ये हैं विमान में वाई-फाई इंटरनेट की तकनीक

भारतीय विमान यात्रियों को देश की वायु सीमा में उड़ान भरने के दौरान फोन कॉल और इंटरनेट ब्राउजिंग की सुविधा मिल सकती है. सरकार ने घरेलू और इंटरनेशनल एयरलाइंस को दोनों सर्विस उपलब्ध कराने की मंजूरी दे दी है. हालांकि, ये सुविधाएं विमान के 3,000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर ही दी जा सकेंगी. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 23, 2018 6:11 AM
भारतीय विमान यात्रियों को देश की वायु सीमा में उड़ान भरने के दौरान फोन कॉल और इंटरनेट ब्राउजिंग की सुविधा मिल सकती है. सरकार ने घरेलू और इंटरनेशनल एयरलाइंस को दोनों सर्विस उपलब्ध कराने की मंजूरी दे दी है. हालांकि, ये सुविधाएं विमान के 3,000 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर ही दी जा सकेंगी.
कैसे चलेगा इंटरनेट
विमान में 20-30 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ान भरने के दौरान इंटरनेट मुहैया कराने के दो जरिये हो सकते हैं.
जमीन पर टावर से संपर्क
पहला, सतह पर मौजूद मोबाइल ब्रॉडबैंड टावर की मदद से, जो विमान के एंटीना तक सिग्नल पहुंचाती हैं. जैसे ही विमान अलग-अलग इलाकों से गुजरता है, वह स्वयं ही आसपास वाले टावर से मिलने वाले सिग्नल से कनेक्ट कर लेता है. लेकिन जब विमान झीलों या सागरों के या किसी दुर्गम इलाके के ऊपर से गुजरता है, तो कनेक्टिविटी में दिक्कत आ सकती है.
सैटेलाइट टेक्नोलॉजी
इस तकनीक के तहत विमान को जिओस्टेशनरी ऑर्बिट (भूस्थैतिक कक्षा) में मौजूद सैटेलाइट से कनेक्ट करना होता है, जो रिसीवर और ट्रांसमीटर को सिग्नल भेजता है.
सुरक्षा की चिंता
विमानों में इंटरनेट मुहैया कराने को लेकर एक दूसरी बड़ी चिंता सुरक्षा से जुड़ी है. अमेरिका ने एक रिपोर्ट में यह चेतावनी जारी की थी कि जिन विमानों में इन-फ्लाइट वाई-फाई होता है, उनके सिस्टम विमान या जमीन से हैक करना कहीं ज्यादा आसान हो सकता है.

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