ट्रंप बोले : पाकिस्तान को अनुदान नहीं, कर्ज देना चाहिए

वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के समक्ष अपने वार्षिक बजट में प्रस्ताव दिया है कि पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए दिये जानेवाले अनुदान को कर्ज में तब्दील कर देना चाहिए. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय विदेश मंत्रालय पर छोड़ दिया […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 23, 2017 1:15 PM

वाशिंगटन : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के समक्ष अपने वार्षिक बजट में प्रस्ताव दिया है कि पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए दिये जानेवाले अनुदान को कर्ज में तब्दील कर देना चाहिए. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय विदेश मंत्रालय पर छोड़ दिया है.

अमेरिका को नहीं रहा पाकिस्तान पर भरोसा, आतंकवादी खतरों के बीच अपने नागरिकों को यात्रा करने से किया मना

भारत और ब्रिटेन जैसे कई लोकतंत्रों में संसद में वित्त मंत्री खुद भाषण देते हैं, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति के बजट प्रस्तावों को व्हाइट हाउस भेजता है. ट्रंप प्रशासन के पहले वार्षिक बजट को आज शाम अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष जमा करा दिया जायेगा.

व्हाइट हाउस में बजट प्रबंधन कार्यालय के निदेशक मिक मुलवाने ने सवालों के जवाब में कहा कि ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान समेत कई देशों के लिए चलाये जा रहे अपने विदेशी सैन्य वित्तपोषण (एफएमएफ) कार्यक्रम को मदद से बदल कर वित्तीय कर्ज कर देने का प्रस्ताव दिया है.

अमेरिका ने पाकिस्तान के हाफिज सईद के संगठन सहित आतंकवादियों पर लगायी पाबंदी

बाद में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया, ‘यह उन विकल्पों में से एक है, जो प्रशासन की आंतरिक चर्चाओं में निकल कर आये हैं, लेकिन इस अनुरोध से फैसला नहीं हो जाता.’ व्हाइट हाउस ने कहा कि यदि जरूरत पड़ती है, तो यह सैन्य उपकरण खरीदने के लिए पाकिस्तान को दिये जानेवाले मूल वित्तीय अनुदान के रूप में ही तब्दील हो जायेगा.

व्हाइट हाउस ने कहा कि वित्तपोषण अनुदान के जरिये दिया जाता है या कर्ज के लिए सब्सिडी के तौर पर, विदेश मंत्रालय वही विकल्प चुनेगा, जिसके जरिये हमारी विदेशी मदद अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देती हो.

अमेरिका-पाकिस्तान के बीच उलझे संबंधों के कारण ओबामा पाकिस्तान नहीं गये : व्हाइट हाउस

इस कदम को ट्रंप प्रशासन की ओर से विदेशी मदद के बजट को कम करने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि अमेरिकी सेना के बढ़े हुए खर्च को पूरा करने में मदद मिल सके.

मुलवाने ने कहा कि हालांकि इस्राइल और मिस्र जैसे देशों के लिए अमेरिका की सैन्य मदद अनुदान के रूप में ही जारी रहेगी.

Next Article

Exit mobile version