नौ माह की गर्भवती, -35 डिग्री तापमान और 45 मील का सफर
नयी दिल्ली : कहते हैं दुनिया में भले ही एक से बढ़कर एक मुश्किल काम हो, लेकिन मां बनना सबसे बड़ी चुनौती होती है. नौ महीने तक बच्चे को गर्भ में पालना, प्रसव पीड़ा से गुजरना और फिर जिंदगीभर बच्चे की देखभाल करना.. क्या इससे ज्यादा चुनौतीपूर्ण कुछ हो सकता है? आप भले ही सोच […]
नयी दिल्ली : कहते हैं दुनिया में भले ही एक से बढ़कर एक मुश्किल काम हो, लेकिन मां बनना सबसे बड़ी चुनौती होती है. नौ महीने तक बच्चे को गर्भ में पालना, प्रसव पीड़ा से गुजरना और फिर जिंदगीभर बच्चे की देखभाल करना.. क्या इससे ज्यादा चुनौतीपूर्ण कुछ हो सकता है? आप भले ही सोच में पड़ गये हों लेकिन इस महिला की कहानी पढ़ने के बाद आप दंग रह जायेंगे. किसी भी परिवार के लिए घर में बच्चे का जन्म सबसे बड़ा उत्सव होता है. कई माताएं ऐसी होती हैं जिन्हें गर्भकाल के दौरान और उसके बाद सारी सुख-सुविधाएं और सहूलियत मिलती है लेकिन यह बात हर किसी पर लागू नहीं होती.
नौ दिनों का सफर
लद्दाख के इस परिवार की कहानी सुनकर आपको इस मां के साहस पर गर्व भी होगा और उसकी तकलीफ के लिए दुख भी. यह कहानी वाकई चौंकाने वाली है. जहां गर्भवती महिला को अपने सबसे करीबी अस्पताल पहुंचने के लिए भी 45 मील का सफर तय करना पड़ता है. वह भी शून्य से 35 डिग्री कम तापमान में. ऊंचे-नीचे पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए 45 मील का सफर तय करना पड़ता है, जिसमें कुल नौ दिन का समय लगता है. और फिर उसी रास्ते उतने ही तापमान में व नवजात बच्चे के साथ लौटना भी होता है.
हर दिन आठ घंटे चलना
डेली मेल की खबर के अनुसार, जिस फोटोग्राफर ने ये तसवीरें ली हैं वह पूरे नौ दिन इस परिवार के साथ सफर करता रहा. फोटोग्राफर के अनुसार, यह परिवार एक दिन में आठ घंटे तक चलता था. उन्हें बर्फीली नदियां पार करनी होती थीं, जिसमें उनके घुटने तक पानी होता था लेकिन वो चलते रहते थे. फोटोग्राफर टिम बताते हैं कि एक रात उन्होंने इस परिवार को देखा. उनके साथ महज एक दिन का बच्चा था. वो उन्हें देखकर हैरत में थे.
