेश की बात कही गयी है. यदि सरकार ऐसा करेगी, तो इससे ऑटो इंडस्ट्री को काफी फायदा होगा. सड़कें अच्छी होंगी, तो जाहिर है लोग गाड़ियां खरीदेंगे. यदि देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, तो पूरी उम्मीद है कि आनेवाले समय में ऑटो इंडस्ट्री का प्रदर्शन बेहतर होगा.
कार बिक्री में गिरावट से डीलरों को नुकसान
कार बिक्री में कमी आने से डीलरों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है और इससे 200 से अधिक शोरूम पर ताले लग गये. फेडरेशन ऑफ ऑटो मोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए) के अनुसार बीते एक वर्ष के दौरान यात्री वाहनों के 200 से अधिक डीलर शोरूम बंद होने से 25,000 लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. आमतौर पर बड़े डीलर के पास 12-15 शोरूम होते हैं, जबकि छोटे डीलरों के पास पांच से कम होते हैं.
अमूमन, बड़े शोरूम हर महीने 700 वाहनों को बेचते हैं और 150 कर्मचारियों को रोजगार देते हैं, जबकि छोटे शोरूम 200-250 वाहनों को बेचते और 60 लोगों को रोजगार देते हैं. हालांकि, निजी वाहनों की उत्पादक कंपनियां डीलरशिप बंद होने के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करती है, लेकिन इंडस्ट्री एग्जीक्यूटिव का मानना है कि बैंक फंडिंग बंद हो जाने से डीलरशिप बंद होने की सही स्थिति का आकलन हो जाता है.
दोपहिया वाहनों की बिक्री में लगातार छठे महीने गिरावट
स्वामित्व की बढ़ती लागत, ग्रामीण बिक्री में कमी और तरलता में कमी की वजह से दोपहिया वाहनों की बिक्री में लगातार छठे महीने भी गिरावट जारी रही. बीते जुलाई माह में बजाज और टीवीएस की घरेलू बिक्री में क्रमश: 13 और 15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी. अगस्त में भले ही बिक्री में गिरावट जारी रहने की संभावना है, लेकिन उम्मीद है कि कंपनियां बीएसVI मॉडल के प्रोडक्ट लांच करेंग और सितंबर में त्योहारी सीजन शुरू होने पर बिक्री में तेजी आयेगी.
ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री में जा सकती हैं 10 लाख नौकरियां
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में जारी मंदी की वजह से ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री में 10 लाख नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) का कहना है कि कंपोनेंट इंडस्ट्री करीब 50 लाख लोगों को रोजगार मुहैया कराती है.
एसीएमए ने कहा कि मौजूदा मंदी चिंताजनक है, सरकार को जीएसटी दरों में कटौती करनी चाहिए, जिससे मांग को प्रोत्साहन मिल सके. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में एक समान रूप से लागू 18 प्रतिशत की जीएसटी दर में अगर कटौती होती है, तो बीते 10 महीनों से बिक्री में जारी गिरावट को रोका जा सकता है. कंपोंनेंट इंडस्ट्री की पूरी निर्भरता ऑटो मोबाइल की ग्रोथ पर है. वर्तमान में वाहन उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत की गिरावट की वजह से मंदी जैसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. चूंकि, कंपोनेंट इंडस्ट्री में 70 फीसदी कार्यबल कांट्रैक्ट पर हैं, लिहाजा अगर मांग में गिरावट दर्ज होती है, तो छंटनी शुरू हो जाती है.
3,95,000 करोड़ की ऑटो पार्ट्स इंडस्ट्री
बीते वर्ष 2018-19 में ऑटो कंपोनेंट्स बिजनेस का आकार 3,95,000 करोड़ रुपये का रहा. पिछले वित्त वर्ष में इंडस्ट्री में वृद्धि दर 14.5 प्रतिशत दर्ज की गयी. साल 2018-19 में 17.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ ऑटो कंपोनेंट निर्यात 1,06,048 करोड़ का रहा. बीते वर्ष जहां पहली छमाही में इंडस्ट्री ने दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की, तो वहीं दूसरी छमाही में इंडस्ट्री पर वाहनों की बिक्री घटने का साफ असर दिखा. खास बात है कि यह इंडस्ट्री 50 लाख लोगों को रोजगार देने के साथ जीडीपी में 2.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है.
वाहन बिक्री में गिरावट की अहम वजहें
जुलाई 2019 में कमजोर प्रदर्शन के कारण लगातार नौवें महीने और कुल मिलाकर एक वर्ष में 11 महीने यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट जारी रही है.
कम तरलता, कम उपभोग और कड़े मानकों के कारण बढ़ती लागत की वजह से वाहनों की बिक्री में गिरावट तेजी हुई है. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में कार बिक्री में 23 प्रतिशत और यात्री वाहन बिक्री में 18 प्रतिशत की कमी रही. वर्ष 2000-01 की तीसरी तिमाही, जब कार की बिक्री 27 प्रतिशत और यात्री वाहन की बिक्री 23 प्रतिशत गिर गयी थी, के बाद से यह अब तक का सबसे खराब तिमाही प्रदर्शन रहा है. होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड के सेल्स व मार्केटिंग के वाइस प्रेसिडेंट व डायरेक्टर राजेश गोयल का कहना है कि वाहन खरीद में लोगों की अरुचि और व्यापक मंदी के कारण बीते महीने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के गिरावट में और तेजी दर्ज हुई है.
गोयल के अनुसार, बीते माह वाहन खरीद के स्थगन के कई मामले देखने को मिले हैं. जुलाई 2019 में आयी यह गिरावट पहली तिमाही के मुकाबले काफी गंभीर है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक इसलिए है, क्योंकि बीते वर्ष जुलाई में भी इस क्षेत्र में गिरावट दर्ज हुई थी.
पंजीकरण शुल्क बढ़ने से बढ़ सकता है संकट
उद्योग संगठन, सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआइएएम) का कहना है कि नये वाहनों पर पंजीकरण शुल्क 10 से 20 गुना बढ़ाने का प्रस्ताव घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग के संकट को और बढ़ा सकता है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 26 जुलाई को जारी किये गये ड्राफ्ट नोटिफिकेशन में नये मीडियम गुड्स/ यात्री वाहनों पर पंजीकरण शुल्क को मौजूदा 1,000 रुपये से 20 गुना तक बढ़ाकर 20,000 रुपये, नये ट्रक या बस पर 1,500 से 20,000 रुपये, नये दो पहिया वाहनों पर 50 रुपये से 1,000 रुपये और नयी कार पर 600 रुपये से 5,000 रुपये तक करने का प्रस्ताव है. एसआइएएम के अध्यक्ष राजन वढ़ेरा का कहना है कि पिछले कई महीनों से नये वाहनों की बिक्री में काफी कमी आयी है. एेसी स्थिति में नये वाहनों के पंजीकरण शुल्क में इस तरह की वृद्धि बाजार की स्थिति को नकारात्मक रूप से बढ़ायेगी.
वैश्विक स्तर पर भी कम रही कार खरीद
इस वर्ष की पहली छमाही यानी जनवरी से जून तक विश्व के सभी प्रमुख कार बाजार में कार खरीद कम रही है. इस मामले में सिर्फ ब्राजील अपवाद रहा, जिसकी कार बिक्री में 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
वहीं इस अवधि में जापानी कार बाजार में कोई खास हलचल नहीं दिखी, जबकि अमेरिकी और रूसी कार बाजार में दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई. यूरोपीय संघ के नये यात्री वाहन पंजीकरण में पहली छमाही में तीन प्रतिशत की कमी दर्ज हुई, लेकिन अपेक्षाकृत यह उच्च स्तर पर बना रहा. भारत में वर्ष 2019 की पहली छमाही में नये कार की बिक्री में 10 प्रतिशत की कमी आयी. वहीं 14 प्रतिशत गिरावट के बावजूद चीन विश्व का सबसे बड़ा नया कार बाजार बना रहा.
वैश्विक स्तर पर कार बिक्री
क्षेत्र जून 2019 % बदलाव 1-6/2019 % बदलाव
यूरोप 14,91,300 -7.9 84,26,200 -3.1
रूस* 1,51,200 -3.3 8,28,800 -2.4
अमेरिका* 15,14,900 -1.9 84,12,900 -1.9
जापान 3,67,000 -2.2 22,85,700 -0.3
ब्राजील* 2,14,000 9.5 12,51,800 10.9
भारत 2,25,700 -17.5 15,56,800 -10.3
चीन 17,00,000 -7.1 99,32,900 -14.0
* हल्के वाहन, स्रोत : वीडीए (जर्मन एसोसिएशन ऑफ द ऑटोमोटिव इंडस्ट्री)